गुल्लक का चौथा सीजन: पुराने अंदाज में नया मजा
गुल्लक का चौथा सीजन अपनी पुरानी यादों और नई कहानियों के संगम के साथ वापस आ गया है। निर्माताओं ने इस बार भी दर्शकों को शो की मूल भावना से जोड़ने में कामयाबी पाई है। यह सीरीज़ महज पांच एपिसोड में बहुत कुछ कह जाती है, जिससे यह और भी खास बन जाती है।
मिश्रा परिवार का हृदयस्पर्शी रिश्ता
मुख्य परिवार, यानी मिश्रा परिवार, में तत्व आभूषण की तरह चमकते हैं। संतोष (जमीली खान) और शांति (गीतेनजली कुलकर्णी) के बीच की केमिस्ट्री शो की जान है। उनकी जिंदगी की छोटी-बड़ी मुश्किलें, जैसे अवैध ढांचे का निर्माण, चेन छीनना, और 'एडल्टिंग' के संघर्ष, इस सीरीज़ में बहुत ही सजीवता से दिखाए गए हैं। उनके बेटों अन्नू (वैभव राज गुप्ता) और अमन (हर्ष मायार) के भी संघर्ष और हास्य के पल दर्शकों के दिल को छू जाते हैं।
मिलकर मतभेटों का सिलसिला
इस सीजन में मिश्रा परिवार की जिंदगियों में छोटे-छोटे लेकिन महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया गया है। अवैध ढांचे का निर्माण, चेन छीनने की घटनाएं, और ऊपरी सामाजिक स्थिति के संघर्ष, इन सबमें रोजाना की ज़िंदगी की झलक है।
गुल्लक की खासियत है कि यह गंभीर समस्याओं को भी इतनी सहजता से दिखाता है कि कहीं न कहीं हम उन घटनाओं में अपने जीवन का अक्स देख पाते हैं।
हास्य और गंभीरता का अनूठा मिश्रण
हर एपिसोड में यह सुनिश्चित किया गया है कि हंसी और गंभीरता का संतुलन बना रहे। लगातार संघर्ष के बावजूद मिश्रा परिवार की हास्यपूर्ण जिन्दगी और उनका एक-दूसरे के प्रति असीम प्रेम ही शो की शक्ति है। शो में बिना किसी दिखावे के, सच्चे, प्रभावी संवाद यथार्थता का अनुभव कराते हैं।
वास्तविकता से भरपूर कहानियाँ
इस सीजन में भी सभी पात्रों की हकीकत भरी कहानियों को पूरी संवेदनशीलता के साथ पेश किया गया है। शो में छोटी-छोटी बातों को बड़े ही खूबसूरत अंदाज में पेश किया गया है, जिससे दर्शक खुद को उनसे जोड़ पाते हैं।
संयुक्त परिवार की परिभाषा को नई पीढ़ी के परिवेश में दिखाने के लिए 'गुल्लक' ने एक नया मार्ग तैयार किया है। इसमें यह सुनिश्चित किया गया है कि हर सदस्य की व्यक्तिगत यात्रा को पूरी संवेदनशीलता और प्रेम के साथ दिखाया जाए।
निर्माणी कला की श्रेष्ठता
निर्माता और निर्देशक श्रेयांश पांडे की आत्मीयता और मेहनत इस शो में हर कदम पर दिखाई देती है। पटकथा, निर्देशन और अभिनय की कारीगरी को बखूबी दर्शाया गया है। कलाकारों के अभिनय में इतनी सहजता है कि वह दृश्य को और भी प्रभावी बना देते हैं।
नवल और यथार्थता की इस धारावाहिक में अनूठी विशेषता है, जो एक समय पर हमें हंसाती भी है और रुलाती भी। यह एक प्रकार का आइना है, जिसमें हम अपने आप को, अपने परिवार को और अपने समाज को देख पाते हैं।
गुल्लक का चौथा सीरीज एक तरह से हमारे दैनिक जीवन का प्रतिबिंब है, जिसमें ऊहापोह, हँसी, दर्द और सजीवता का अनूठा मिश्रण है।
टिप्पणि (8)
Rahul Rock
ये शो तो बस जीवन का एक आईना है। जब भी देखता हूँ, लगता है जैसे मेरे घर का कोई दृश्य चल रहा हो। संतोष और शांति का रिश्ता तो दिल को छू जाता है।
कोई नाटक नहीं, कोई ड्रामा नहीं, बस असली ज़िंदगी।
Annapurna Bhongir
अन्नू का किरदार बहुत ज्यादा भावुक है। इतना अतिरंजित क्यों? ये सब बनावटी लगता है।
PRATIKHYA SWAIN
बहुत अच्छा। देखो और बात करो।
MAYANK PRAKASH
अन्नू के लिए वैभव राज गुप्ता का अभिनय तो बहुत बढ़िया है। लेकिन अमन के डायलॉग्स थोड़े धीमे पड़ गए हैं। उनकी आवाज़ में ज़रा ज़ोर नहीं है।
और हाँ, चेन छीनने का दृश्य? वो तो मैंने अपने दादा के घर में देखा था। बिल्कुल वैसा ही।
Akash Mackwan
ये शो तो बस एक बार देख लो, फिर बंद कर दो। इतना लंबा चलाने की जरूरत क्या थी? चार सीज़न? ये तो एक एपिसोड में ही सब कुछ बता देते।
अब तो बस एक नया शो बनाओ जिसमें बिना बाप-बेटे के लड़ाई के भी चले।
और जमीली खान की आवाज़? उसे एक बार ज़ोर से बोलने दो। बस एक बार।
Amar Sirohi
इस शो के माध्यम से हम देख रहे हैं कि एक संयुक्त परिवार कैसे एक जीवित व्यवस्था के रूप में काम करता है, जहाँ प्रत्येक सदस्य की व्यक्तिगत यात्रा एक बड़े सामाजिक नेटवर्क के अंतर्गत समाहित होती है।
यह एक ऐसा दर्पण है जो हमारे अंदर के सामाजिक अनुकूलन के स्तर को दर्शाता है - जहाँ छोटी-छोटी बातें, जैसे चेन छीनना या अवैध ढांचे का निर्माण, वास्तविकता के अस्तित्व को निरूपित करती हैं।
हम अपने आप को इन चरित्रों में देखते हैं क्योंकि हम भी उन्हीं सामाजिक नियमों के अधीन हैं - जो बिना शब्दों के समझे जाते हैं।
यह शो केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि एक सामाजिक अध्ययन है, जिसमें हास्य और दुःख का संगम एक ऐसी गहराई लाता है जो आधुनिक टीवी पर अब दुर्लभ है।
हम जो भी अनुभव करते हैं, वह इस शो में एक अतिरिक्त अर्थ के साथ परावर्तित होता है।
यह एक ऐसा शो है जो आपको बस देखने के लिए नहीं, बल्कि जीने के लिए भी बुलाता है।
हर एपिसोड एक नए तरीके से आपको यह बताता है कि आप कौन हैं और आप कहाँ हैं।
इस तरह की कहानियाँ अब नहीं बन रहीं, क्योंकि हम अपने असली जीवन को भूल गए हैं।
गुल्लक ने हमें याद दिलाया कि जिंदगी में जो छोटी चीजें हैं, वही सबसे बड़ी होती हैं।
और जब आप इन छोटी चीजों को देखते हैं, तो आप अपने आप को एक नए आईने में देखते हैं।
यह शो बस एक टीवी शो नहीं है, यह एक अनुभव है।
Nagesh Yerunkar
मैंने ये शो देखा। बहुत बुरा। 😔
पूरा शो बस एक बड़ा झूठ है। 🤡
क्या कोई इतना असली परिवार देखा है? 😅
मैं तो अपने घर में चेन छीनने के बजाय बिजली का बिल लड़ता हूँ। 😠
और जमीली खान? उनका अभिनय तो बिल्कुल बोरिंग है। 😴
इतना ड्रामा क्यों? जिंदगी तो इतनी सीधी है। 🤷♂️
ये शो बस एक बड़ा फेक न्यूज़ है। 📉
Daxesh Patel
अन्नू के बारे में बात कर रहे हो? उसके कुछ डायलॉग्स में टाइपो लगते हैं - जैसे एक जगह 'एडल्टिंग' लिखा है, लेकिन शायद 'एडल्टिंग' की जगह 'एडल्टिंग' ही ठीक है? 😅
अगर ये शो असली ज़िंदगी दिखाता है, तो बहुत सारे बातें बिल्कुल ठीक हैं - जैसे चेन छीनना या घर का बजट लेकर झगड़ा।
लेकिन अगर ये एक दस्तावेज़ी शो है, तो कुछ बातें थोड़ी ज़्यादा नाटकीय लगती हैं।
और शांति की आवाज़? उनका एक डायलॉग बहुत धीमा था, शायद माइक नहीं था? 😅
अगर कोई इस शो के लिए रिसर्च करे, तो ये बहुत अच्छा डॉक्यूमेंट्री बन सकता है।