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आपको कभी ऐसा लगा है कि सरकारी फ़ाइलें या फैसले खुले तौर पर नहीं दिख रहे? यही वजह है Right to Information (RTI) अधिनियम की, जो हर भारतीय को सरकारी जानकारी तक पहुँच का अधिकार देता है। इस लेख में हम RTI के बेसिक बातें, आवेदन प्रक्रिया, और कुछ प्रैक्टिकल टिप्स बताएँगे – ताकि आप आसानी से अपना सवाल पूछ सकें।
RTI का मुख्य मकसद पारदर्शिता बढ़ाना है। अगर आप किसी सरकारी योजना की प्रगति, बजट आवंटन, या अपने पड़ोसी के द्वारा प्राप्त अनुमति के बारे में जानना चाहते हैं, तो RTI आपके लिए सबसे तेज़ रास्ता है। यह तब काम आता है जब सामान्य स्रोत (जैसे वेबसाइट या सूचना केंद्र) से जानकारी मिलना मुश्किल हो।
1. फॉर्म 1 या 2 चुनें – व्यक्तिगत जानकारी के साथ आपका सवाल लिखें। 2. फ़ीस का भुगतान – अधिकांश राज्यों में 10-20 रुपये की फ़ीस ऑनलाइन या डाक द्वारा जमा करनी पड़ती है। 3. सही अधिकारी को भेजें – अपना प्रश्न संबंधित विभाग या सार्वजनिक सूचना अधिकारी (PIO) को मेल या डाक से भेजें। 4. ट्रैक रखें – भेजे गए पत्र का रसीद नंबर रखें, इससे आप अपील या शिकायत आसानी से दर्ज कर सकते हैं।
ध्यान रखें, आपका सवाल स्पष्ट, संक्षिप्त और एक ही विषय पर होना चाहिए। लंबी-लंबी बातें लिखने से जवाब मिलने में देरी हो सकती है।
अगर 30 दिन में उत्तर नहीं मिलता, तो आप समीक्षा अधिकारी (RO) को अपील कर सकते हैं। अंतिम राहत के लिए सुपीरियर कोर्ट या उच्च न्यायालय में लिखित अपील भी संभव है।
एक बार जब आप RTI का इस्तेमाल कर लेते हैं, तो आप सरकारी ग़ैर‑पारदर्शिता को उजागर करके बदलाव की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। क्या आप अभी भी नहीं समझे कि RTI कब उपयोगी हो सकता है? सोचे‑समझे प्रश्न बनाइए, सही फ़ॉर्म भरिए, और अपने अधिकारों को तुरंत लागू कीजिए।
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कर्नाटक के धर्मस्थल में कथित ‘मास बरीअल’ विवाद फिर गर्माया है। एक कार्यकर्ता का दावा है कि पुलिस और मंदिर से जुड़े लोगों ने सबूत नष्ट किए, जिसका संकेत RTI जवाबों में दिखता है। मुख्य शिकायतकर्ता सीएन चिन्नैया को SIT ने झूठी गवाही के आरोप में गिरफ्तार किया, जबकि खुदाई में दो जगह आंशिक अवशेष मिले। जज पर लगी पक्षपात विवाद के बाद उन्होंने खुद को केस से अलग किया।
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