शारजाह में एक सवाल, और सलमान आगा की मुस्कान
शारजाह में प्री-सीरीज़ प्रेस कॉन्फ्रेंस चल रही थी, माहौल सामान्य था। तभी एक रिपोर्टर ने कहा—पिछले T20 वर्ल्ड कप के आधार पर अफगानिस्तान एशिया की ‘सेकंड बेस्ट’ टीम रही। पाकिस्तान T20 कप्तान सलमान आगा ने हल्की सी मुस्कान और ताज्जुब भरी प्रतिक्रिया दी, और वही पल सोशल मीडिया पर छा गया।
बात यूं भी खाली दावे पर नहीं टिकी थी। पिछले T20 वर्ल्ड कप में अफगानिस्तान ने ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसी टीमों को हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई—यह उनके क्रिकेट इतिहास की सबसे बड़ी उपलब्धि थी। दूसरी ओर, पाकिस्तान भारत और अमेरिका से हारकर ग्रुप से ही बाहर रह गया। ऐसे में ‘सेकंड बेस्ट’ वाली टिप्पणी उस खास टूर्नामेंट की परफॉर्मेंस पर आधारित थी, किसी स्थायी रैंकिंग पर नहीं।
राशिद खान से जब लक्ष्य पूछा गया तो उनका जवाब सीधा था—किसी खास संख्या का टारगेट नहीं, सही ब्रांड का क्रिकेट खेलना हमारा असली लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा, एफ़र्ट और मैदान पर 200 फीसदी देना—वही टीम की असली पहचान होनी चाहिए। जीत-हार बाद की बात है, प्रक्रिया पहले।
यह त्रिकोणीय सीरीज़—पाकिस्तान, अफगानिस्तान और यूएई—एशिया कप से ठीक पहले हो रही है। लोकेशन भी वही: यूएई की पिचें, वही गर्म हवाएं, शाम की ड्यू और धीमी सतहें। यानी जो यहां ठीक चला, वही एशिया कप में सीधे काम आ सकता है।
एशिया कप से पहले कौन किस मोड में
पाकिस्तान की सफेद गेंद वाली टीम बदले दौर में है। सलमान आगा की कप्तानी में उन्हें नई कम्बिनेशन तलाशनी है। हाल के दिनों में उनका फॉर्म मिला-जुला रहा—बांग्लादेश में 1-2 से हार, फिर वेस्टइंडीज के खिलाफ 2-1 से जीत। T20 वर्ल्ड कप में जल्दी बाहर होने के बाद आत्मविश्वास को फिर से ताकत देना भी एक बड़ा मुद्दा है। ऊपर से चैंपियंस ट्रॉफी में जीत न मिलना टीम की मनोदशा पर असर छोड़ गया।
अफगानिस्तान दूसरी दिशा में जा रहा है—आत्मविश्वास ऊंचा, सेट टेम्पलेट, और स्पष्ट भूमिकाएं। उनकी ताकत है टॉप-ऑर्डर में तेज शुरुआत, बीच ओवरों में स्पिन से कंट्रोल, और डेथ में स्मार्ट बॉलिंग। Rashid Khan, Mujeeb और Fazalhaq Farooqi ने पिछले दो साल में लगातार असर दिखाया है। लीग क्रिकेट से मिले अनुभव ने दबाव में फैसले बेहतर किए हैं।
हेड-टू-हेड की बात करें तो तस्वीर एकतरफा नहीं रही। 2023 में यूएई में अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को T20I सीरीज़ में 2-1 से हराया था। यानी ‘मानसिक बढ़त’ का सवाल अब खुला है। शारजाह की छोटी बाउंड्री और धीमी पिचें दोनों टीमों की योजनाओं को दिलचस्प बना देंगी—यहां 150-165 भी डिफेंड हो सकता है, अगर स्पिनर गेम में हैं और फील्डिंग टाइट है।
सोशल मीडिया पर वायरल क्लिप ने एक बड़ा सवाल उछाल दिया—एशिया में ताकत का समीकरण बदल रहा है क्या? भारत शीर्ष पर है, यह अलग बहस है। पर नंबर-2 की कुर्सी पर अब दावेदार बढ़ गए हैं। पाकिस्तान का ऐतिहासिक दबदबा याद है, लेकिन T20 में फॉर्म, प्लानिंग और एक-दो रातों की चूक सब कुछ बदल देती है। अफगानिस्तान ने यह साबित किया कि बेहतर प्रक्रिया और सही मौके पर बहादुरी से खेलने से टूर्नामेंट की तस्वीर बदल सकती है।
राशिद खान का ‘प्रोसेस-फर्स्ट’ अप्रोच अफगान ड्रेसिंग रूम की फिलॉसफी बन चुका है। दूसरी तरफ, पाकिस्तान के लिए कप्तानी और चयन में ताजगी जरूरी है—युवा चेहरों को स्पष्ट रोल और भरोसा। पावरप्ले में स्ट्राइक रेट, बीच ओवरों में रोटेशन, और डेथ में विकल्प—यही तीन जगह मैच मुड़ते हैं।
तीनों टीमों के लिए इस सीरीज़ की उपयोगिता सीधी है—किसको खिलाना है, किसको आराम देना है, और एशिया कप के लिए किन कॉम्बिनेशनों पर टिकना है। यूएई की रातों में ड्यू टॉस को अहम बना देती है, तो बैटिंग-ऑर्डर और बॉलिंग-चेंज पहले से प्लान करने होंगे। शारजाह में नई गेंद पहले थोड़ी ग्रिप करती है, फिर जैसे-जैसे शाम उतरती है, शॉट्स हवा में दूर जाने लगते हैं—यानी शुरू में धैर्य और आखिर में कैल्कुलेटेड जोखिम।
यहां कुछ फैक्टर तय करेंगे कि शुरुआती मैच किस तरफ झुकेगा:
- अफगान स्पिन बनाम पाक मिडिल ऑर्डर: क्या स्ट्राइक रोटेशन हो पाएगा या डॉट-बॉल का दबाव बढ़ेगा?
- पाक नई गेंद बनाम गुरबाज-इब्राहिम: पावरप्ले में एक विकेट या 50+ रन—मैच का टोन यहीं सेट होगा।
- डेथ ओवर्स की शांति: नो-बॉल/वाइड से बचना और लैंग्थ को आखिरी ओवर तक कंट्रोल करना।
- फील्डिंग की तीक्ष्णता: आधा मौका भी कैच में बदला तो 15-20 रन बचते हैं।
- कप्तानी के कॉल: ओवर-मैनेजमेंट और सही बैटर के सामने सही बॉलर—यहीं मैच पढ़ने की कला दिखती है।
रिपोर्टर की ‘सेकंड बेस्ट’ वाली लाइन पर वापस आएं तो उसका संदर्भ साफ है—पिछले वर्ल्ड कप की परफॉर्मेंस-चार्ट में अफगानिस्तान ऊपर था। रैंकिंग, इतिहास और ब्रांड वैल्यू अलग दायरे की बातें हैं। T20 में अक्सर वही टीम खतरनाक होती है जो अपने रोल क्लियर रखे और दमखम से योजना लागू करे। अभी अफगानिस्तान वही टीम दिखती है, और पाकिस्तान उस मोड तक लौटना चाहता है।
सलमान आगा की मुस्कान शायद इसी चुनौती की तरफ इशारा थी—दूसरे की तारीफ सुनकर चिढ़ने के बजाय उसे प्रेरणा की तरह लेना। पाकिस्तान का गेम टैलेंट से भरा है; उन्हें बस अपनी टेम्पो और मैच-अवेयरनेस वापस चाहिए। उधर, अफगानिस्तान क्रिकेट के लिए यह फेज भरोसे का है—वे जानते हैं कि उनकी पहचान अब ‘अंडरडॉग’ से आगे निकल चुकी है।
अब नजरें शुरुआती मुकाबले पर हैं—एक तरफ ट्रांजिशन में पाकिस्तान, दूसरी तरफ आत्मविश्वास से भरी अफगानिस्तान। एशिया कप से पहले यही छोटे-छोटे माइक्रो बैटल बड़े नतीजों का ट्रेलर बनेंगे। अगर शारजाह में स्पिन ने पकड़ बनाई, तो स्कोर छोटे रहेंगे और हर सिंगल-डबल की कीमत बढ़ जाएगी। अगर ड्यू आई, तो चेजिंग टीम के पास बढ़त होगी। दोनों कप्तान यह जानते हैं, और शायद इसी कारण प्रेस कॉन्फ्रेंस में उठी एक टिप्पणी पूरे एशियाई क्रिकेट की नई बहस बन गई—कौन है अब असल नंबर-2?
टिप्पणि (7)
Swapnil Shirali
अफगानिस्तान को 'सेकंड बेस्ट' कहना तो बहुत कम है... ये टीम तो अब एशिया की असली धमाकेदार टीम बन चुकी है! राशिद का फिलॉसफी-फर्स्ट अप्रोच, मुजीब का बारिश जैसा स्पिन, फजलहक की डेथ ओवर्स की बिजली... ये सब कुछ पाकिस्तान की टीम अभी भी समझ नहीं पा रही। बस अपने अतीत के छायाचित्रों में खोई हुई है।
Upendra Gavale
सलमान आगा की मुस्कान 😏 देखकर लगा जैसे कोई ने कहा 'तुम्हारी टीम तो अभी भी बच्चों की लड़ाई खेल रही है'... अफगानिस्तान ने ऑस्ट्रेलिया को हराया, पाकिस्तान ने भारत को गिराया... अब ये बातें बहुत पुरानी हो गईं। 🤷♂️ फॉर्म ही असली बात है, नाम नहीं।
abhimanyu khan
यहाँ तक कि एक रिपोर्टर के विवेकपूर्ण टिप्पणी को भी एक अस्वीकार्य आक्रमण के रूप में देखने का दृष्टिकोण, एक निश्चित रूप से अविकसित खेल संस्कृति का संकेत है। अफगानिस्तान की प्रगति एक ऐतिहासिक घटना है, और इसे स्वीकार करना एक जिम्मेदार खिलाड़ी का कर्तव्य है। अपने अतीत के नाम को अपनी वर्तमान अक्षमता का ढाल बनाना, विवेकहीनता का चरमोत्कर्ष है।
Jay Sailor
हमारे देश की टीम को अफगानिस्तान के खिलाफ दूसरा नंबर कहना? ये तो बहुत बड़ा अपमान है! अफगानिस्तान का क्रिकेट किसी अमेरिकी स्कूल के बच्चों की टीम जैसा है-जो भी गेंद फेंक देते हैं, उसे चौका देते हैं। हमारे खिलाड़ी तो अभी भी दुनिया के सर्वश्रेष्ठ हैं, बस अभी अपनी जगह लेने का इंतजार कर रहे हैं। इस तरह की टिप्पणियों से तो भारतीय जनता बहुत नाराज होगी। ये सब अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र है!
Anindita Tripathy
सलमान की मुस्कान में बहुत कुछ था... न तो गुस्सा, न ही घमंड। बस एक शांत जागृति। अफगानिस्तान ने जो किया है, वो किसी के लिए नहीं, बल्कि अपने लिए किया है। और अब जब दुनिया उन्हें 'सेकंड बेस्ट' कह रही है, तो वो जानते हैं-अगला नंबर उनका है। पाकिस्तान को बस इतना करना है: अपनी टीम को विश्वास देना, न कि दूसरों को बदलने की कोशिश करना।
Ronak Samantray
ये सब तो बस एक चाल है... रिपोर्टर को किसने बोला? क्या ये कोई भारतीय अधिकारी का षड्यंत्र है? अफगानिस्तान की टीम तो बस एक अज्ञात संगठन की छाया है। अगर ये सच है कि वे 'सेकंड बेस्ट' हैं, तो फिर उनके स्पिनर्स की आँखें क्यों इतनी भयानक दिखती हैं? 🕵️♀️
Anil Tarnal
मैंने तो बस एक वीडियो देखा... और रो पड़ा। क्या ये हमारी टीम की हालत है? हम तो अब अफगानिस्तान के बारे में बात कर रहे हैं... जिसने हमारे खिलाफ जीत दर्ज की... और हम अभी भी अपने गलत फैसलों को सही ठहरा रहे हैं... ये नहीं लगता कि हम अपनी टीम के लिए लड़ रहे हैं... बल्कि अपने अहंकार के लिए।