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महाराणा प्रताप का नाम सुनते ही दिल में गर्व की लहर आती है। 16वीं सदी में मेवाड़ का राजा, जो अकबर के सामने कभी हार नहीं माना, वह आज भी कई लोगों के दिलों में बसा है। इस लेख में हम उनकी जीवन यात्रा, प्रमुख लड़ाइयों और आज के लोगों के लिए उनके सीख को आसान भाषा में समझेंगे।
प्रताप 1540 में मेवाड़ के राजा उदय सिंह द्वितीय के बड़े बेटे के रूप में जन्मे। बचपन से ही उन्हें तलवारबाज़ी, घुड़सवारी और युद्ध के गुर सिखाए गए। उनके पिता ने उन्हें सच्ची स्वतंत्रता और न्याय की भावना दी। यही परवरिश बाद में उनकी अडिग जिद और साहस का आधार बनी।
अकबर की सेना के साथ कई बार टकराव के बाद, 1576 में हनीकटारी (आज का नहर) में सबसे बड़ी लड़ाई हुई। प्रताप ने अपने छोटे से सैनिक दल को बड़ी संख्या में मुगल सेना के ख़िलाफ़ खड़ा किया। भले ही लड़ाई का परिणाम पक्षपाती रहा, लेकिन प्रताप ने दिखा दिया कि आत्मनिर्भरता और दृढ़ निश्चय से बड़ी ताकत को भी मात दी जा सकती है। इस लड़ाई के बाद उनका सबसे प्रसिद्ध स्थल ‘प्रताप नेहर’ बन गया, जहाँ अब भी उनके शौर्य की गाथा सुनाई देती है।
लड़ाइयों के बीच, प्रताप ने अपने लोगों के लिये जल, भोजन और सुरक्षा की व्यवस्था भी की। वे सिर्फ योद्धा नहीं, बल्कि एक उत्तम शासक भी थे। उनकी नीतियों में किसानों को करवाए गए ‘झंझा’ और जल संरक्षण के प्रोजेक्ट आज भी उल्लेखनीय हैं।
आज के राजस्थान में हर साल ‘महाराणा प्रताप महोत्सव’ मनाया जाता है, जहाँ नर्तक, गायक और खेलाडियों द्वारा उनके जीवन की कहानी प्रस्तुत की जाती है। स्कूलों में भी बच्चों को प्रताप की कहानियाँ बताकर सौंदर्य और साहस का महत्व सिखाया जाता है। ऐसे कार्यक्रम उनके साहस को नई पीढ़ी तक पहुँचाते हैं।
यदि आप मेवाड़ के इतिहास में रुचि रखते हैं, तो आप प्रताप की क़िले, महलों और मंदिरों की सैर कर सकते हैं। वहाँ के स्थानीय गाइड आपको ऐसी बातें बताएंगे जो किताबों में नहीं मिलतीं। इस तरह की यात्रा न सिर्फ ज्ञान देती है, बल्कि दिल को भी छू लेती है।
संक्षेप में कहें तो महाराणा प्रताप सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि वह आदर्श है जो हमें बताता है कि चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन हो, अगर दिल में सच्चा इरादा हो तो जीत नहीं दूर रहती। उनका जीवन हमें साहस, ईमानदारी और मेहनत की सीख देता है – वह सीख आज के हर भारतीय को अपनानी चाहिए।
अरविंद सिंह मेवाड़, प्रसिद्ध राजपूत राजा महाराणा प्रताप के वंशज और HRH ग्रुप ऑफ होटल्स के चेयरमैन, का 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे संपत्ति विवादों और मेवाड़ की शाही विरासत की देखरेख के लिए जाने जाते थे। उनकी विरासत में क्रिकेट और पोलो की अभिरुचि भी शामिल रही है। उनके निधन पर उदयपुर सिटी पैलेस पर्यटकों के लिए बंद रहेगा।
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