जब बात क्रिकेट चयन विवाद, भारत के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में खिलाड़ियों की चयन प्रक्रिया के आसपास उत्पन्न होने वाले मतभेद और आलोचनाएँ. Also known as सेलेक्शन स्कैंडल, it often चयन समिति और बादशाहि (बीसीसीआई) के बीच तालमेल की कमी से उत्पन्न होते हैं। इस विवाद में खिलाड़ी प्रदर्शन का आँकड़ा, घरेलू लीग का परिणाम और टीम संतुलन प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
पहला घटक सेलेक्शन समिति है, जो खिलाड़ी की फ़ॉर्म, फिटनेस रिपोर्ट और पिछली सीरीज के आँकड़ों की जाँच करती है। दूसरा, बीसीसीआई नीति है, जो चयन मानकों, पारदर्शिता उपायों और अनुशासनिक प्रोटोकॉल को निर्धारित करती है। तृतीय घटक खिलाड़ी की प्रियता या लोकप्रियता है, जो कभी‑कभी सार्वजनिक दबाव बनकर चयन प्रक्रिया को प्रभावित करती है। इन तीनों के बीच एक सिंटैक्स है: "सेलेक्शन समिति प्रदर्शन आँकड़ों पर निर्भर करती है", "बीसीसीआई नीति चयन प्रक्रिया को नियंत्रित करती है", और "खिलाड़ी की लोकप्रियता चयन समिति के फैसले को प्रभावित करती है"। इस त्रिकोणीय रिश्ते से अक्सर विवाद उत्पन्न होते हैं, खासकर जब टीम की सफलता या विफलता पर सवाल उठते हैं।
वर्तमान में अनेक केस दिखाते हैं कि कैसे चयन विवाद टीम के मनोबल को बिगाड़ सकता है। उदाहरण के तौर पर, हालिया India A बनाम ओमान मैच में तेज़‑पैची वाले Ayush Badoni को अचानक हाई-प्रोफ़ाइल श्रृंखला में शामिल किया गया, जबकि कुछ विशेषज्ञों ने बताया कि उसकी घरेलू फ़ॉर्म नहीं थी। इसी तरह, यशस्वी जयसवाल के सातवें टेस्ट शतक के बाद उसकी जगह पर चर्चा चल रही थी—क्योंकि चयनकर्ता ने कहा कि टीम में गति की कमी को भरना जरूरी है। ऐसे उदाहरण यह दर्शाते हैं कि चयन विवाद सिर्फ कागज़ पर नहीं, बल्कि मैदान पर भी असर डालते हैं।
एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू है घरेलू लीग, जैसे कि आईपीएल और घरेलू टूर। जब एक खिलाड़ी लगातार आईपीएल में चमकते हैं, तो चयन समिति पर दबाव बनता है कि उसे राष्ट्रीय टीम में अवसर दिया जाए। परन्तु यह हमेशा सही नहीं होता—कभी‑कभी आईपीएल की तेज़ी और अंतर्राष्ट्रीय फ़ॉर्म में अंतर रहता है। इस कारण चयन विवाद में अक्सर दो ध्रुवीय विचार सामने आते हैं: "आँकड़े से मानना चाहिए" और "सफलता की लहर को पकड़ना चाहिए"। इन दो रुखों के बीच संतुलन स्थापित करना चयन प्रक्रिया का सबसे बड़ा चुनौति बन गया है।
अंत में, यह कहना बुनियादी नहीं है कि चयन विवाद केवल एक खेल से जुड़ा समस्या है; यह भारत के क्रिकेट प्रशंसकों की भावनाओं, मीडिया की भूमिका और राजनीति की छाप को भी दर्शाता है। जब कोई बड़े खिलाड़ी को बाहर कर दिया जाता है, तो सोशल मीडिया पर बहसें जल उठती हैं, और कभी‑कभी इससे चयन प्रक्रिया में सुधार की आवाज़ भी उठती है। इसलिए, क्रिकेट चयन विवाद को समझना सिर्फ खेल के आँकड़ों को देखना नहीं, बल्कि इन सभी सामाजिक, प्रशासनिक और व्यक्तिगत तत्वों को मिलाकर देखना है।
अब आप इस पेज पर आगे पढ़ेंगे कि कैसे विभिन्न विवादों ने भारतीय टीम को shape दिया, किन खिलाड़ियों ने चयन पर असर डाला, और क्या भविष्य में चयन प्रक्रिया में कोई नया बदलाव आया होगा। नीचे दी गई सूची में इस टैग से जुड़ी ताज़ा खबरें, गहन विश्लेषण और रोचक केस स्टडीज़ मिलेंगी।
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