जब आप किसी टूर्नामेंट में आखिरी दो चरणों में पहुँच जाते हैं, तो वो मैच सेमीफ़ाइनल, एक ऐसा मैच जिसमें चार टीमों में से दो टीमें फाइनल के लिए योग्य होती हैं कहलाता है। ये मैच बस एक खेल नहीं, बल्कि दबाव, रणनीति और जीतने की भूख का परीक्षण होता है। क्रिकेट, एक ऐसा खेल जहाँ एक बल्लेबाज़ का शतक या एक गेंदबाज़ की तीन विकेट टीम को फाइनल में पहुँचा सकती है में सेमीफ़ाइनल का मतलब होता है एक ऐसा मैच जहाँ आपकी टीम को अगले दौर के लिए योग्य बनाने के लिए सिर्फ एक जीत की जरूरत होती है। ये वो पल होते हैं जहाँ रोहित शर्मा का 277 रन या एमेलिया केर के 18 विकेट इतिहास बना देते हैं।
लेकिन सेमीफ़ाइनल सिर्फ क्रिकेट का नहीं है। कबड्डी, एक ऐसा खेल जहाँ एक रेडिकल रेड या एक बार में चार विकेट लेने की जरूरत होती है में भी ये मैच टीमों को चैंपियनशिप के लिए ले जाते हैं। जुनावी के जिला स्तर के कबड्डी टूर्नामेंट में जीतने वाली टीमें भी सेमीफ़ाइनल के बाद ही फाइनल में पहुँचीं। और फिर है टेनिस, एक ऐसा खेल जहाँ एक गेम आपकी पूरी रेंकिंग बदल सकता है। कार्लोस अलकाराज़ ने 2025 US Open में सेमीफ़ाइनल जीतकर विश्व नंबर 1 की वापसी की शुरुआत की। वहीं, ऑस्ट्रेलिया ने विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में सेमीफ़ाइनल के रूप में तीन जीत दर्ज कर टॉप पर कब्जा कर लिया।
क्योंकि यहाँ निर्णय बहुत कम गेंदों या ओवरों में लगता है। एक गलत फैसला, एक खोया हुआ विकेट, या एक गलत शॉट — ये सब फाइनल जाने का रास्ता बंद कर देते हैं। इंग्लैंड महिला टीम ने लॉर्ड्स में बारिश के बाद DLS के नियम के तहत भारत को हराकर सेमीफ़ाइनल से फाइनल की राह बनाई। वहीं, नेपाल ने वेस्ट इंडीज को 90 रन से हराकर टेम्पो सीरीज में सेमीफ़ाइनल पार किया, जो उनके इतिहास का सबसे बड़ा जीत था। ये सब बताते हैं कि सेमीफ़ाइनल में जीतना तो संभव है, लेकिन ये आसान नहीं होता।
यहाँ आपको ऐसे ही कई ऐसे मैचों की कहानियाँ मिलेंगी — जहाँ एक बल्लेबाज़ ने टीम को बचाया, एक गेंदबाज़ ने फाइनल की उम्मीद जगाई, या एक टीम ने अपनी निष्ठा से सेमीफ़ाइनल जीत लिया। ये सिर्फ खेल की बात नहीं, ये जीवन की भी बात है — कि जीतने के लिए आपको अंतिम दौर तक लड़ना पड़ता है।
न्यूज़ीलैंड ने साउथ अफ्रीका को 50 रन से हराया, फाइनल में भारत का सामना करेगा; मिचेल सैंटर के कप्तानी में शानदार जीत।
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