अमित गोयल के अनुसार, यूएस फेड की संभावित 25 बीपीएस दर कटौती से भारतीय बाजार में अस्थायी उछाल संभव

अमित गोयल के अनुसार, यूएस फेड की संभावित 25 बीपीएस दर कटौती से भारतीय बाजार में अस्थायी उछाल संभव

यूएस फेड की दर कटौती का संभावित प्रभाव

अमित गोयल, जो कि Pace 360 के एक वित्तीय विशेषज्ञ हैं, का मानना है कि यदि अमेरिकी फेडरल रिजर्व 25 बेसिस पॉइंट्स (बीपीएस) की दर कटौती करता है, तो इसका प्रभाव भारतीय शेयर बाजार पर सकारात्मक हो सकता है। वह बताते हैं कि यूएस फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती से तरलता में वृद्धि होती है, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ता है। ऐसे परिदृश्य में, वैश्विक बाजारों में सकारात्मक प्रभाव देखा जा सकता है और इससे भारतीय बाजार में भी अस्थायी उछाल संभव है। यह प्रभाव विदेशी निवेशकों को भारतीय बाजार में अधिक निवेश करने के लिए आकर्षित कर सकता है, जिससे शेयर की कीमतों में वृद्धि हो सकती है।

तरलता और निवेशक विश्वास

दर कटौती से बढ़ी हुई तरलता और निवेशक विश्वास के कारण वैश्विक बाजारों में स्थिरता की स्थिति बेहतर हो सकती है। जब अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरें कम करता है, तो निवेशक अन्य देशों के बाजारों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होते हैं, जहां वे बेहतर रिटर्न की उम्मीद करते हैं। भारतीय बाजार भी इस प्रवृत्ति का हिस्सा हो सकता है, जहां विदेशी निवेशकों की बढ़ती भागीदारी से शेयर बाजार में वृद्धि देखी जा सकती है।

अस्थायी उछाल की संभावना

हालांकि, गोयल ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह उछाल अस्थायी हो सकता है। उनका कहना है कि लंबे समय तक बाजार की दिशा घरेलू आर्थिक मौलिकताओं और अन्य स्थायी कारकों पर निर्भर करेगी। फेड की दर कटौती से आने वाले तरलता में वृद्धि के बावजूद, भारतीय बाजार की स्थिरता आर्थिक सुधारों, राजनीतिक स्थिरता, और नीतिगत निर्णयों जैसी घरेलू स्थितियों पर निर्भर करेगी।

वैश्विक और स्थानीय आर्थिक संकेतक

वैश्विक और स्थानीय आर्थिक संकेतक

इस लेख का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह वैश्विक और स्थानीय आर्थिक संकेतकों के महत्व को भी रेखांकित करता है। जब बात निवेश की आती है, तो निवेशकों को केवल वैश्विक वित्तीय नीतियों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। उन्हें घरेलू आर्थिक संकेतकों, जैसे जीडीपी वृद्धि, मुद्रास्फीति दर, और रोजगार आंकड़ों का भी विश्लेषण करना चाहिए। ये संकेतक निवेशकों को एक व्यापक दृश्य देते हैं और उन्हें उचित निवेश फैसले लेने में मदद करते हैं।

केंद्रीय बैंकों के निर्णय और बाजार की अस्थिरता

केंद्रीय बैंकों द्वारा लिए गए निर्णय अक्सर बाजार में अस्थिरता का कारण बनते हैं। यूएस फेड द्वारा लिए गए दर संबंधी फैसले विशेष रूप से महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि अमेरिका का वित्तीय बाजार वैश्विक बाजारों को प्रभावित करता है। इसलिए, जब भी यूएस फेड दर कटौती करता है, तो इसका असर केवल अमेरिकी शेयर बाजार पर ही नहीं, बल्कि अन्य देशों के बाजारों पर भी पड़ता है।

निवेशकों के लिए सलाह

निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे वैश्विक और घरेलू दोनों आर्थिक परिस्थितियों का ध्यान रखें। जबकि यूएस फेड की दर कटौती से संभावित लाभ तो है, लेकिन दीर्घकालिक निवेश के लिए घरेलू आर्थिक मौलिकताओं और सुधारों को ध्यान में रखना अनिवार्य है।

समाप्ति

समाप्ति

अमित गोयल के अनुसार, यूएस फेड की संभावित 25 बीपीएस दर कटौती भारतीय बाजार में अस्थायी उछाल ला सकती है। हालांकि यह उछाल संभवतः अस्थायी होगा, यह निवेशकों के लिए एक अवसर भी हो सकता है। इसके लिए जरूरी है कि निवेशक वैश्विक और घरेलू दोनों आर्थिक संकेतकों का सही आकलन करें और अपने निवेश फैसले सोच-समझकर लें। इससे उनकी संभावनाओं का बेहतर उपयोग हो सकेगा और दीर्घकालिक स्थिरता प्राप्त की जा सकेगी।

टिप्पणि (11)

  1. Ratna El Faza
    Ratna El Faza
    19 सित॰, 2024 AT 18:23 अपराह्न

    अगर फेड दर कम करता है तो हमारे बाजार में थोड़ा जोश आ जाएगा, लेकिन याद रखो, हमारी अर्थव्यवस्था बाहरी चीजों पर निर्भर नहीं है। हमारे अंदर की ताकत देखो।
    मैंने पिछले साल भी ऐसा ही देखा था, फिर भी सब कुछ ठीक रहा।

  2. Nihal Dutt
    Nihal Dutt
    19 सित॰, 2024 AT 22:41 अपराह्न

    ये सब बकवास है... फेड की दर कम होगी तो भारत में निवेश बढ़ेगा? अरे भाई, जब तक हमारे यहाँ बिजली नहीं चलेगी तब तक निवेश कौन करेगा? 😂

  3. Swapnil Shirali
    Swapnil Shirali
    20 सित॰, 2024 AT 11:58 पूर्वाह्न

    अरे यार, फेड की दर कम होने से तरलता बढ़ती है, ये तो बेसिक इकोनॉमिक्स है... लेकिन क्या हम इसे समझते हैं? हमारे यहाँ तो लोग फेड को एक अमेरिकी बैंक समझते हैं, जैसे कोई राजा हो।
    असली बात ये है कि हम अपनी आर्थिक नीतियों को खुद सुधारें, न कि अमेरिका के फैसलों का इंतजार करें।
    हमारी GDP ग्रोथ, इन्फ्लेशन, फिस्कल डेफिसिट - ये सब तो हमारे अपने हाथों में हैं।
    अगर हम ये तीनों चीज़ें संभाल लें, तो फेड की दर कम हो या बढ़े, हमारा बाजार अपने आप चलेगा।
    लेकिन नहीं, हम तो हर बार वैश्विक चीज़ों को अपनी समस्या का कारण बना लेते हैं।
    एक बार अपने घर की सफाई करो, फिर बाहर के दरवाज़े की चर्चा करो।
    फेड की दर कटौती से भारतीय बाजार में उछाल आएगा - हाँ, शायद।
    लेकिन वो उछाल तो बारिश के बाद की चिड़िया की तरह होगा - थोड़ी देर के लिए उड़ेगा, फिर बैठ जाएगा।
    असली बात ये है कि हमारे यहाँ कौन निवेश कर रहा है? बड़े फंड्स? नहीं।
    छोटे निवेशक? हाँ, लेकिन वो भी तो बाजार के चक्कर में फंस गए हैं।
    तो फिर ये सब बातें किसके लिए? क्या हम अपने आप को आश्वस्त कर रहे हैं?
    मैं तो बस ये कहना चाहता हूँ - अपनी ज़िम्मेदारी लो, और फेड को अपनी चिंता न बनाओ।

  4. Upendra Gavale
    Upendra Gavale
    21 सित॰, 2024 AT 18:53 अपराह्न

    फेड की दर कम होगी तो भारत में पैसा आएगा 😎💸
    लेकिन याद रखो दोस्तों, ये सब टेम्पोररी है... जैसे बारिश के बाद का बादल 😅
    असली गेम तो ये है कि हम अपने घर का खाना खुद बनाएं 🍛
    मुद्रास्फीति कम हो, रोजगार बढ़े, बिजली चले - तभी तो सच्चा उछाल होगा! 🙌

  5. abhimanyu khan
    abhimanyu khan
    22 सित॰, 2024 AT 10:09 पूर्वाह्न

    इस लेख का तर्क अत्यंत अपरिपक्व है। यूएस फेडरल रिजर्व की नीतिगत गतिविधियों को भारतीय शेयर बाजार की वृद्धि का मुख्य कारण ठहराना, एक आर्थिक अज्ञानता का प्रतीक है। भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता अंतर्निहित संरचनात्मक क्षमताओं पर आधारित है, न कि वैश्विक नीतियों के उतार-चढ़ाव पर। यह लेख निवेशकों को भ्रमित करने का प्रयास कर रहा है।

  6. Jay Sailor
    Jay Sailor
    23 सित॰, 2024 AT 06:21 पूर्वाह्न

    अमेरिका की दर कम करे तो हमारे बाजार में उछाल? ये बकवास है! हम तो अपने देश के लिए अपने नियम बनाएंगे, अमेरिका के निर्णयों के लिए नहीं।
    हमारे यहाँ करोड़ों लोग अभी भी बिना बिजली के रहते हैं, और तुम फेड की दर की बात कर रहे हो?
    ये सब बाहरी बातें हैं - जिन्हें हम अपने आप को बेहतर महसूस कराने के लिए बनाते हैं।
    असली विकास तो तब होगा जब हम अपने गाँवों को बेहतर बनाएंगे, न कि न्यूयॉर्क के बैंकरों के फैसलों का इंतजार करेंगे।
    हम भारतीय हैं - हम अपने आप को नहीं, दूसरों के लिए जीते हैं।

  7. Anindita Tripathy
    Anindita Tripathy
    24 सित॰, 2024 AT 22:34 अपराह्न

    मैंने भी इसी बात को अपने प्रोफेसर ने पढ़ाया था - वैश्विक तरलता और घरेलू नीतियों का बैलेंस बहुत जरूरी है।
    मैं अपने छोटे निवेशक दोस्तों के लिए ये कहना चाहती हूँ - बाजार में उछाल आए तो जल्दी में न खरीदो, और न ही डर जाओ।
    बस अपनी रिसर्च करो, अपने लक्ष्य को याद रखो।
    ये सब टेम्पोररी है - लेकिन तुम्हारी जानकारी हमेशा के लिए है। ❤️

  8. Ronak Samantray
    Ronak Samantray
    26 सित॰, 2024 AT 17:49 अपराह्न

    फेड की दर कटौती... ये सब एक बड़ा धोखा है।
    अमेरिका जब दर कम करता है, तो वो अपने घर के बाहर पैसा फेंकता है।
    हमारे यहाँ तो बाजार चलता है, लेकिन जब वो दर बढ़ जाती है - तो पैसा वापस जाता है।
    हम तो बस उनके गेम के लिए खेल रहे हैं।
    क्या तुम्हें लगता है कि हमारे यहाँ कोई निवेश कर रहा है? नहीं।
    वो सब ट्रेडिंग है।
    और जब वो फेड दर बढ़ेगी - तो ये सब उड़ जाएगा।
    तुम तो अभी भी उम्मीद कर रहे हो? 😏

  9. Anil Tarnal
    Anil Tarnal
    27 सित॰, 2024 AT 23:10 अपराह्न

    फेड की दर कम होने से भारतीय बाजार में उछाल आएगा? ये तो मेरे दोस्त की बात है जो एक्सचेंज पर ट्रेड करता है - वो तो हर बार ऐसा ही बोलता है।
    फिर भी उसका पोर्टफोलियो तो लगातार नीचे ही जा रहा है।
    मैंने तो इस बार निवेश नहीं किया - बस देख रहा हूँ।
    अगर ये उछाल आएगा तो शायद तब तक मैं बाहर हो जाऊंगा।
    और अगर नहीं आएगा? तो भी ठीक है।
    मैं तो बस इंतजार कर रहा हूँ।

  10. Viraj Kumar
    Viraj Kumar
    29 सित॰, 2024 AT 17:57 अपराह्न

    यह लेख निवेशकों के लिए अत्यंत खतरनाक सलाह प्रदान करता है। वैश्विक नीतियों के आधार पर निवेश करना, एक अनियंत्रित और अनियमित रणनीति है।
    भारतीय अर्थव्यवस्था की आधारशिला राष्ट्रीय आय, बजट घाटा, और उत्पादकता है।
    इन तथ्यों को नज़रअंदाज़ करके फेड की दर के आधार पर निवेश करना, निवेशक को अत्यधिक जोखिम में डालता है।
    मैं इस लेख को गलत और अनियमित मानता हूँ।

  11. Shubham Ojha
    Shubham Ojha
    29 सित॰, 2024 AT 19:10 अपराह्न

    ये फेड की दर कटौती? अरे भाई, ये तो जैसे बारिश के बाद बादलों का नाच है - थोड़ी देर के लिए रंग बिरंगा, फिर छिप जाता है।
    लेकिन दोस्तों, हमारे यहाँ तो असली जादू है - हमारे घरों में बनती हुई चाय, हमारे गाँवों में बीज बोए जाने वाले खेत, हमारे छोटे व्यापारी जो सुबह 5 बजे उठकर दुकान खोलते हैं।
    ये सब तो हमारी असली ताकत है।
    फेड की दर बढ़े या घटे - हम यहाँ खड़े रहेंगे।
    हमारे बाजार की जड़ें गहरी हैं - और वो जड़ें तो अमेरिका की नीतियों से नहीं, हमारे दिलों से बनी हैं।
    तो चलो, आज एक चाय पीते हैं - और अपने घर की ताकत पर भरोसा करते हैं। 🫖💛

एक टिप्पणी लिखें