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अगर आप रोज़मर्रा की आर्थिक खबरों पर नज़र रखे हुए हैं, तो वित्त मंत्री का नाम अक्सर आपस में जुड़ा हुआ सुनते होंगे। उनका काम सिर्फ पार्लिया में बजट पेश करना नहीं, बल्कि देश की आर्थिक दिशा तय करना भी है। तो, चलिए एक आसान भाषा में समझते हैं कि वे क्या करते हैं और 2025 में हमारी खलबली वाला बजट किस दिशा में गया।
वित्त मंत्री के पास कई काम होते हैं: टैक्स नीति बनाना, सार्वजनिक खर्च को नियंत्रित करना, विदेशी निवेश को आकर्षित करना और आर्थिक विकास को तेज़ करना। उनका सबसे बड़ा मंच संसद में बजट प्रस्तुत करना है, जहाँ हर करोड़ रुपए का हिसाब‑किताब रखना पड़ता है। इस दौरान वे टैक्स छूट, नई योजना और महंगाई कंट्रोल जैसी बातें बताते हैं, जिससे आम लोगों की जेब पर असर पड़ता है।
एक और काम है आर्थिक स्थिरता बनाए रखना। अगर बाजार में धक्का‑मुक्की या विदेशी मुद्रा में उतार-चढ़ाव हो, तो वित्त मंत्री के पास वित्तीय उपकरण होते हैं जैसे रेपो दर, बैंकों को तरलता देना या निकासी पर रोक लगाना। ये छोटे‑छोटे कदम बड़े आर्थिक झटकों को रोकते हैं।
2025 का बजट अब तक का सबसे बड़ा था, क्योंकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विकास‑भारत‑2047 प्लान के तहत कई नई पहलें पेश कीं। कृषि को 20,000 करोड़ रुपयों की अतिरिक्त फंडिंग मिली, जिससे छोटे किसान नई तकनीक अपनाने में मदद पा सकेंगे। स्वास्थ्य सेक्टर में 15,000 करोड़ की अतिरिक्त राशि लेकर COVID‑19 के बाद की स्वास्थ्य संरचना को मजबूत करने की योजना बनाई गई।
सबसे ध्यान देने योग्य बात थी कर सुधार। पहले कर स्लैब कम कर दिया गया, जिससे मध्य वर्ग को राहत मिली। साथ ही इलेक्ट्रॉनिक इनवॉइसिंग को अनिवार्य करके कर चोरी को कम करने की कोशिश की गई। ये परिवर्तन छोटे‑बड़े सभी कारोबारियों को सीधे असर करेंगे।
बजट में रोजगार सृजन को भी प्राथमिकता दी गई। स्किल्ड ट्रेनिंग और स्टार्ट‑अप फंड के लिए 10,000 करोड़ की नई योजना बनाई गई, जिससे नौजवानों को नई नौकरियां मिलने की उम्मीद है। यदि आप नौकरी खोज रहे हैं या अपना छोटा व्यापार शुरू करना चाह रहे हैं, तो इन फंडों का फायदा उठाने के लिए सरकारी पोर्टल पर नजर रखें।
बजट के अलावा एक बड़ी खबर आई – पूर्व RBI गवर्नर शाक्तिकांत दास को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रमुख सचिव‑2 नियुक्त किया गया। यह नई भूमिका वित्तीय नीति और आर्थिक संकट प्रबंधन में उनके अनुभव को सीधे सरकार के निर्णय में लाने की कोशिश है। दास की नियुक्ति से यह संकेत मिलता है कि आर्थिक समस्याओं पर तेज़ और सटीक समाधान चाहा जा रहा है।
अगर आप वित्त मंत्री की बातों को सीधे सुनना चाहते हैं, तो हर महीने के अंतिम हफ़्ते में आयोजित होने वाले प्रेस कॉन्फ़्रेंस को देख सकते हैं। इन सत्रों में बजट के छोटे‑छोटे आइटम्स की व्याख्या होती है, जिससे आम जनता को समझ में आता है कि उनके पैसे कहाँ जा रहे हैं।
ट्रैक करने के आसान तरीके: सरकारी पोर्टल पर बजट डॉक्यूमेंट डाउनलोड करें, फिर नीचे दिए गए ‘बजट ब्रीफ़’ सेक्शन में मुख्य बिंदु पढ़ें। सोशल मीडिया पर वित्त मंत्रालय के आधिकारिक हैंडल को फॉलो करना भी मददगार रहेगा, जहाँ अपडेट तुरंत मिलते हैं।
समाप्ति में, याद रखें कि वित्त मंत्री का काम सिर्फ बड़े numbers नहीं, बल्कि रोज़मर्रा के आपके फैसलों पर असर डालना है। बजट की हर नई योजना आपके बचत, निवेश और कर भरने के तरीके को बदल सकती है। इसलिए, हर साल बजट को समझना और उनके बदलावों पर नजर रखना जरूरी है।
भारत की संसद में 22 जुलाई को बजट सत्र की शुरुआत हुई, जिसमें आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 पेश किया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस मौके पर सरकारी वित्तीय प्रदर्शन और अर्थव्यवस्था की स्थिति का रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत किया। सर्वेक्षण के अनुसार, भारत की GDP इस वित्तीय वर्ष में 6.5-7% बढ़ने की संभावना है। 23 जुलाई को केंद्रीय बजट 2024-25 पेश होगा।
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