राहुल गांधी के खिलाफ विनीत जिंदल की शिकायत
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ अमेरिकी दौरे के दौरान दिए गए विवादास्पद बयानों पर वकील विनीत जिंदल ने शिकायत दर्ज कराई है। गणेशकूब सामने आई इस शिकायत में जिंदल ने आरोप लगाया है कि गांधी ने अपने भाषण में ऐसी बातें कहीं हैं जो समुदायों में विभाजन और नफरत फैलाने का प्रयास करती हैं। यह शिकायत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के महासचिव सदानंद दाते और दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा को संबोधित की गई है।
गांधी का बयान और विवाद
शिकायत के अनुसार, राहुल गांधी ने 9 सितंबर 2024 को भारतीय प्रवासी कांग्रेस द्वारा अमेरिका में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान जनता से बातचीत की थी। विनीत जिंदल का आरोप है कि गांधी ने इस बातचीत में कुछ ऐसे बयान दिए जो सिख समुदाय में भारतीय सरकार और देश के प्रति नफरत फैलाने वाले थे। गांधी ने अपने बयान में कहा था कि यह लड़ाई इस बात की है कि क्या सिख भारत में पगड़ी पहन सकते हैं या गुरुद्वारे जा सकते हैं।
जिंदल का मानना है कि गांधी द्वारा दिए गए ये बयान न केवल भड़काऊ हैं, बल्कि सामाजिक समरसता और आंतरिक सुरक्षा को खतरे में डाल सकते हैं। शिकायत में यह भी जिक्र किया गया है कि प्रतिबंधित खालिस्तानी आतंकवादी संगठन 'सिख फॉर जस्टिस' ने गांधी के बयानों का समर्थन किया है, जिससे देश में सिख समुदाय के बीच नफरत फैलाने की संभावना बन सकती है। जिंदल ने कहा कि गांधी के बयान खालिस्तानी चरमपंथियों को भी समर्थन के रूप में देखे जा सकते हैं।
शिकायत में उठाए गए मुद्दे
विनीत जिंदल ने शिकायत में यह भी अनुरोध किया है कि राहुल गांधी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 152, 196, 299 और 353 के तहत प्राथमिकी दर्ज की जाए। इन धाराओं के तहत साम्प्रदायिक नफरत भड़काने और सरकारी कार्यों में बाधा पहुंचाने का मामला दर्ज किया जा सकता है। इसके साथ ही, जिंदल ने गांधी का पासपोर्ट निरस्त करने और उनके भविष्य के विदेश दौरों पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
इस शिकायत से यह स्पष्ट होता है कि राहुल गांधी के बयानों पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। इससे पहले भी उनके बयानों को लेकर विवाद होते रहे हैं, लेकिन इस मामले में स्थिति और संवेदनशील हो गई है क्योंकि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी सवाल उठ सकते हैं। जिंदल की इस शिकायत पर क्या कार्रवाई होती है, यह देखने वाली बात होगी।
गणेशकूब की स्थिति
यह विवाद उस समय का है जब देश में गणेशकूब पर्व की चहल-पहल चल रही है। एक ओर जहां भक्त पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ गणेशकूब का स्वागत कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इस राजनीतिक विवाद ने माहौल को गर्म कर दिया है। गणेशकूब के इस पर्व पर यह देखना अहम होगा कि राजनीतिक दल और उनके नेता कैसी प्रतिक्रिया देते हैं।
आखिरकार, इस शिकायत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राजनीति में दिए गए बयान कितने मायने रखते हैं और उनका प्रभाव कितना व्यापक हो सकता है। जब कोई नेता सार्वजनिक मंच पर ऐसी बातें करता है, तो उसका असर केवल दो-तीन लोगों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि पूरे समाज और देश पर पड़ता है।
एक टिप्पणी लिखें