जी7 शिखर सम्मेलन का समापन और प्रमुख वार्ताएँ
इटली के प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने हाल ही में इटली के दक्षिणी क्षेत्र अपुलिया में आयोजित जी7 शिखर सम्मेलन को सफलतापूर्वक समाप्त किया। यह सम्मलेन विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा के लिए विश्व के सात प्रमुख औद्योगिक राष्ट्रों—अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, जापान, जर्मनी, फ्रांस, और यूरोपीय संघ—के नेताओं को एक मंच पर लेकर आया। इसके अतिरिक्त, सम्मलेन में 11 ग्लोबल साउथ देशों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया, जिसमें भारत प्रमुख रूप से शामिल था।
इस अवसर पर, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आउटरिच सत्र में भाग लिया और इटली के प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। दोनों देशों के संबंधों को मज़बूत बनाने की दिशा में उठाये गए कदमों पर विशेष जोर दिया गया। 2022 में शुरू हुई भारत-इटली रणनीतिक साझेदारी को और बेहतर बनाने के मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ।
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में समान मंच की आवश्यकता
मेलोनी ने अपने समापन भाषण में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में व्यापार और निवेश के लिए एक समान मंच की आवश्यकता पर जोर दिया। उनका यह संकेत स्पष्ट रूप से चीन की ओर संकेत करता है, जो इस क्षेत्र में अपने बढ़ते प्रभाव को बनाए रखे हुए है। मेलोनी ने कहा कि कंपनियों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना जरूरी है ताकि एक मुक्त और निष्पक्ष बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सकें।
जी7 नेताओं ने भी इस मुद्दे पर सहमति जताई और खुले संवाद को प्रोत्साहित करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने वैश्विक चुनौतियों का मुकाबला करने के उद्देश्य से मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई।
भारत और इटली की रणनीतिक साझेदारी
भारत और इटली के बीच रणनीतिक साझेदारी की शुरुआत 2022 में हुई थी, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार, संस्कृति, और राजनीति में सहयोग को बढ़ावा देना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जॉर्जिया मेलोनी ने इस साझेदारी को नई ऊँचाइयों तक पहुंचाने के लिए विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
द्विपक्षीय वार्ताओं में मुख्यत: रक्षा, वैज्ञानिक अनुसंधान, जलवायु परिवर्तन, और डिजिटलीकरण के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के विषय शामिल थे। दोनों देशों ने आपसी सहयोग को अधिक सशक्त बनाने और व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए नई रणनीतियों पर भी चर्चा की।
जी7 देशों की प्रतिबद्धताएँ
शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले जी7 नेताओं ने वैश्विक आर्थिक पुनर्निर्माण, जलवायु संकट, और स्वास्थ्य आपातकाल जैसी महत्वपूर्ण चुनौतियों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई। वे खुले और निष्पक्ष व्यापार प्रणालियों को प्रोत्साहित करने के लिए एकजुट हुए।
सोमाज की वर्तमान चुनौतियों का सामना करने के लिए जी7 देशों ने अपने संसाधन और विशेषज्ञता को साझा करने का फैसला किया। इसके अलावा, उन्होंने विकासशील देशों के साथ सहयोग को और अधिक गहन बनाने के उपायों पर भी सहमति दी।
चुनौतियां और भावी रणनीतियाँ
जी7 शिखर सम्मेलन ने वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिए एक नई दिशा प्रदान की है। सभी प्रतिभागियों ने महत्वाकांक्षी लक्ष्यों और कार्य योजनाओं को अपनाने की जरूरत पर जोर दिया, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्थायी भविष्य का निर्माण किया जा सके।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके को भविष्य की नीतियों के लिए एक महत्वपूर्ण मानक के रूप में स्थापित करने पर जोर दिया। उन्होंने जी7 नेताओं को बताया कि भारत अपने विकास के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए क्षेत्रीय और वैश्विक साझेदारियों को मजबूती प्रदान करने का इच्छुक है।
वास्तव में, यह जी7 शिखर सम्मेलन वैश्विक राजनीति के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है। यह सम्मेलन वैश्विक नेता और उनके द्वारा ली गई पहल और वैचारिक प्रतिबद्धताओं के बीच संतुलन स्थापित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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