पूजा मुहूर्त क्या है? सही समय कैसे चुनें

हर भारतीय को पता है कि मुहूर्त का हिसाब करके ही कई काम करना चाहिए, खासकर पूजा‑पाठ। लेकिन कई बार हमें नहीं पता चलता कि कब सही मुहूर्त है और कब नहीं। यहाँ हम सरल भाषा में बताएँगे कि पूजा मुहूर्त कैसे देखा जाता है, कौन से समय बेहतर होते हैं और रोज‑रोज की पूजा में कौन‑कौन से उपाय मददगार हैं।

दैनिक पूजा के लिए आसान मुहूर्त

दैनिक पूजा में सबसे आसान तरीका है ‘वास्तु‑शास्त्र’ के अनुसार सुबह के प्रथम भाग को चुनना – यानी सूर्योदय के बाद 30 मिनट से दो घंटे के बीच। इस समय को ‘ब्रह्म मुहूर्त’ कहा जाता है, क्योंकि इसे ऊर्जा से भरपूर माना जाता है। अगर आप घर में जल्दी उठ नहीं पाते तो दोपहर के पहले 12 बजे से 2 बजे तक का समय भी ठीक रहता है, बशर्ते आपका मन शांत रहे।

ध्यान रखें कि मुहूर्त चुनते समय ‘अशुभ’ ग्रहों का प्रभाव भी देखना चाहिए। अगर चाँद या मंगल ग्रह ‘कटाक्ष’ में हो तो उस दिन की पूजा में छोटी‑छोटी गलती को नजरअंदाज न करें, जैसे कि लाइट बंद करके प्रार्थना करना या जल को साफ़ रखकर उपयोग करना।

विशेष अवसरों में पूजा का शुभ समय

शादी, गृहप्रवेश, नई नौकरी या किसी बड़े कार्य की शुरुआत में सही मुहूर्त बहुत मायने रखता है। ऐसी घटनाओं के लिए ‘पंचांग’ देखना सबसे भरोसेमंद तरीका है। पंचांग के ‘विकल्प’ भाग में बताया जाता है कि कौन‑से ‘तिथि‑योग‑कारक’ शुभ हैं। उदाहरण के तौर पर, ‘व्रत कुंडली’ में शुक्ल पक्ष के तृतीया, पांचवाँ, अष्टमी और दशमी को अक्सर शुभ माना जाता है।

अगर इंटरनेट नहीं है तो आप वैदिक कैलेंडर ऐप या किसी विश्वसनीय पुरोहित से सलाह ले सकते हैं। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि मुहूर्त केवल समय नहीं, बल्कि आपका इरादा और मन की शुद्धता भी तय करता है। तो जब भी आप मुहूर्त चुनें, तो दिल से सकारात्मक सोच और विनम्रता रखें।

सारांश में, पूजा मुहूर्त यथासम्भव सरल होना चाहिए – सुबह का ब्रह्म मुहूर्त, पंचांग का सही तिथि‑योग और आपके मन का शुद्ध होना। इन बातों का ध्यान रखिए, तो आप हर बार मन से पूजा कर पाएँगे और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का भी स्वागत करेंगे।

  • अग॰ 9, 2024

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