नवजात शिशु की देखभाल: आसान चरण और जरूरी टिप्स

नवजात शिशु का जन्म एक बड़ी खुशियाँ लाता है, पर साथ ही कई नई जिम्मेदारियाँ भी। पहला हफ्ता सबसे अहम होता है, इसलिए सही जानकारी रखना जरूरी है। यहाँ हम सरल भाषा में बता रहे हैं कि नवजात की देखभाल कैसे शुरू करें, ताकि बच्चा स्वस्थ और खुश रहें।

पहली 24 घंटे में क्या करें?

जन्म के बाद बच्चे को गर्मी से बचाना सबसे पहला काम है। तुरंत कपड़े बदलें, लेकिन हल्के और साफ कपड़े पहनाएँ। चमड़ी को अल्गो ड्रेसिंग पैड से धीरे‑धीरे साफ करें, जलन से बचाने के लिए। पहले 24 घंटे में माँ के दुहाने का दूध सबसे बेहतरीन पोषक तत्व है—यदि माँ को दुध में कोई समस्या नहीं है तो बच्चे को हर दो‑तीन घंटे में पिलाएँ।

खाना और नींद के लिए आसान उपाय

नवजात को रोज़ दो‑तीन घंटे में खाने की आदत डालें। जब बच्चा ज्यादा सो रहा हो, तो उसे धीरे‑धीरे उठाकर दूध पिलाएँ, इससे उसकी भूख के संकेत सपष्ट होते हैं। नींद के समय बच्चे को साइड‑लेटर पोज़िशन में रखें, यानी सिर को थोड़ा बगल में और पीठ को सपोर्ट में। यह स्लीप एपीना जैसी समस्याओं को रोकता है।

जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, डायरिया या बुखार जैसे छोटे‑मोटे लक्षण देखे जा सकते हैं। ऐसे में तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ, लेकिन शुरुआती 72 घंटे में अधिकांश बुखार ठीक से उपचारित हो जाता है। बच्चे को हाथ‑पैरों से ज्यादा छूना या झनझनाहट देना न भूलें, यह उसकी इम्यूनिटी को मजबूत करता है।

सफाई के मामले में, पर्सनल हाइजीन रखनी चाहिए। दो‑तीन दिन बाद नहाने का समय सही रहता है, और नहाते समय हल्के बाथ सोप का उपयोग करें। बाथ टाइम को खेलने जैसा बनाएं, जिससे बच्चा आरामदायक महसूस करे।

अंत में, माँ‑बाबा को अपने भावनात्मक स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। नींद की कमी, तनाव या अनिश्चितता से बच्चा भी प्रभावित हो सकता है। दोस्तों या परिवार से मदद माँगें, और अगर जरूरत पड़े तो पेशेवर मदद लें। याद रखें, जब आप खुश रहेंगी, तो आपका नवजात शिशु भी सुरक्षित और स्वस्थ रहेगा।

  • नव॰ 16, 2024

झांसी मेडिकल कॉलेज अग्निकांड: 10 नवजात शिशुओं की मौत, मुख्यमंत्री ने की जांच समिति की घोषणा

झांसी के महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज में लगी भीषण आग में 10 नवजात शिशुओं की मौत हो गई और 16 अन्य घायल हो गए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना की जांच के लिए चार सदस्यीय समिति गठित की है जो अग्निकांड के कारणों की जांच करेगी। हादसे में मारे गए बच्चों के परिवारों को 5 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी।

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