जब हरष संघवी, गृह मामलों के राज्य मंत्री, ने नवीनीकृत नवरणी 2024 घोषणा की, तो गुजरात की सड़कों पर ध्वनि की सीमा भी बदल गई। उन्होंने बताया कि अब गरबा समारोह रात के पाँच बजे तक जारी रह सकते हैं, जिससे पिछ्ले 11 PM के लाउडस्पीकर प्रतिबंध को हटा दिया गया।
इस निर्णय का समर्थन प्रधान मंत्री भूपेंद्र पटेल ने किया है, जो गुजरात के मुख्यमंत्री हैं, और उन्होंने इस बदलाव को नवरणी 2024 के उत्सव को और जीवंत बनाने के रूप में कहा। एक वीडियो संदेश में उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि नागरिकों का उत्सव सुरक्षित और आनंदपूर्ण हो, और यही कारण है कि हम अब देर रात तक ध्वनि की अनुमति दे रहे हैं।”
पृष्ठभूमि और पहले के प्रतिबंध
पिछले कई सालों से गुजरात में नवरणी के दौरान लाउडस्पीकर का उपयोग 23 बजे तक सीमित रहता था। 2018 में लागू किए गए इस नियम का उद्देश्य नज़राना‑निवारण करना था, क्योंकि स्थानीय निवासी अक्सर शाम‑सोते बजे आवाज़ से परेशान होते थे। लेकिन जल्द ही गरबा‑उद्योग ने इस प्रतिबंध को “आर्थिक ज्वालामुखी” कहा, क्योंकि ध्वनि के बिना नृत्य का मज़ा घट जाता है और कई रात्रि‑भोजन स्थल और प्रवेश‑फी वाले इवेंट अपने ग्राहकों को खोते दिखे।
वर्ष‑दर‑वर्ष गरबा के आयोजकों ने कई बार सरकार से अपील की, यह दावा करते हुए कि “छह‑सात घंटे की ध्वनि‑सहायता के बिना, चाहे कितनी भी रोशनी और डीज़े हो, नाच की ऊर्जा अधूरी रहती है।” इन अपीलों में सबसे ज़्यादा आवाज़ सुनाई देने वाले शहर अहमदाबाद, अहमदपुर और सूरत थे, जहाँ रात‑भर के रात्रि‑भोजन और होटल व्यवसाय इस उत्सव पर निर्भर करते हैं।
नई नीति का विवरण
हरष संघवी के वीडियो संदेश में बताया गया कि अब पुलिस को रात्रि‑पाँच बजे तक सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी, और साथ ही आयोजनकर्ता स्वयं यह देखेंगे कि शांति‑प्रिय नागरिकों को अत्यधिक आवाज़ से परेशान न किया जाए। उन्होंने स्थानीय डीज़े को विशेष तौर पर “ऑपरेशन सिंधूर” गाने को निर्धारित समय पर बजाने की भी अपील की, जिससे नृत्य के साथ एक सांस्कृतिक पहचान जुड़ सके।
नीति के केंद्र में तीन मुख्य बिंदु हैं:
- लाउडस्पीकर का उपयोग रात 5 AM तक अनुमति; ध्वनि स्तर को 90 dB से अधिक नहीं होना चाहिए।
- पुलिस को रात 5 AM के बाद भी ट्रैफ़िक और भीड़‑प्रबंधन की निगरानी जारी रखनी होगी।
- आयोजनकर्ताओं को स्थानीय समुदाय के साथ समन्वय करके शोर‑प्रदूषण को न्यूनतम करने का दायित्व दिया गया है।
व्यापारी और सांस्कृतिक प्रभाव
गरबा अभिविन्यास के कारण गुजरात की रात्रि‑आर्थिक गतिविधि में लगभग 30 % की वार्षिक वृद्धि देखी गई है। विशेषज्ञों का कहना है, देर तक लाउडस्पीकर की अनुमति मिलने से होटल, रेस्तरां और स्थानीय बाजारों को अतिरिक्त राजस्व मिलेगा। सूरत के एक बड़े होटल के मैनेजर, सुनील पागले, ने कहा, “अभी तक हमने दो‑तीन बड़े इवेंट में 10‑12 हजार अतिरिक्त अतिथियों को देखा है। यदि ध्वनि प्रतिबंध नहीं हटता, तो हमारी रात‑भोजन की आय में सालाना लगभग 2 करोड़ रुपये का नुकसान होता।”
इसी तरह, अहमदाबाद के एक लोकप्रिय गरबा फेस्टिवल आयोजक, मीरा चौधरी, ने बताया कि “अब हम 11 बजे तक नहीं, बल्कि 2 बजे, 3 बजे, यहाँ तक कि 5 बजे तक डीज़े को बजा सकते हैं, जिससे दर्शकों की यात्रा देर तक चलती है और उनका खर्चा भी बढ़ता है।” इस बदलाव से छोटे‑स्तर के कपड़ों, सजावट और संगीत उपकरण विक्रेताओं को भी बड़ा भरोसा मिला है।
राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
नवरणी के इस बदलाव को कई विश्लेषकों ने बीजेपी सरकार के वोटर‑एंगेजमेंट रणनीति के हिस्से के रूप में पढ़ा है। 2024 के लोकसभा चुनाव में गुजरात की मतदान प्रतिशत 2019 के 64.5 % से घटकर 59.5 % रह गया था, और पार्टी ने इसे “वोटर थकान” के रूप में बताया। हरष संघवी के इस निर्णय को “समाजिक राहत” और “युवा‑आधारित राजनीति” के तत्व के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिससे पार्टी को युवा वर्ग का समर्थन पुनः प्राप्त करने का मौका मिल सकता है।
भूपेंद्र पटेल ने सार्वजनिक रूप से कहा, “सुरक्षा और सांस्कृतिक धरोहर दोनों का हमारे लिए महत्त्व है। इस फैसले से हम ग्रा‑बजेट को भी समर्थन दे रहे हैं, क्योंकि अनेक छोटे‑उद्योग इस उत्सव पर निर्भर हैं।” विपक्षी कांग्रेस के प्रदेश प्रमुख, अमित थनधवल ने तिरस्कार के साथ टिप्पणी की, “यह सिर्फ़ चुनाव‑समय का कैलेंडर‑ट्रिक है, असली समस्या तो रोजगार और बुनियादी सुविधाओं में है।” इस तरह की विरोधी आवाज़ें भी इस नीति को एक राजनीतिक मंच पर लाती हैं।
भविष्य की संभावनाएँ और चुनौतियाँ
यह तय नहीं है कि यह नीति स्थायी रहेगी या केवल नवरणी‑उपलब्धि के बाद अस्थायी। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि 5 AM तक की ध्वनि अनुमति के बाद सार्वजनिक शिकायतें कम नहीं होतीं, तो सरकार को फिर से सीमाओं को संशोधित करना पड़ सकता है। साथ ही, पर्यावरण एवं स्वास्थ्य विभाग ने चेतावनी दी है कि रात‑भरे ध्वनि प्रदूषण से शोर‑संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे निकटवर्ती अस्पतालों में नींद‑सम्बन्धी रोगों में वृद्धि हो सकती है।
अंत में, यह कहा जा सकता है कि गरबा का विस्तार न केवल सांस्कृतिक खुशी लाएगा, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा देगा। परंतु सरकार को यह संतुलन बनाये रखना होगा कि “मनोरंजन” और “सुरक्षा‑सुविधा” दोनों एक साथ चलें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
यह नया लाउडस्पीकर नियम किस समय तक लागू होगा?
नवरणी 2024 के पूरे अवधि के दौरान, अर्थात 9 रातों में, लाउडस्पीकर का उपयोग रात 5 बजे तक वैध रहेगा। यह समय‑सीमा विशेष रूप से इस त्यौहार के लिए निर्धारित की गई है और आगे की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।
क्या सभी शहरों में यह नियम समान रूप से लागू होगा?
हाँ, गुजरात के सभी प्रमुख शहर—अहमदाबाद, सूरत, राजकोट, वडोदरा—में यह नियम समान रूप से लागू किया जाएगा। स्थानीय पुलिस को यह सुनिश्चित करना होगा कि आवाज़ स्तर आयोगित सीमा में रहे।
व्यापारी और होटल इस परिवर्तन से कैसे लाभ उठाएंगे?
लंबी देर तक लाउडस्पीकर की अनुमति से रात‑भोजन, रूम‑सर्विस और स्पेशल इवेंट की बुकिंग में वृद्धि होगी। अनुमानित रूप से, प्रमुख शहरों में होटल के रात्रि‑आय में 15‑20 % का इजाफ़ा हो सकता है, जबकि स्थानीय किराना‑दुकानों और सजावट विक्रेताओं को भी अतिरिक्त ग्राहक मिलेंगे।
क्या यह निर्णय बीजेपी की वोटर‑संलग्नता रणनीति का हिस्सा है?
विश्लेषकों की राय है कि यह कदम देर शाम‑रात के उत्सव को बढ़ावा दे कर युवा और शहरी मतदाताओं को पार्टी के करीब लाने की कोशिश है। 2024 के लोकसभा चुनाव में गुजरात में वोटर‑टर्नआउट में गिरावट देखी गई थी, इसलिए सरकार को सांस्कृतिक पहल के ज़रिए सकारात्मक छवि बनानी है।
क्या कोई स्वास्थ्य‑सुरक्षा संबंधी चिंताएं उठी हैं?
पर्यावरण एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग ने बताया है कि देर‑रात तक का शोर‑प्रदूषण नींद‑रोग, तनाव और हृदय‑रोगों को बढ़ावा दे सकता है। इसलिए पुलिस को शोर‑स्तर को 90 dB तक सीमित रखने की हदबंदी की गई है और शिकायत होने पर त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है।
टिप्पणि (6)
Raj Chumi
हरष संघवी का नया निर्णय कुछ बड़ा असर लेके आया है। गरबा के शौकीनों को अब देर रात तक नाचने का मौक़ा मिलेगा। यह बदलाव रात्रि‑आर्थिक गतिविधियों को भी तेज़ कर देगा। होटल और रेस्तरां के मालिक पहले से ही उत्साहित हैं। ध्वनि स्तर को 90 dB तक सीमित रखने का नियम सुरक्षा की जड़ है। पुलिस को भी अब देर तक निगरानी करनी पड़ेगी। स्थानीय समुदाय को शोर‑प्रदूषण पर सतर्क रहना होगा। कलाकारों को अपने सेट‑अप को इस नई सीमा के अनुसार समायोजित करना पड़ेगा। डीज़े अब "ऑपरेशन सिंधूर" जैसे गाने बजा सकते हैं। युवा वर्ग को यह कदम बहुत पसंद आया है। इस सत्र में कई व्यापारियों ने आय में 20 % की वृद्धि की उम्मीद जताई। स्वास्थ्य विभाग ने संभावित जोखिमों को भी नोट किया है। लेकिन अधिकांश लोग इसे सकारात्मक मानते हैं। कुल मिलाकर यह पहल सांस्कृतिक धरोहर को बचाए रखती है और आर्थिक लाभ भी देती है। सरकार को इस संतुलन को बनाए रखना होगा ताकि मनोरंजन और सुरक्षा दोनों साथ चलें।
mohit singhal
ये कदम गुजरात की शान बढ़ा रहा है 🎉🚀 हमारी संस्कृति को फिर से उजागर करने का सही फैसला है और कोई भी इसपर नज़र नहीं कस सकता 😤💥
pradeep sathe
सच्ची बात यह है कि देर तक गरबा का आनंद लेकर लोग बहुत खुश होंगे। कंपनियां भी इस बदलाव से फ़ायदा देख रही हैं। स्थानीय दुकानों को भी ग्राहक बढ़ेंगे।
ARIJIT MANDAL
सरकार ने सही कदम उठाया 90 dB सीमा रखी और पुलिस चौकस रहे तो सब ठीक रहेगा।
Tuto Win10
गरबा अब 5 बजे तक, बढ़िया!
Kiran Singh
हमें देखते‑हुए लगता है कि यह नियम सिर्फ़ राजनीति का कूचा है, असली समस्या तो रोजगार है। लेकिन फिर भी देर रात का मज़ा जरूरी है।