प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में जापानी प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ के साथ महत्वपूर्ण मुलाकातें की हैं। यह मुलाकातें क्वाड समिट के एक हिस्से के रूप में हुईं और इनका उद्देश्य भारत और इन देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को गहरा करने के उपायों पर चर्चा करना था। प्रधानमंत्री मोदी ने इन मुलाकातों को 'बहुत अच्छी' बताते हुए जोर दिया कि यह भारत और उसके प्रमुख सहयोगी देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करेगी।
जापानी प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा के साथ प्रधानमंत्री मोदी की बैठक में सुरक्षा, व्यापार और शिक्षा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने पर विशेष ध्यान दिया गया। यह बैठक भारत और जापान के बीच उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान की श्रृंखला के एक भाग के रूप में हुई थी। याद दिला दें कि मार्च 2023 में जापानी प्रधानमंत्री ने भारत का दौरा किया था, और इस दौरान दोनों देशों ने जापानी भाषा पर सहयोग के एक ज्ञापन को नवीनीकृत किया था और मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेलवे प्रोजेक्ट के लिए जेआईसीए ओडीए ऋण के 4ठे किश्त के लिए नोट्स का आदान-प्रदान किया था।
वहीं, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ के साथ प्रधानमंत्री मोदी की बैठक का उद्देश्य भी दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करना था। मुलाकात के दौरान सुरक्षा, व्यापार और शिक्षा के साथ-साथ मल्टीलेटरल फोरम्स में सहयोग पर भी चर्चा की गई। दोनों नेताओं ने पहले भी 26 अगस्त, 2024 को फोन पर सार्वजनिक और मल्टीलेटरल फोरम्स में सहयोग पर चर्चा की थी।
मजबूत द्विपक्षीय संबंधों की दिशा में कदम
इन मुलाकातों के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि भारत और उसके प्रमुख साझेदार देशों जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ मजबूत संबंध बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। क्वाड समिट ऐसे मंच के रूप में उभरा है जहां भारत लगभग सभी प्रमुख एशियाई और प्रशांत देशी प्रस्तावों के संबंध में सहयोग पर विचार-विमर्श कर सकता है।
क्वाड शिखर सम्मेलन का उद्देश्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की व्यावहारिक सहयोग को अधिक गहरा करने का है। इसे ध्यान में रखते हुए ऑस्ट्रेलिया ने नए 'केबल कनेक्टिविटी और रीसिलिएंस सेंटर' का लॉन्च किया है जो समुद्री केबल नेटवर्क की आवश्यक मजबूती सुनिश्चित करेगा। यह इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा कदम है।
भारत-जापान संबंध
भारत और जापान के बीच के संबंध ऐतिहासिक रूप से गहरे और सहानुभूतिपूर्ण रहे हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार, तकनीक, शिक्षा और सुरक्षा में व्यापक सहयोग के कई मौकों का आदान-प्रदान होता रहा है। मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेलवे प्रोजेक्ट को जेआईसीए ओडीए ऋण की मंजूरी, और जापानी भाषा पर सहयोग के ज्ञापन की नवीनीकरण, इसके उदाहरण हैं। इन सबके माध्यम से यह स्पष्ट है कि भारत और जापान मिलकर विकास और समृद्धि की दिशा में काम कर रहे हैं।
भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध
भारत और ऑस्ट्रेलिया के संबंध भी समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत का व्यापार बढ़ता ही जा रहा है और दोनों देश विभिन्न क्षेत्रों में मिलकर काम कर रहे हैं। क्वाड समिट के दौरान की गई द्विपक्षीय चर्चाओं से स्पष्ट होता है कि दोनों देश अपने संबंधों को एक नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
यह मुलाकातें भारत की विदेश नीति के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो इसे वैश्विक मंच पर एक मजबूत और सहायक भूमिका में स्थापित करने के लिए समर्पित हैं। प्रधानमंत्री मोदी की सक्रियता और नेतृत्व इन संबंधों को न केवल बनाए रखने के लिए बल्कि उन्हें और गहरा करने के लिए महत्वपूर्ण है।
टिप्पणि (13)
Subashnaveen Balakrishnan
इन मुलाकातों से साफ़ होता है कि भारत अब केवल एशिया का नहीं बल्कि पूरे इंडो-पैसिफिक के लिए एक स्थिर बिंदु बन रहा है। जापान के साथ हाई-स्पीड रेल और ऑस्ट्रेलिया के साथ केबल कनेक्टिविटी जैसे प्रोजेक्ट्स सिर्फ बुनियादी ढांचे का विस्तार नहीं बल्कि भविष्य की सुरक्षा की नींव हैं।
Keshav Kothari
क्वाड बस एक नाम है जिसके पीछे असली नियंत्रण अमेरिका के हाथ में है। भारत को अपनी अहमियत बढ़ाने के लिए बाहरी शक्तियों का इस्तेमाल करना बंद करना चाहिए।
Rajesh Dadaluch
अच्छा हुआ।
Pratyush Kumar
देखो तो ये सब कदम बहुत बड़े लगते हैं लेकिन असली चुनौती तो घर पर है। जब तक हमारे अपने शिक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर में इतना सुधार नहीं हो जाता जितना हम बाहर के साथ समझौते कर रहे हैं, तब तक ये सब नकली जलवा लगेगा।
जापानी भाषा का सहयोग अच्छा है लेकिन क्या हमने कभी सोचा कि हमारे यहाँ जापानी भाषा सीखने वालों की संख्या कितनी है? क्या हम उन्हें बस डिप्लोमा दे रहे हैं या वाकई उनकी भाषा को समझ रहे हैं?
ऑस्ट्रेलिया के साथ डिजिटल केबल्स का समझौता तो बहुत बड़ा है लेकिन अगर हमारे गाँवों में इंटरनेट कनेक्शन अभी भी टूटता रहता है तो ये सब किसके लिए है?
हम बाहरी साझेदारों को खुश करने के लिए नहीं बल्कि अपने अंदर के लोगों के लिए काम करना चाहिए।
ये सब बाहरी दिखावा नहीं, अंदरूनी बदलाव है जिसकी जरूरत है।
हमारे युवा जो ये प्रोजेक्ट्स में काम कर रहे हैं उन्हें भी अच्छा सलाहकार मिले और उनकी आवाज़ सुनी जाए।
मैं नहीं चाहता कि हम बाहर के देशों के साथ अपने अंदर के लोगों की जिम्मेदारी छोड़ दें।
क्या हम अपने अपने नागरिकों को भी इतना महत्व दे पा रहे हैं जितना दूसरे देशों को?
ये सब बाहरी ताकतों के साथ संबंध बनाने का नहीं बल्कि अपने अंदर के लोगों को शक्तिशाली बनाने का रास्ता होना चाहिए।
हमारे लिए सबसे बड़ा सहयोगी तो हमारे अपने लोग हैं।
nishath fathima
यह बहुत अच्छा है कि हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग कर रहे हैं लेकिन यह भी ध्यान देने योग्य है कि हमारे देश में अभी भी लाखों बच्चे शिक्षा से वंचित हैं। क्या इस पैसे का उपयोग घर के भीतर नहीं किया जा सकता?
DHEER KOTHARI
इतने बड़े कदम उठाने के बाद भी अगर हम अपने गाँवों में बिजली नहीं दे पा रहे तो ये सब एक बड़ा ड्रामा है 😅
vineet kumar
ये मुलाकातें वास्तव में राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं लेकिन उनकी वास्तविक गहराई तब आती है जब वे नागरिकों के जीवन में उतरती हैं। एक रेल प्रोजेक्ट या एक केबल नेटवर्क बस एक टूल है। असली जीत तब होती है जब एक छोटे शहर का लड़का जापानी भाषा सीखकर एक जापानी कंपनी में नौकरी पाता है।
या जब एक ग्रामीण छात्रा ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालय के ऑनलाइन कोर्स से डिजिटल सुरक्षा सीखती है।
ये सब नीतियाँ तो बहुत अच्छी हैं लेकिन उनका प्रभाव तब दिखता है जब वे बुनियादी जीवन के स्तर तक पहुँचती हैं।
हम जितना बाहर बढ़ते हैं उतना ही अंदर की ओर भी देखना होगा।
अन्यथा हम एक ऐसे घर की तरह हैं जिसका बाहरी दरवाजा नई लकड़ी से बना है लेकिन फर्श टूट रहा है।
क्या हम विकास को बाहर की ओर देख रहे हैं या अंदर की ओर?
संबंध बनाना तो आसान है लेकिन उन्हें जीवित रखना और उनका फायदा लेना तो असली काम है।
Deeksha Shetty
ये सब बस नाटक है। हमारे यहाँ लाखों बच्चे भूखे हैं और आप जापान के साथ रेलवे पर चर्चा कर रहे हैं? ये तो बेवकूफी है। इस बजट को खाने पर खर्च करो।
Ratna El Faza
मुझे लगता है ये सब बहुत अच्छा है। हमारे देश को दुनिया में अच्छी जगह मिलनी चाहिए। जापान और ऑस्ट्रेलिया अच्छे देश हैं। हमें उनके साथ अच्छा रिश्ता बनाना चाहिए।
Nihal Dutt
मुद्दा ये है कि ये सब जो बातें हो रही हैं वो बस टीवी पर दिखती हैं असल में हमारे यहाँ तो बिजली नहीं आती और ये सब बस एक धोखा है और मुझे लगता है कि ये सब बहुत बुरा है क्योंकि लोग इसमें विश्वास कर रहे हैं और ये बहुत खतरनाक है क्योंकि हम अपनी असली समस्याओं को भूल रहे हैं और ये बहुत बुरा है क्योंकि ये लोग अपने देश को बेच रहे हैं
Swapnil Shirali
क्वाड बस एक नया नाम है जिसके पीछे अमेरिका का नया अभियान है... और हम इसे अपनी सुरक्षा का बाज़ार बना रहे हैं।
मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल तो बहुत बढ़िया है... लेकिन इसके लिए जो जापानी ऋण है, उसकी ब्याज दर कितनी है? क्या हम इसे चुकाने के लिए अपने बच्चों को बेच रहे हैं?
ऑस्ट्रेलिया ने केबल कनेक्टिविटी सेंटर लॉन्च किया? अच्छा... लेकिन क्या उन्होंने हमें बताया कि उनके यहाँ कौन इस नेटवर्क का नियंत्रण करेगा?
हम अपने आप को एक बड़ी शक्ति बनाने की बजाय, एक बड़े देश का बाजार बन रहे हैं।
मैं तो इस बात को भूल गया कि हम अपने आप को क्या बनाना चाहते हैं।
हम एक शक्ति बनना चाहते हैं या एक अच्छा ग्राहक?
ये सब बहुत अच्छा लगता है... लेकिन अगर हम अपने आप को नहीं जानते तो ये सब बस एक अच्छा ड्रामा है।
हम अपने लोगों के लिए काम कर रहे हैं... या बस अपने नेताओं के लिए?
क्या हम अपने देश के लिए बाहर जा रहे हैं... या बस अपने लाभ के लिए?
मैं तो सोचता हूँ कि हम अपने अंदर की ओर देखें।
क्योंकि बाहर का दुनिया तो हमेशा बदलता रहेगा... लेकिन हमारी आत्मा तो हमारे अंदर है।
Upendra Gavale
भारत अब दुनिया का नया हीरो बन रहा है 😎 जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ ये बातचीत तो बहुत बड़ी बात है... अब हमारे यहाँ भी टेक्नोलॉजी और ट्रेनें आएंगी और हम सब जापानी बन जाएंगे 🤓
मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल तो अब बस एक दुनिया की तरह लग रही है... अब बस इंटरनेट और बिजली भी घर तक पहुँचे तो बहुत बढ़िया होगा 😅
क्वाड का मतलब है - क्वाड इन इंडिया!
abhimanyu khan
ये सभी द्विपक्षीय समझौते अत्यंत गौण हैं, क्योंकि वे राष्ट्रीय संप्रभुता के मूल सिद्धांतों के विरुद्ध हैं। भारत को अपने आप को एक वैश्विक नियंत्रण के अधीन नहीं बनाना चाहिए। ये समझौते राष्ट्रीय राजनीति के नियमों का उल्लंघन हैं।