IAS अधिकारी पूजा खेडकर पर फर्जी प्रमाणपत्रों के आरोप: जांच के तहत बर्खास्तगी और आपराधिक मामला दर्ज हो सकता है

IAS अधिकारी पूजा खेडकर पर फर्जी प्रमाणपत्रों के आरोप: जांच के तहत बर्खास्तगी और आपराधिक मामला दर्ज हो सकता है

पूजा खेडकर पर गंभीर आरोप

महाराष्ट्र कैडर की 2023 बैच की IAS अधिकारी पूजा खेडकर इस समय विवादों के घेरे में हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी प्रमाणपत्रों के माध्यम से अपनी नियुक्ति को सुरक्षित किया और नौकरी के दौरान विशेष सुविधाओं की मांग की। केंद्र सरकार ने इन आरोपों की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। इस समिति में एक अतिरिक्त सचिव स्तरीय अधिकारी भी शामिल हैं।

जांच की प्रक्रिया और संभावित परिणाम

समिति द्वारा जांच शुरू कर दी गई है और यह तय किया गया है कि दो सप्ताह के अंदर समिति अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। अगर पूजा खेडकर के प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाते हैं, तो उनकी नौकरी से बर्खास्तगी और उनके खिलाफ आपराधिक मुद्दे दर्ज हो सकते हैं। इसके अलावा, खेडकर पर अपने अधिकार का दुरुपयोग करने और विशेष सुविधाओं की मांग करने जैसे आरोप भी लगाए गए हैं।

विशेष सुविधाओं की मांग

खेडकर पर विशेष कार्यालय, स्टाफ और आवास की मांग करने का आरोप है। उन्होंने अपने निजी ऑडी वाहन पर लाल बत्ती और महाराष्ट्र सरकार का चिन्ह का उपयोग किया था, जो कि नियमों के खिलाफ है। इसके अलावा, उन्होंने दिव्यांग प्रमाणपत्र और ओबीसी प्रमाणपत्र के आधार पर विशेष सुविधाओं की मांग की थी, हालांकि उन्होंने मेडिकल जांच से इंकार किया था।

ओबीसी गैर-क्रीमी लेयर स्थिति सवालों के घेरे में

पूजा खेडकर के पिता की 40 करोड़ रुपये की संपत्ति भी उनके ओबीसी गैर-क्रीमी लेयर स्थिति पर सवाल खड़े कर रही है। ऐसे में, उनके ओबीसी प्रमाणपत्र की गंभीरता से जांच की जा रही है। अगर ये प्रमाणपत्र फर्जी पाए जाते हैं, तो खेडकर पर कड़ी कार्यवाही की जा सकती है।

प्रशिक्षण अवधि और स्थानांतरण

खेडकर ने 2023 में UPSC परीक्षा में 841वीं रैंक हासिल की थी और वर्तमान में वे 24 महीने की प्रोबेशनरी अवधि पर हैं। उन्हें पहले पुणे में सहायक कलेक्टर के रूप में नियुक्त किया गया था, लेकिन अब उनका स्थानांतरण वाशिम कर दिया गया है। उनके खिलाफ लगे आरोपों पर अंतिम निर्णय आने के बाद ही उनके भविष्य का निर्णय लिया जाएगा।

अधिकारियों की प्रतिक्रिया

उच्च अधिकारी पूरे मामले पर कड़ी नजर रखे हुए हैं और न्यायपूर्ण कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, केंद्र सरकार ने इसे तेजी से हल करने का आदेश दिया है।

आईएएस अधिकारियों की जिम्मेदारी

IAS अधिकारियों से हमेशा ईमानदारी, सत्यता और कर्तव्यनिष्ठा की उम्मीद की जाती है। अगर पूजा खेडकर के खिलाफ लगे आरोप सही साबित होते हैं, तो यह न केवल उनके व्यक्तिगत करियर को बर्बाद करेगा, बल्कि यह पूरे IAS समुदाय की प्रतिष्ठा के लिए भी हानिकारक होगा।

निष्कर्ष

निष्कर्ष

पूजा खेडकर का मामला एक महत्वपूर्ण उदाहरण है कि कैसे झूठे प्रमाणपत्रों और विशेष सुविधाओं की मांग करने का प्रयास गंभीर परिणामों तक ले जा सकता है। यह घटना प्रशासनिक सुधार और सख्त जांच प्रक्रियाओं की आवश्यकता को भी उजागर करती है। अगर खेडकर दोषी साबित होती हैं, तो यह प्रशासनिक सेवा में बेईमानी और फर्जीवाड़े के खिलाफ एक मजबूत संदेश होगा।

एक टिप्पणी लिखें