खोजने के लिए एंटर दबाएँ या बंद करने के लिए ESC दबाएँ
अमेरिकन फेडरल रिजर्व, यानी यूएस फेड, जब भी अपने मौद्रिक नीति के बारे में कुछ नया बताता है, हमारे देश के शेयर बाजार, मुद्रा और गोल्ड की कीमतें जल्दी से प्रतिक्रिया देती हैं। तो आज हम समझते हैं कि फेड की मुख्य कार्यवाहियाँ क्या हैं, उन पर कैसे नजर रखनी चाहिए और उनसे हमारे निवेश को कैसे बचाया या फायदा उठाया जा सकता है।
फेड के पास तीन मुख्य टूल हैं – बेंचमार्क ब्याज दर (फेड फंड्स रेट), बैंकों के लिए रिज़र्व आवश्यकताएँ और खुले बाजार ऑपरेशन्स (ओपीए)। हर 6‑8 हफ़्ते में फेडरल ओपन मार्केट कमिटी (FOMC) मिलती है और दरों में बदलाव या भविष्य के संकेत देती है। यदि फेड दर बढ़ाता है, तो डॉलर मजबूत होता है, भारत में पूँजी बहिर्वाह बढ़ सकता है, और रुपिया थोड़ा दबाव महसूस कर सकता है। वहीं अगर दर घटती है, तो अक्सर भारतीय स्टॉक्स में विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ता है।
2025 की शुरुआत में फेड ने अपनी वार्षिक बैठक में बताया कि महँगी दरों के बावजूद, महंगाई में धीरे‑धीरे गिरावट देखी जा रही है। इसलिए उन्होंने मौजूदा दर को 5.25% पर स्थिर रखा, लेकिन अगले क्वार्टर में हल्की कटौती की संभावना जताई। इसका मतलब है कि अगले 3‑6 महीने में डॉलर की मौज‑मस्ती थोड़ी घट सकती है, जिससे भारतीय निर्यातियों को फायदेमंद मूल्य मिल सकता है।
इसी के साथ फेड ने अपने पूर्वानुमान में कहा कि 2025 के मध्य तक संयुक्त राज्य में रोजगार का ग्रोथ धीरे‑धीरे सस्ते होने की ओर है। यह जानकारी भारत में बड़े कंपनियों के विदेशी फंडिंग पर भी असर डालती है, क्योंकि निवेशक अब जोखिम को कम करके सुरक्षित सेक्टरों में पैसा लगाना पसंद कर सकते हैं।
सिर्फ यही नहीं, फेड की ब्याज दर नीति का असर हमारे घरेलू ऋण पर भी पड़ता है। जब फेड की दर घटती है, तो भारतीय बैंकों की विदेशी फंडिंग भी सस्ती होती है, जिससे लोन चीज़ें सस्ती हो जाती हैं। इसका सीधा लाभ उन लोगों को मिलेगा जो होम लोन या कार लोन लेने की सोच रहे हैं।
संक्षेप में, यूएस फेड के हर इशारे को धुन में रख कर हम महत्त्वपूर्ण निवेश फैसले ले सकते हैं। अगर आप शेयर में हैं, तो फेड की सिलिंडर दर में कटौती के संकेत पर स्टॉक्स में संभावित बुलिश मूव की तैयारी कर सकते हैं। अगर आप फिक्स्ड इनकम में हैं, तो फेड के संकेतों से बॉन्ड यील्ड की दिशा तय होती है – दर घटने से मौजूदा बॉन्ड की कीमत बढ़ती है।
अब सवाल यह है – फेड की अगली बैठक कब है? अगली FOMC बैठक 30 मार्च को तय है। इस बैठक से पहले, आर्थिक कैलेंडर में प्रमुख डेटा जैसे यूएस इंफ्लेशन (CPI) और रोजगार रिपोर्ट भी आते हैं। इन आंकड़ों को देख कर फेड की दर नीति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
हमारी सलाह है कि आप इस डेटा को नियमित रूप से फॉलो करें, चाहें तो वित्तीय पोर्टल या फ़ेड के आधिकारिक ब्लॉग से अपडेट ले सकते हैं। इस तरह आप समय पर अपने पोर्टफोलियो को रीबैलेंस कर सकते हैं और अनावश्यक जोखिम से बच सकते हैं।
संक्षेप में, यूएस फेड की नीतियों को समझना और उनका असर देखना हर भारतीय निवेशक के लिए जरूरी है। चाहे आप शेयर ट्रेडर हों, बॉन्ड निवेशक या फिक्स्ड डिपॉजिट पर भरोसा करते हों, फेड के हर कदम को ट्रैक करके आप अपने पैसों को बेहतर सुरक्षित रख सकते हैं।
अमित गोयल का मानना है कि यूएस फेड की संभावित 25 बीपीएस दर कटौती भारतीय शेयर बाजार में अस्थायी उछाल ला सकती है। इस कदर से निवेशक विश्वास और तरलता में वृद्धि होती है, जिससे वैश्विक बाजारों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हालांकि, गोयल ने चेतावनी दी है कि यह उछाल अस्थायी हो सकता है।
और देखें