पावरप्ले में स्पिन की बढ़ती अहमियत
ग्लेन मैक्सवेल को जब भी मैदान पर देखो, वो सिर्फ बल्ले से ही नहीं, गेंद से भी कमाल दिखा रहे हैं। लेकिन अब 36 साल की उम्र में वो नई जिम्मेदारी उठाने को तैयार हैं—2026 T20 वर्ल्ड कप में पावरप्ले में गेंदबाजी करने की। भारत और श्रीलंका के सूखे विकेटों पर नई गेंद के साथ स्पिनर के रूप में अपनी उपयोगिता साबित करने के लिए मैक्सवेल धीरे-धीरे रणनीति बना चुके हैं। ODI फॉर्मेट से विदाई के बाद वे पूरी तरह T20 के लिए समर्पित हो गए हैं।
मैक्सवेल के इस प्लान की नींव 2023 ODI वर्ल्ड कप फाइनल में रखी गई थी, जब उन्होंने पावरप्ले में भारतीय कप्तान रोहित शर्मा को आउट कर ऑस्ट्रेलिया की किस्मत ही पलट दी थी। उस वक्त रोहित सेट थे और भारत ने धमाकेदार शुरुआत की थी। लेकिन मैक्सवेल की गेंदबाजी ने मोमेंटम पलट दिया और भारत की टीम 240 रन पर ही सिमट गई थी। ऑस्ट्रेलिया ने आसानी से चेज भी कर लिया था। इस सफलता के बाद ही उन्होंने पावरप्ले में गेंदबाजी को लेकर नई सोच बनाई।
मैक्सवेल की ताजा तैयारी और आंकड़े
अभी दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ चल रही T20 सीरीज में मैक्सवेल की प्रैक्टिस साफ दिख रही है। शुरुआती दो मैचों में उन्होंने पावरप्ले में दो-दो ओवर फेंके और तीन विकेट निकाल डाले—इनमें अफ्रीकी कप्तान एडेन मार्करम भी शामिल रहे, जिनका विकेट गिरते ही मैक्सवेल मैदान पर जोश से उछल पड़े। सिर्फ इस साल के आंकड़े देखें तो मैक्सवेल ने T20 में पावरप्ले के 21 ओवर गेंदबाजी करके आठ विकेट लिए और उनका इकॉनमी रेट 8 का रहा।
मैक्सवेल खुद अपनी गेंदबाजी को लेकर हमेशा हल्के फुल्के अंदाज में बात करते हैं—'मुझे खुद भी आश्चर्य होता है जब मुझे विकेट मिलती है। लेकिन जब टीम को जरूरत होती है, मैं अपना रोल निभाने की पूरी कोशिश करता हूं।' साफ है, उन्हें विकेट की प्यास है लेकिन उसका बोझ नहीं है। वो जानते हैं, सूखे उपमहाद्वीपीय विकेटों पर नई गेंद की हार्ड सीम स्पिनर के लिए और ज्यादा मददगार होगी।
मैक्सवेल का रोल सिर्फ गेंदबाजी तक सीमित नहीं है। वेस्टइंडीज के खिलाफ उन्होंने ओपनिंग की, फिर दक्षिण अफ्रीका सीरीज में छठे-सातवें नंबर पर बैटिंग भी की और अगले मैच में नंबर पांच पर आ गए। टीम को जो भी जिम्मेदारी दी, बिना सवाल उठाए निभाई।
2026 वर्ल्ड कप मैक्सवेल के लिए खास मौका है—T20 में वो अब अपने करियर का अंतिम वर्ल्ड कप खेल सकते हैं, उनके पास पहले से दो ODI और एक T20 वर्ल्ड कप ट्रॉफी हैं। अगर सब कुछ प्लान के मुताबिक चलता है तो पावरप्ले में उनका स्पिन ऑस्ट्रेलिया को चौंकाने वाला फायदा दे सकता है। और हां, नई गेंद से स्पिन का कमाल दिखाने के लिए मैक्सवेल को अब और किसी बड़े मौके की तलाश नहीं करनी पड़ेगी।
टिप्पणि (16)
Pratyush Kumar
मैक्सवेल की ये नई रणनीति सच में बहुत स्मार्ट है। पावरप्ले में स्पिन का इस्तेमाल तो अभी तक बहुत कम हुआ है, लेकिन उनकी गेंदों का टर्न और स्पीड का मिश्रण बल्लेबाजों को बेहद परेशान कर देता है। खासकर जब नई गेंद हो और विकेट सूखा हो, तो ये बिल्कुल बम है।
nishath fathima
यह बहुत अनैतिक है। एक बल्लेबाज को गेंदबाजी करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। यह खेल की नैतिकता के खिलाफ है। बल्लेबाज बल्लेबाज होते हैं, गेंदबाज गेंदबाज।
DHEER KOTHARI
वाह यार 😍 मैक्सवेल तो हमेशा से ही ऐसा ही है - जब टीम को जरूरत होती है तो वो कुछ भी कर देता है! बल्ला चलाए, गेंद फेंके, फील्डिंग में उछले - ये आदमी तो एक पूरा एक्शन मूवी है 🤘🏏
vineet kumar
इस रणनीति में एक गहरी तार्किकता है। पावरप्ले में नई गेंद की सीम बल्लेबाजों को रिस्की शॉट्स खेलने के लिए प्रेरित करती है। एक ऐसा गेंदबाज जो गेंद को घुमा सके, वो उन्हें फंसा सकता है। ये सिर्फ शॉर्ट-टर्म ट्रिक नहीं, बल्कि लंबे समय के लिए डिज़ाइन किया गया साइकोलॉजिकल वार है।
Deeksha Shetty
मैक्सवेल के आंकड़े देखो 8 का इकॉनमी रेट पावरप्ले में और आठ विकेट? ये नहीं हो सकता बिना धोखे के ये सब झूठ है
Ratna El Faza
मुझे लगता है ये बहुत अच्छा विचार है। टीम के लिए इतना लचीला खिलाड़ी मिल जाए तो क्या बात है। मैक्सवेल तो हमेशा से ही ऐसा ही करते रहे हैं।
Nihal Dutt
ये सब नियंत्रित फेक है... आप नहीं जानते लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने इन गेंदों को ट्रीट किया है और उन्हें जानबूझकर चिकना बनाया है... ये सब बाहरी दुश्मनों के खिलाफ एक षड्यंत्र है।
Swapnil Shirali
क्या आपने कभी सोचा है कि जब मैक्सवेल गेंदबाजी कर रहे हैं, तो उनके बल्लेबाजी के आंकड़े कम हो रहे हैं? ये तो बस एक चाल है - टीम को लगता है कि वो बहुत कुछ कर रहे हैं, लेकिन वास्तविकता ये है कि वो अपने बल्लेबाजी के रोल से भाग रहे हैं।
Upendra Gavale
दोस्तों, जिंदगी भी तो इसी तरह है - जब तक तुम एक चीज़ में फंसे रहोगे, तब तक तुम कुछ नया नहीं सीख पाओगे। मैक्सवेल ने बल्लेबाजी का बोझ उतार दिया और स्पिन की राह पर चल पड़े। ये तो जीवन का सबसे बड़ा सबक है 😌✨
abhimanyu khan
इस प्रयोग के वैज्ञानिक आधार की जांच की गई है? गेंद की सतह के विकृति गुणांक, वायु गतिकी, और विकेट के घर्षण गुणांक के बीच संबंध का क्या निष्कर्ष निकाला गया है? बिना डेटा के ये सब अंधविश्वास है।
Jay Sailor
ये सब बहुत अच्छा है, लेकिन क्या ऑस्ट्रेलिया के लिए ये बहुत ज्यादा आसानी से बन गया? हमारे खिलाड़ी तो अब तक भी अपने अपने रोल को नहीं समझ पाए। जब तक भारतीय खिलाड़ी अपने आप को बदल नहीं लेंगे, तब तक ये सब बस एक दूसरे के लिए बनाया गया नकली नमूना है।
Anindita Tripathy
मैक्सवेल की ये लचीलापन की भावना बहुत प्रेरणादायक है। टीम के लिए अपना रोल बदलना आसान नहीं होता, लेकिन वो ने बिना शिकायत के किया। ये वाकई एक असली लीडर की नीयत है।
Ronak Samantray
अगर ये अच्छा है तो फिर भारत के गेंदबाज क्यों नहीं कर रहे? ये सब फेक है। ऑस्ट्रेलिया ने किसी ने इसे बनाया है ताकि हम भारतीय टीम को डरा सकें।
Anil Tarnal
मैक्सवेल तो बस एक बल्लेबाज है, ये सब गेंदबाजी करने की बातें बस उसका एक नया ट्रेंड है। लेकिन जब वो बल्ला नहीं चला पाएगा, तो क्या होगा? उसके बल्लेबाजी के आंकड़े तो बहुत खराब हो रहे हैं।
Viraj Kumar
मैक्सवेल के इस फैसले को लेकर बहुत सारे लोग तारीफ कर रहे हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये एक खिलाड़ी के लिए अस्थायी और अनुचित भूमिका है? वह जो बल्लेबाजी के लिए बनाया गया है, उसे गेंदबाजी के लिए दबाव डालना उसकी पहचान को नष्ट करने जैसा है।
Pratyush Kumar
ऊपर वाले कमेंट को पढ़ा? मैं तो समझ गया कि कुछ लोग तो बस इसलिए बात करते हैं कि कुछ न कुछ नकारात्मक बात निकाल लें। मैक्सवेल ने जो किया है, वो एक टीम प्लेयर की सोच है। जब टीम को जरूरत हो, तो बल्ला भी उठा लेता है, गेंद भी फेंक देता है। ये तो असली लीडरशिप है।