खोजने के लिए एंटर दबाएँ या बंद करने के लिए ESC दबाएँ
आजकल नौकरियों, कॉलेज एडमिशन या सरकारी स्कीम के लिए कई बार दस्तावेज़ों की जरूरत पड़ती है। लेकिन कभी‑कभी लोग झूठा प्रमाणपत्र बनाकर फँसते हैं। अगर आपका या आपके परिचित का प्रमाणपत्र फर्जी निकले, तो न सिर्फ रेफ़रेंस नुकसान होता है, बल्कि कानूनी झंझट भी शुरू हो जाता है। तो चलिए, फर्जी प्रमाणपत्र की पहचान, उसके परिणाम और बचाव के आसान उपायों को समझते हैं।
पहले तो ये देखिए कि दस्तावेज़ में क्या‑क्या चीज़ें असामान्य लगती हैं। अक्सर फर्जी प्रमाणपत्र में ये त्रुटियां मिलती हैं:
इन छोटे‑छोटे संकेतों को देख कर आप जल्दी ही पता लगा सकते हैं कि प्रमाणपत्र भरोसेमंद है या नहीं।
फर्जी प्रमाणपत्र बनाना या पेश करना भारतीय कानून में गंभीर अपराध माना जाता है। अगर किसी ने झूठा दस्तावेज़ दाखिल किया, तो पुलिस FIR दर्ज कर सकती है और आपराधिक केस शुरू हो सकता है। जुर्माना, जेल या दोनों की सजा हो सकती है, खासकर जब यह सरकारी नौकरी या एजुकेशन एडिशन के लिए हो। साथ ही, असली नौकरी या स्कीम से बर्खास्तगी, भविष्य में प्रमाणपत्र की विश्वसनीयता पर असर, और सामाजिक प्रतिष्ठा को भी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
ध्यान रखें, कई बार फर्जी प्रमाणपत्र को बेचने वाले खुद भी दिग्गज होते हैं, और उनका नेटवर्क बड़ी हद तक फैल चुका होता है। ऐसी स्थिति में मदद के लिए कानूनी सलाह लेना और पुलिस में रिपोर्ट करना जरूरी है।
सबसे पहला कदम है — दस्तावेज़ को आधिकारिक स्रोत से वेरिफ़ाई करना। कई बोर्ड, यूनिवर्सिटी और सरकारी विभाग अपनी वेबसाइट पर ऑनलाइन सत्यापन सुविधा देते हैं। आपका नाम, रजिस्ट्रेशन नंबर और ग्रेड डालने से तुरंत पता चल जाता है कि दस्तावेज़ असली है या नहीं।
दूसरा तरीका है — विश्वसनीय एजेंसियों से ही प्रमाणपत्र करायें। अगर आपको किसी कोडिंग कोर्स या प्रोफेशनल ट्रेनिंग का सर्टिफ़िकेट चाहिए, तो मान्यता प्राप्त संस्थान का नाम चेक कर लें। उनकी सर्टिफ़िकेशन प्रक्रिया और इंटर्नशिप रिकॉर्ड देखना भी एक सुरक्षा उपाय है।
तीसरा टिप — अत्यधिक सस्ती कीमतें या “एक दिन में तैयार” वाले ऑफ़र से सावधान रहें। असली प्रमाणपत्र बनाने में समय और प्रक्रिया लागती है, इसलिए जल्दी‑फर्री ऑफ़र अक्सर फर्जी होते हैं।
अंत में, अगर आपको लगता है कि आपका या किसी और का प्रमाणपत्र फर्जी हो सकता है, तो तुरंत संस्था या बोर्ड से संपर्क करें और क्लैरिफ़ाइड करें। इससे आगे चल कर बड़े कानूनी जोखिम से बचा जा सकता है।
फर्जी प्रमाणपत्र के बारे में जागरूक रहें, सही जानकारी रखें और अगर कोई संदेह हो तो जल्दी‑जल्दी वेरिफ़िकेशन कर लें। यही तरीका है भरोसेमंद दस्तावेज़ रखने और अपने प्रोफ़ाइल को सुरक्षित रखने का।
महाराष्ट्र कैडर की 2023 बैच की IAS अधिकारी पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने झूठे प्रमाणपत्रों के आधार पर अपनी नौकरी सुरक्षित की और काम में विशेष सुविधाओं की मांग की। केंद्र ने उनकी नियुक्ति की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है। प्रमाणपत्रों की सत्यता प्रमाणित होने पर, खेडकर को बर्खास्त किया जा सकता है और उन पर आपराधिक मामले दर्ज हो सकते हैं।
और देखें