भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट
28 नवंबर 2024 को भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई। बीएसई सेंसेक्स 1,156.42 अंक गिरकर 78,791.89 पर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी 352.25 अंक गिरकर 23,705.55 पर पहुंच गया। यह गिरावट भारतीय निवेशकों और व्यापार समुदाय के लिए चिंताजनक साबित हो रही है, जो पहले से ही वैश्विक आर्थिक परिदृश्य के चलते सतर्क थे।
अदानी ग्रुप की एसईसी आरोप की घटना
इस संगीन गिरावट के मुख्य कारणों में अदानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदानी के खिलाफ अमेरिकी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) द्वारा रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के मामले में आरोप लगाया जाना शामिल है। एसईसी ने कहा कि गौतम अदानी, सागर अदानी और अजुर पावर ग्लोबल लिमिटेड के एक विवरणिक, सिरिल कब्वेन्स ने अमेरिकी निवेशकों को अदानी ग्रीन की प्रेसिंजेंसी योजना के बारे में गलत जानकारी दी। इस खबर का असर अदानी ग्रुप के शेयरों पर भी हुआ, जिसने बाजार की स्थिरता में सेंध लगाई।
अदानी ग्रुप के शेयरों की स्थिति
इसका व्यापक असर अदानी ग्रुप की कंपनियों पर भी देखा गया। अदानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड का शेयर 7.90% की कमी के साथ ₹1,055.80 पर ट्रेड कर रहा है। अदानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने 2.57% की गिरावट दर्ज की, और उसका शेयर ₹2,126.50 पर बंद हुआ। अदानी पावर लिमिटेड का शेयर ₹460.10 पर बंद हुआ, जिसकी कीमत में 3.37% की कमी आई। अदानी पोर्ट्स और स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड में भी 3.58% की कमी देखी गई, और इसका शेयर ₹1,074.80 पर बंद हुआ। अंततः, अदानी विल्मर लिमिटेड का शेयर ₹284.10 और अदानी टोटल गैस लिमिटेड ₹588.50 पर बंद हुए, दोनों में क्रमशः 3.52% और 2.30% की कमी आई।
एसईसी के आरोपों का प्रभाव
एसईसी के एक्टिंग डायरेक्टर ऑफ एनफोर्समेंट, संजय वाधवा ने कहा कि कानून का उल्लंघन करने वालों, खासकर वरिष्ठ कॉर्पोरेट अधिकारियों और निदेशकों को जवाबदेह ठहराना अति आवश्यक है। इस बयान से स्पष्ट है कि वैश्विक स्तर पर कॉर्पोरेट गवर्नेंस और विनियामक जांच का दबाव बढ़ रहा है। विशेष रूप से भारत जैसे देश में, जहां कॉर्पोरेट पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता अब मजबूत हो रही है।
इन घटनाओं के मद्देनजर, बाजार के विशेषज्ञ और विश्लेषक निवेशकों को समझाने के लिए आगे आ रहे हैं कि इस मुश्किल घड़ी में सतर्क और सूचनात्मक निवेश निर्णय लेना चाहिए। निवेशकों के बीच अस्थिरता और बाजार के प्रति विश्वास की कमी संभावित रूप से दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकती है। ऐसे में बाजार की गति और सुरक्षा का पुनर्निर्माण समय की मांग है।
वर्तमान घटनाक्रम भारतीय कारपोरेट जगत के लिए चेतावनी है कि किसी भी प्रकार की कदाचारित गतिविधियां दूरगामी परिणाम ला सकती हैं और इस दिशा में तत्काल सुधार की आवश्यकता है। निवेशकों को जिस तरह से अपनी पूंजी की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए, वहीं कंपनियों को भी अपने व्यापारिक नैतिकता और अक्षरशः पारदर्शिता पर ध्यान देना चाहिए।
बाजार में इस प्रकार की गिरावट ने निवेशकों के साथ-साथ कंपनियों के सामने भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह है कि अदानी ग्रुप इन आरोपों से कैसे उबरता है और निवेशकों का विश्वास कैसे पुनः प्राप्त करता है। इस घटनाक्रम के पश्चात, यह देखना होगा कि भारत के अन्य कारोबारी और कॉर्पोरेट समूह क्या कदम उठाते हैं ताकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि को बनाए रखा जा सके।
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