गायघाटा के चंडीगढ़ स्पेशल कैडर एफपी स्कूल के गेट पर ताला लगा दिया गया। अभिभावकों ने तीनों शिक्षकों को अंदर ही बंद कर दिया — नहीं देना था बाहर निकलने का मौका। क्यों? क्योंकि जिला प्रशासन ने उन सभी को उत्तर 24 परगना जिला प्रशासन की ओर से मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के लिए बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) बना दिया था। अब कोई नहीं था जो कक्षाओं में पढ़ाए — 150 बच्चों के लिए तीनों शिक्षक चले गए।
पढ़ाई या चुनाव? अभिभावकों का दोहरा दर्द
ये घटना मंगलवार को शाम 11:30 बजे घटित हुई। अभिभावकों ने स्कूल के बाहर इकट्ठा होकर विरोध प्रदर्शन किया। कुछ ने गेट पर ताला लगा दिया, कुछ ने बच्चों की पढ़ाई के लिए एक शिक्षक की जरूरत की मांग की। "हम चुनावी काम के लिए शिक्षकों को नहीं रोक रहे, लेकिन हम अपने बच्चों की भविष्य के लिए रोक रहे हैं," एक अभिभावक ने कहा। उनका गुस्सा सिर्फ इस एक दिन का नहीं था — ये दर्द लंबे समय से जमा हो रहा था।
इस स्कूल में लगभग 150 छात्र हैं। आधिकारिक रिकॉर्ड के मुताबिक, केवल तीन शिक्षक हैं — और अब वे सभी BLO बन गए। ये नहीं है कि कोई अतिरिक्त शिक्षक उपलब्ध था। कोई नहीं। अभिभावकों ने बार-बार जिला शिक्षा अधिकारियों को लिखा, फोन किया, बैठकों में आवाज उठाई — पर कुछ नहीं हुआ। अब जब चुनावी काम के लिए उन्हें बुलाया गया, तो बच्चे बिना शिक्षक के रह गए।
शिक्षकों की कमी: एक छिपी हुई आपात स्थिति
ये सिर्फ एक स्कूल की बात नहीं है। उत्तर 24 परगना में करीब 40% स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। कुछ जगहों पर एक शिक्षक 3-4 कक्षाओं को एक साथ पढ़ाता है। बच्चे अक्सर खाली कक्षाओं में बैठे रहते हैं। जिला प्रशासन के अनुसार, शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया धीमी है — आयोग की अनुमति, बजट, आवंटन — सब कुछ लंबा चलता है।
लेकिन यहाँ क्या हो रहा है? चुनाव आयोग के निर्देशों के तहत, शिक्षकों को BLO बनाया जाता है क्योंकि वे स्थानीय लोगों को जानते हैं, रिकॉर्ड रखते हैं, और विश्वसनीय माने जाते हैं। लेकिन क्या ये उनकी एकमात्र भूमिका होनी चाहिए? क्या शिक्षा को चुनावी प्रक्रिया के लिए बलिदान किया जा सकता है? अभिभावकों का सवाल सीधा है: अगर शिक्षक बाहर हैं, तो बच्चे किसके पास जाएँ?
कोई जवाब नहीं, कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं
घटना के बाद भी कोई जिला शिक्षा अधिकारी सामने नहीं आया। कोई बयान नहीं, कोई बैठक नहीं, कोई वादा नहीं। शिक्षकों को अंदर बंद रखने के बाद भी जिला प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। अभिभावकों ने बताया कि उन्होंने पिछले छह महीनों में तीन बार शिक्षा विभाग को लिखा — हर बार जवाब आया: "प्रक्रिया चल रही है।"
एक अभिभावक ने कहा, "हमें लगता है कि ये स्कूल भूल गए हैं। ये बच्चे नहीं, बल्कि वो बार-बार आने वाले चुनाव ही हमारी प्राथमिकता हैं।" ये बात दर्द भरी है। शिक्षा एक अधिकार है — न कि एक चुनावी उपकरण।
क्या होगा अगले दिन?
अभिभावकों ने स्पष्ट किया है कि वे अपना विरोध जारी रखेंगे — जब तक कम से कम एक शिक्षक स्कूल में नहीं आ जाता। उन्होंने जिला प्रशासन को 48 घंटे का समय दिया है। अगर नहीं, तो वे स्कूल के बाहर एक अस्थायी शिक्षा व्यवस्था शुरू करेंगे — घरों से लेकर रास्ते तक, बच्चों को पढ़ाएंगे।
ये घटना अब सिर्फ गायघाटा की नहीं है। ये उत्तर 24 परगना, पश्चिम बंगाल, और शायद पूरे देश की एक चेतावनी है। जब शिक्षकों को चुनावी कामों में लगाया जाता है, तो शिक्षा बंद हो जाती है। और जब शिक्षा बंद होती है, तो भविष्य बंद हो जाता है।
पृष्ठभूमि: शिक्षकों को BLO क्यों बनाया जाता है?
चुनाव आयोग द्वारा शिक्षकों को BLO बनाने का तर्क ये है कि वे स्थानीय स्तर पर अच्छी तरह जानते हैं कि कौन-कौन मतदाता हैं, कहाँ रहते हैं, और किसके नाम में गलतियाँ हैं। इसलिए वे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के लिए आदर्श उम्मीदवार माने जाते हैं।
लेकिन ये नियम किसी भी स्कूल के लिए लागू नहीं होता। जहाँ शिक्षकों की संख्या पर्याप्त है, वहाँ उनमें से कुछ को BLO बनाया जाता है — बाकी शिक्षक अपने काम पर रहते हैं। लेकिन जहाँ शिक्षकों की कमी है — जैसे चंडीगढ़ स्पेशल कैडर एफपी स्कूल — तो सबको भेज दिया जाता है। और फिर बच्चे बचे नहीं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
इस घटना के बाद बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी?
अभिभावकों ने घोषणा की है कि अगर 48 घंटे में जिला प्रशासन शिक्षक नहीं भेजता, तो वे स्वयं एक अस्थायी शिक्षा व्यवस्था शुरू करेंगे — घरों से लेकर स्कूल के बाहर के मैदान तक। कुछ शिक्षित अभिभावक और स्थानीय युवाओं के साथ बच्चों को अभ्यास और बुनियादी विषय पढ़ाए जाएंगे।
क्या जिला प्रशासन ने कोई व्यवस्था बनाई है?
नहीं। जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से कोई आधिकारिक बयान या व्यवस्था जारी नहीं की गई है। इसके बावजूद, जिला प्रशासन ने चुनाव आयोग के लिए शिक्षकों को BLO बनाने का निर्णय लिया है — जिससे शिक्षा की अवहेलना हुई है।
क्या ये घटना सिर्फ इस स्कूल तक सीमित है?
नहीं। उत्तर 24 परगना में करीब 37 स्कूलों में शिक्षकों की संख्या आधिकारिक आवश्यकता से कम है। इनमें से 12 स्कूलों में एक या दो शिक्षक हैं। ऐसे स्कूलों में BLO नियुक्ति करना शिक्षा को नुकसान पहुँचाता है — ये सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि एक प्रचलित अनुशासन है।
चुनाव आयोग क्या कह रहा है?
चुनाव आयोग ने अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है। हालाँकि, उनके निर्देशों में ये स्पष्ट है कि BLO की नियुक्ति शिक्षा को प्रभावित नहीं करनी चाहिए। लेकिन जिला प्रशासन इस निर्देश को अनदेखा कर रहा है — जिससे बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ गया है।
टिप्पणि (20)
vishal kumar
शिक्षा एक अधिकार है न कि एक उपकरण। जब एक समाज अपने बच्चों के भविष्य को चुनावी प्रक्रिया के लिए बलिदान करता है तो वह अपने आप को ही नष्ट कर रहा होता है। यहाँ की व्यवस्था केवल एक असफलता नहीं बल्कि एक अपराध है।
Oviyaa Ilango
ये सिर्फ एक स्कूल की बात नहीं। ये पूरे देश की व्यवस्थागत असफलता है।
Aditi Dhekle
सामाजिक संरचना के अंतर्गत शिक्षक की भूमिका अब बूथ लेवल ऑफिसर बन गई है। ये निर्माण एक राजनीतिक व्यवस्था का उत्पाद है जिसमें शिक्षा की अवधारणा ही विकृत हो चुकी है। जिन लोगों को ज्ञान का स्रोत माना जाता है वे अब नागरिक रिकॉर्डिंग के लिए एक एजेंट बन गए हैं।
Aditya Tyagi
अभिभावकों को ताला लगाने का हौसला कहाँ से आया? ये तो बस अपने बच्चों के लिए बहाना बना रहे हैं। शिक्षक तो राष्ट्रीय सेवा में हैं। इन लोगों को समझ नहीं आता कि चुनाव क्यों जरूरी है।
pradipa Amanta
अभिभावकों का विरोध बेकार है। शिक्षकों को BLO बनाना ही सही फैसला है। बच्चे तो घर पर भी पढ़ सकते हैं।
chandra rizky
हम सबको ये बात समझनी होगी कि शिक्षा और चुनाव दोनों जरूरी हैं। लेकिन इन दोनों के बीच संतुलन बनाना ही सच्ची नेतृत्व की परीक्षा है। शायद अगले चुनाव में हम शिक्षकों के लिए अलग बूथ लेवल ऑफिसर नियुक्त कर सकते हैं। 🤝
Rohit Roshan
ये बात तो बहुत दिल दुखाती है। मैंने अपने गाँव में भी ऐसा ही देखा। एक शिक्षक तीन कक्षाओं को एक साथ पढ़ाता था। फिर वो BLO बन गया और स्कूल बंद। बच्चे अब खेल में लगे हुए हैं। लेकिन मैं विश्वास रखता हूँ कि अगर हम सब मिलकर आवाज उठाएँ तो कुछ बदलेगा। 💪
arun surya teja
शिक्षा का मूल्य एक समाज के विकास में अपरिहार्य है। जिला प्रशासन की इस अवहेलना को लंबे समय तक नजरअंदाज किया जाएगा तो यह एक राष्ट्रीय आपात स्थिति बन जाएगी। शिक्षा का अधिकार अनुच्छेद 21ए का हिस्सा है। इसकी उपेक्षा कानूनी रूप से चुनौती दी जा सकती है।
Jyotijeenu Jamdagni
ये सिर्फ शिक्षकों की कमी नहीं बल्कि एक विचारधारा की कमी है। हमने भूल गया है कि शिक्षक बच्चों के लिए आधार हैं। अब वो बस एक बुक के बराबर हो गए हैं जिन्हें जब चाहें उठा लें और जब चाहें रख दें। ये निर्माण एक दुर्भाग्यपूर्ण विकृति है।
navin srivastava
ये सब विदेशी ताकतों की साजिश है। चुनाव को अंधेरे में रखने के लिए वो शिक्षा को नष्ट कर रहे हैं। भारत के बच्चे तो अपने देश के लिए तैयार हो रहे हैं। अभिभावक भी बेवकूफ बन रहे हैं।
Aravind Anna
ये घटना बस शुरुआत है। जब तक हम शिक्षकों को चुनावी एजेंट नहीं बनने देंगे तब तक ये बात दोहराई जाएगी। अभिभावकों की आवाज सुनो। अगर आपके बच्चे के स्कूल में भी ऐसा हो रहा है तो अभी बोलो। ये सिर्फ एक स्कूल की बात नहीं। ये हमारी आने वाली पीढ़ी की लड़ाई है।
Rajendra Mahajan
एक दिन बच्चे जब बड़े होंगे तो याद आएगा कि जब शिक्षा बंद हुई तो किसने आवाज उठाई। जिला प्रशासन के इस निर्णय का इतिहास में निशान बन जाएगा। ये निर्णय एक अपराध है। शिक्षा का अधिकार अनुच्छेद 21ए के तहत नहीं बल्कि नैतिक दायित्व का हिस्सा है।
ANIL KUMAR THOTA
शिक्षकों को BLO बनाने का तर्क तो सही है लेकिन इसका असर बच्चों पर हो रहा है। इस बात को समझना जरूरी है।
VIJAY KUMAR
ये सब एक बड़ा साजिश है। चुनाव आयोग और जिला प्रशासन ने मिलकर शिक्षा को बंद करने की योजना बनाई है। अभिभावकों को ताला लगाने का हौसला इसलिए हुआ क्योंकि वो जानते हैं कि शिक्षा को नष्ट करने के बाद अगला लक्ष्य वो हैं। 😈 #चुनाव_की_साजिश
Manohar Chakradhar
मैंने भी एक छोटे से गाँव में शिक्षक के रूप में काम किया था। जब हमें BLO बनाया गया तो हमारे स्कूल में दो हफ्ते बच्चे खाली कक्षाओं में बैठे रहे। लेकिन फिर हमने अपने घरों से पढ़ाना शुरू कर दिया। अभिभावकों ने खुद भी शिक्षा का जिम्मा ले लिया। ये नहीं कि शिक्षा बंद हो गई। ये बस बदल गई।
LOKESH GURUNG
ये सब बहुत बुरा है। लेकिन अभिभावकों को ताला लगाने का हौसला कहाँ से आया? ये तो अपराध है। शिक्षकों को बुलाने के लिए जिला प्रशासन को दोषी ठहराना चाहिए। ये बच्चों के भविष्य के लिए बहाना बना रहे हैं। 🤬
Aila Bandagi
मैं अभिभावक हूँ। मेरा बेटा इसी स्कूल में पढ़ता है। अगर शिक्षक नहीं आए तो मैं खुद उसे पढ़ाऊँगी। हम सब मिलकर कर सकते हैं। ये बस एक शुरुआत है।
Abhishek gautam
ये घटना एक विशाल निराशा का प्रतीक है। जब एक समाज अपने बच्चों के भविष्य को एक चुनावी प्रक्रिया के लिए बलिदान करता है तो वह अपने आप को ही नष्ट कर रहा होता है। शिक्षा का मूल्य नहीं बल्कि इसका अर्थ भूल गए हैं। ये एक ऐसा समय है जब भावनाएँ अपने आप को तर्क के रूप में दर्शाती हैं। अभिभावकों का विरोध एक अन्तर्निहित आक्रोश का प्रकटीकरण है। ये नहीं कि वे शिक्षकों के खिलाफ हैं। ये नहीं कि वे चुनाव के खिलाफ हैं। ये एक व्यवस्था के खिलाफ हैं जो बच्चों को निराशा की ओर धकेल रही है।
Imran khan
मैंने अपने गाँव में एक अस्थायी स्कूल शुरू किया था जब शिक्षक बाहर गए थे। हमने घरों से लेकर बगीचे तक पढ़ाया। ये बहुत मुश्किल था लेकिन संभव था। अभिभावकों के लिए ये एक आदर्श हो सकता है।
Neelam Dadhwal
ये तो बहुत बुरा है। जिला प्रशासन के इस अपराध को देखकर दिल टूट गया। ये बच्चों के भविष्य को बर्बाद कर रहा है। अभिभावकों का विरोध बहुत सही है। ये अपराधी लोगों को सजा दी जानी चाहिए।