हिमाचल प्रदेश ने लॉटरी को फिर से शुरू कर ₹1 लाख करोड़ ऋण संकट से निपटेगा

हिमाचल प्रदेश ने लॉटरी को फिर से शुरू कर ₹1 लाख करोड़ ऋण संकट से निपटेगा

लॉटरी पुनरुद्धार का कारण और अपेक्षित राजस्व

हिमाचल प्रदेश की वर्तमान वित्तीय स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने 31 जुलाई 2025 को 26 साल पुराने लॉटरी प्रतिबंध को समाप्त करने का निर्णय लिया। इस कदम का मूल कारण है राज्य का बढ़ता ऋण बोझ, जो अब ₹1 लाख करोड़ से भी अधिक हो गया है। वित्त विभाग ने एक विस्तृत प्रस्तुति में बताया है कि लॉटरी से वार्षिक ₹50‑₹100 करोड कमा सकते हैं, जो सूखे‑गहरी घाटे को कम करने में मदद करेगा।

बंद शर्तें 1999 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमाल द्वारा लगाई गई थीं, जब कई लोगों को बड़े पैमाने पर आर्थिक नुकसान हुआ था। तब लॉटरी (नियमन) अधिनियम, 1998 की धारा 7, 8, और 9 के तहत प्रतिबंध लगाए गए थे। अब कांग्रेस सरकार, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखु के नेतृत्व में, इसे एक वैध राजस्व स्रोत बनाने की कोशिश कर रही है, जबकि तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्मानी ने कहा है कि ऑनलाइन और ऑफलाइन जुए का नियंत्रण केंद्र सरकार के पास नहीं है, पर राज्य‑चलित लॉटरी पूरी तरह नियमों के तहत होगी।

राजस्व अनुमान तैयार करने में संसाधन जुटाव समिति के प्रमुख उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री के विचार महत्वपूर्ण रहे। उन्होंने कहा, “हमें ऐसे स्थायी स्रोत चाहिए जो करों पर अतिरिक्त बोझ न डाले और साथ ही नागरिकों को भरोसेमंद अवसर प्रदान करे।”

अन्य राज्यों के अनुभव और हिमाचल प्रदेश की राह

अन्य राज्यों के अनुभव और हिमाचल प्रदेश की राह

केरल ने लॉटरी से सालाना ₹13,582 करोड़ से अधिक कमाए हैं, जो भारत में सबसे बड़ा राजस्व है। पंजाब, महाराष्ट्र, और सिख़िम जैसे छोटे‑छोटे राज्य भी लॉटरी से क्रमशः ₹235 करोड़ और ₹30 करोड़ कमा रहे हैं। ये आंकड़े हिमाचल प्रदेश के लिए एक स्पष्ट संकेत देते हैं कि सही ढंग से संचालित लॉटरी कितनी आय ला सकती है।

परन्तु इस कदम को लेकर विरोधी दलों की आवाज़ें भी तेज़ हैं। भाजपा ने कहा है कि लॉटरी पुनरुद्धार का मकसद केवल राजस्व बढ़ाना नहीं, बल्कि जनसुविधा से जुड़े संभावित दुरुपयोग को भी छुपाना है। उनका दावा है कि ऐसा कदम निरपेक्ष नहीं, बल्कि चुनावी समय में लोकप्रियता बढ़ाने का साधन हो सकता है।

इंटरनेट जुए की अतिक्रमण को देखते हुए, उद्योग मंत्री हर्षवधन चौहान ने कहा, “जैसे कई राज्य लॉटरी से स्थायी आय उत्पन्न कर रहे हैं, हमें भी इस मॉडल को अपनाना चाहिए, ताकि निचली स्तर की जुए की समस्या को नियंत्रित किया जा सके।”

लॉटरी पुनरुद्धार के बाद राज्य सरकार ने कई व्यवस्थात्मक कदम उठाने का इरादा जताया है: प्रथम, एक पारदर्शी टिकट प्रिंटिंग और बिक्री प्रणाली स्थापित करना; द्वितीय, डाटा एनालिटिक्स के माध्यम से अवैध प्रैक्टिस की निगरानी; तथा तृतीय, लाभ के एक हिस्से को सामाजिक कल्याण एवं आपदा राहत में पुनः निवेश करना।

  • लॉटरी आय का 40% सीधे राज्य को जाएगा।
  • शेष 60% को सामाजिक सुरक्षा, शिक्षा, और स्वास्थ्य योजनाओं में उपयोग किया जाएगा।
  • हर वर्ष एक स्वतंत्र ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी।

हिमाचल प्रदेश में हाल ही में हुए भू-स्खलन और बाढ़ की वजह से नुकसान की भरपाई के लिए फंड की कमी है। इसको देखते हुए लॉटरी का पुनरुद्धार न केवल राजस्व बढ़ाने का उपाय है, बल्कि आपदा पुनर्निर्माण की त्वरित पूर्ति का भी साधन बन सकता है। कई स्थानीय व्यवसायी और छोटे‑व्यापारी इस पहल से उम्मीद जताते हैं कि लॉटरी टिकट की बिक्री के साथ साथ अतिरिक्त रोजगार भी सृजित होंगे।

बाजार में लॉटरी के पुनरुत्थान को लेकर जनता का रवैया मिश्रित है। कुछ लोग इसे रोज़मर्रा की आर्थिक जरूरत के समाधान के रूप में देख रहे हैं, जबकि अन्य इसे एक प्रकार की “विचित्र” आय का साधन मान रहे हैं। हिमाचल प्रदेश लॉटरी के बारे में सोशल मीडिया पर चर्चा तेज़ी से बढ़ी है, और कई विशेषज्ञों ने कहा है कि सावधानीपूर्वक नियमन के बिना इस योजना के कई जोखिम हो सकते हैं।

टिप्पणि (5)

  1. Keshav Kothari
    Keshav Kothari
    23 सित॰, 2025 AT 23:33 अपराह्न

    ये सब नया नहीं है भाई। 90s में भी ऐसा ही हुआ था, फिर लोगों के जीवन बर्बाद हुए। अब फिर से वही गलती कर रहे हो। लॉटरी से राजस्व नहीं, बल्कि जनता का भरोसा बर्बाद हो रहा है। और फिर जब लोग बेकार हो जाएंगे, तो सरकार कहेगी - 'हमने तो सामाजिक कल्याण में पैसा डाला!' 🤡

  2. Rajesh Dadaluch
    Rajesh Dadaluch
    24 सित॰, 2025 AT 00:43 पूर्वाह्न

    लॉटरी चलाओ, पैसा आएगा। समाप्त।

  3. Pratyush Kumar
    Pratyush Kumar
    24 सित॰, 2025 AT 12:00 अपराह्न

    देखो, ये बात असल में दो पहलुओं की है। एक तरफ राज्य के ऋण का बोझ, दूसरी तरफ गरीब लोगों की उम्मीदें। केरल का मॉडल काम कर रहा है क्योंकि वहां नियम सख्त हैं। हिमाचल में अगर टिकट प्रिंटिंग, ऑडिट, और लाभ वितरण में पारदर्शिता नहीं आएगी, तो ये बस एक और धोखा होगा।

    मैंने देखा है कि छोटे दुकानदार अब टिकट बेचने के लिए तैयार हैं - ये रोजगार का एक छोटा सा अवसर है। लेकिन अगर कोई बच्चा अपनी बचत लॉटरी में डाल दे, तो क्या होगा?

    हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि जब तक आर्थिक असुरक्षा बनी रहेगी, लॉटरी एक आशा का बहाना बनी रहेगी। इसलिए ये सिर्फ एक राजस्व योजना नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी का परीक्षण है।

    अगर सरकार वास्तव में चाहती है कि ये काम करे, तो एक नागरिक अवलोकन समिति बनाए - जिसमें शिक्षक, महिला समूह, और ग्रामीण व्यापारी हों।

    और हां, ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक होनी चाहिए - न कि एक्सेल फाइल में छुपी हुई।

  4. nishath fathima
    nishath fathima
    24 सित॰, 2025 AT 23:38 अपराह्न

    यह बहुत गलत है। लॉटरी एक अश्लील और अनैतिक व्यवसाय है जो गरीबों को धोखा देता है। भगवान के नाम पर नहीं, बल्कि सरकार के नाम पर यह अपराध जारी है। यह राज्य की नैतिकता को नीचा दिखाता है। मैं इसका विरोध करती हूं।

  5. DHEER KOTHARI
    DHEER KOTHARI
    25 सित॰, 2025 AT 07:50 पूर्वाह्न

    मैं तो समझता हूं कि ये सब बहुत जटिल है 😅

    लेकिन अगर ये टिकट बेचकर गांवों में लोगों को थोड़ा भी आय मिल जाए, तो शायद ये एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

    मैंने अपने चाचा को देखा है - वो हर हफ्ते एक टिकट खरीदते हैं, और अगर उन्हें थोड़ा भी मिल जाए, तो बच्चों के लिए दूध या दवा खरीद लेते हैं।

    अगर सरकार इसे बहुत सावधानी से चलाएगी - जैसे ऑडिट, नियम, और बच्चों के लिए प्रतिबंध - तो ये शायद एक अच्छा फैसला हो सकता है।

    क्योंकि जब तक हम गरीबी को नहीं हटाएंगे, तब तक लोग अपनी उम्मीदों को लॉटरी में लगाएंगे। 🤞

    लेकिन बस एक बात - अगर कोई टिकट बेचने वाला ठग बन जाए, तो उसके खिलाफ कड़ी सजा होनी चाहिए। 🚨

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