जब गौतम गंभीर, मुख्य कोच भारतीय क्रिकेट टीम ने 24 अक्टूबर 2025 को दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेज़ गेंदबाज हर्षित राणा के चयन को बचाया, तो माहौल गर्म हो गया। वह कहते हैं, “यह थोड़ा शर्मनाक है कि एक 23‑साल के युवा को ऑनलाइन निशाना बनाया जा रहा है। ट्रोलिंग सिर्फ उनका आत्मविश्वास ही नहीं, बल्कि पूरे भारतीय क्रिकेट की छवि को नुकसान पहुंचा सकती है।”
कोच का बिचार और प्रेस कॉन्फ्रेंस
प्रेस कॉन्फ्रेंस का मुद्दा था भारत‑वेस्टइंडीज दिल्ली टेस्ट, जहाँ भारत ने सात विकेट से जीत दर्ज की। कठिन परिस्थितियों में हर्षित राणा ने 12 ओवर में 3 विकेट लिए, जिससे उसकी भूमिका पर सवाल उठे। गंभीर ने तुरंत कहा कि “राणा जैसे युवा को अनुभव देना ज़रूरी है, ताकि भविष्य की टीमें स्थायी और संतुलित बन सकें।” उन्होंने यह भी कहा कि सोशल मीडिया पर “शारीरिक या मानसिक हमले” अस्वीकार्य हैं।
हर्षित राणा की पृष्ठभूमि और प्रदर्शन
हर्षित राणा का जन्म 12 जनवरी 2002 को लुधियाना में हुआ। वह 2019‑2020 सीजन में कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) के मेंटर‑शिप प्रोग्राम में शामिल हुआ, जहाँ उसे तेज़ गेंदबाजी के विभिन्न परिस्थितियों से परिचित कराया गया। 2024 में KKR के साथ एक‑बार की इंटर्नशिप के दौरान उनका कोच‑ख़ास रिश्ता विकसित हुआ, जो आज तक बना हुआ है।
एशिया कप 2025 के दौरान यू.ए.ई. में दो मैच खेलने के बाद उनका प्रदर्शन औसत रहा – 4 ओवर में 1 विकेट, 5 रन संकलन। हालांकि, ऑस्ट्रेलिया‑दौरे की वनडे श्रृंखला में टीम चयन में उनका नाम शामिल होना खुद में एक संकेत था कि चयनकर्ताओं को उसकी संभावनाओं पर भरोसा है।
- 19 अक्टूबर 2025 – ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहली वनडे, तेज़ गेंदबाजी विभाग में जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज, अर्शदीप सिंह और हर्षित राणा शामिल हैं।
- 29 अक्टूबर 2025 – टी20 श्रृंखला की शुरुआती कप्तानी रोहित शर्मा से शु्भमन गिल को दी गई, जिससे टीम में नई रणनीतिक विचारधारा आई।
विशेषज्ञों की राय और आलोचना
पूर्व खिलाड़ी और अनुभवी कमेंटेटर कृष्णमाचारी श्रीकांत ने अपने यूट्यूब चैनल पर “राणा को लगातार चुनना सिर्फ कोच के ‘हां‑में‑हां’ दिखाने का तरीका है” कहा। उन्होंने आगे बताया, “टैलेंट हा́की है, पर निरंतर चयन के पीछे स्पष्ट मानदंड न होने से युवा खिलाड़ियों में अनिश्चितता पैदा होती है।”
फिर भी, पूर्व ऑफ‑स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने राणा के समर्थन में कहा, “अगर हम युवा प्रतिभाओं को मौका नहीं देंगे तो भारतीय क्रिकेट का भविष्य कमजोर पड़ेगा। हमें उनके मनोबल को बढ़ावा देना चाहिए, न कि उन्हें ऑनलाइन ट्रोल करना।”
बीसीसीआई की चयन नीति और आगामी सीरीज
बीसीसीआई (Board of Control for Cricket in India) ने 19 अक्टूबर से शुरू होने वाली वनडे श्रृंखला और 29 अक्टूबर से टी20 श्रृंखला के लिए squads जारी किए। चयन समिति के पूर्व सदस्य कृष्णमाचारी श्रीकांत ने कहा, “छह‑आठ महीनों में चयन में निरंतरता नहीं है, जिससे खिलाड़ी भ्रमित होते हैं।” इसके अलावा, बीसीसीआई ने ऑस्ट्रेलिया में तीन टेस्ट, पाँच वनडे और पाँच टी20 मैच निर्धारित किए हैं, जिसमें राणा को सभी फॉर्मेट में शामिल किया गया है।
सप्ताह भर के अंतराल में, कोर्च ने भी एक बार फिर स्पष्ट कर दिया कि “टीम का लक्ष्य केवल जीत नहीं, बल्कि एक ऐसी पिरामिड बनाना है जिसमें युवा खिलाड़ी लगातार ऊपर उठते रहें।”
भविष्य की संभावनाएँ और निष्कर्ष
हर्षित राणा के मामले से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय क्रिकेट में चयन प्रक्रिया अब केवल आँकड़ों के आधार पर नहीं, बल्कि कोच की व्यक्तिगत मान्यताओं पर भी निर्भर है। अगर इस विवाद को सही ढंग से सुलझाया नहीं गया, तो युवा खिलाड़ियों की मनोवैज्ञानिक स्थिति पर असर पड़ सकता है।
संक्षेप में, गौतम गंभीर ने सोशल मीडिया ट्रोल्स को “शर्मनाक” कहा, जबकि उन्होंने राणा को “भविष्य की स्थिरता” का भाग कहा। इस बीच, बीसीसीआई को चयन मानदंडों को पारदर्शी बनाना होगा, ताकि खिलाड़ी और फैंस दोनों ही भरोसा कर सकें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
हर्षित राणा का चयन टीम में क्यों बना रहता है?
बीसीसीआई ने राणा को तेज़ गेंदबाज़ी में विविधता और लंबी रन‑ऑफ़ क्षमता के कारण चुना है। कोच गंभीर का मानना है कि उसके पास विभिन्न पिचों पर प्रभाव डालने की क्षमता है, इसलिए वह सभी फॉर्मेट में जगह पाता है।
कोच गौतम गंभीर ने ट्रोलर्स को क्या कहा?
उन्होंने कहा कि “ट्रोलिंग एक शर्मनाक काम है और यह एक युवा खिलाड़ी की मानसिकता को कमजोर कर सकता है।” उन्होंने सभी फैंस को जिम्मेदारी लेने और सकारात्मक समर्थन करने की अपील की।
क्रिकेट चयन प्रक्रिया में कितनी पारदर्शिता है?
विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान में चयन मानदंड स्पष्ट नहीं हैं। कई आलोचक, जैसे कृष्णमाचारी श्रीकांत, ने कहा है कि चयन समिति को आंकड़े, फॉर्म और खिलाड़ी के विकास को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए।
आगामी ऑस्ट्रेलिया दौरा भारतीय टीम के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
ऑस्ट्रेलिया दौरा टीम की शारीरिक और तकनीकी क्षमताओं का आकलन करेगा। तेज़ पिच, तेज़ गेंदबाज़ी और विभिन्न फॉर्मेट में निरंतरता के कारण यह टूर्नामेंट भारतीय प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ अपनी रणनीति को परखने का अच्छा अवसर है।
भविष्य में राणा को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा?
राणा को तेज़ पिचों पर लाइन और लांबाई कंट्रोल बनाकर रखनी पड़ेगी, साथ ही अपने बॉल-टेम्पो को विभिन्न स्थितियों में एडजस्ट करना होगा। प्रतिस्पर्धी टीमों के तेज़ बॉलर्स के साथ टकराव में उसे अपनी अनोखी गति और स्विंग को साबित करना होगा।
टिप्पणि (17)
venugopal panicker
गौतम गंभीर जी ने बिल्कुल सही कहा कि युवा खिलाड़ियों को मौका देना आवश्यक है। हर्षित राणा को दबाव में भी अपना संतुलन बनाये रखना चाहिए। ट्रोलर्स का व्यवहार टीम की मनोस्थिति को बिगाड़ सकता है। सोशल मीडिया पर सकारात्मक समर्थन देना चाहिए, न कि नकारात्मक टिप्पणी। इस पहल से भविष्य में भारतीय तेज़ गेंदबाज़ी के लिये एक स्वस्थ माहौल बन सकेगा।
Vakil Taufique Qureshi
राणा का चयन सांख्यिकीय रूप से ठीक नहीं लगता, कोच का यह निर्णय बेतुका है।
guneet kaur
देखिए, इस तरह के चयन में कोई ठोस मानदंड नहीं दिखता। कोच के व्यक्तिगत पसंद से टीम की गुणवत्ता खतरे में पड़ रही है। अगर हर युवा खिलाड़ी को बिना जाँच-परख के शामिल किया गया तो भारत की जीत की संभावना घट जाएगी। इस झटका से टीम की हार में कोई दिक्कत नहीं होगी, बल्कि ध्वस्त हो जाएगी। आंकड़ों को देखिये, राणा की औसत वीकली स्ट्राइक रेट कम है, फिर भी लगातार प्लेसमेंट नहीं समझ में आती। इस तरह की लापरवाही को कोई भी संडजेसन बोर्ड नहीं बर्दाश्त कर सकता।
PRITAM DEB
राणा का चयन कोच की रणनीतिक दृष्टि से समझा जा सकता है; युवा ऊर्जा लंबी अवधि में लाभदायक होगी।
Saurabh Sharma
सेलेक्शन पॉलिसी में टैलेंट पूल को एकीकृत करने के लिए फ्लेक्सिबल फ्रेमवर्क चाहिए बैक-टेस्टेड मेट्रिक के साथ ताकि प्लेयर प्रोफ़ाइलिंग सटीक रहे
Suresh Dahal
विद्युत् विश्लेषण के आधार पर, नई पीढ़ी के बॉलर्स को निरंतर प्रवेश देना दीर्घकालिक स्थायित्व के लिए आवश्यक माना जाता है।
Krina Jain
ट्रोलिंग बुरा है
Raj Kumar
गौतम गंभीर का बयान एक तेज़ तर्रार बुलेट जैसा था, जो नेटिज़न्स के दिलों को छू गया।
उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि ट्रोलिंग केवल एक व्यक्तिगत हमला नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव को धूमिल कर सकता है।
इस प्रकार के निंदात्मक शब्दों से युवा खिलाड़ी की आत्मविश्वास में दरार आ सकती है।
राणा के चयन को लेकर सोशल मीडिया की बौछार में कई आवाज़ें उछल पड़ीं।
कुछ ने कहा कि यह सिर्फ एक मामूली चयन था, जबकि अन्य ने इसे एक बड़ा राजनीतिक कदम बताया।
कोच ने कहा कि यह एक शिक्षात्मक अवसर है जिससे सभी को सीख मिल सके।
उन्होंने कहा कि सामाजिक मंचों पर आक्रमणकारी टिप्पणी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
इस चेतावनी के बाद भी कई युवा फैन अपने-अपने मत व्यक्त करने लगे।
एक ओर, कुछ ने राणा को समर्थन दिया, जबकि दूसरी ओर, आलोचक उसकी क्षमता पर सवाल उठाते रहे।
इस विरोधाभास ने भारतीय क्रिकेट के अंदर एक नया संवाद उत्पन्न किया।
मीडिया ने इस मुद्दे को औपचारिक रूप से कवर किया, जिससे जनता को स्पष्टता मिली।
अब सवाल यह है कि भविष्य में चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता कैसे सुनिश्चित की जाएगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि डेटा-ड्रिवेन एप्रोच को अपनाया जाना चाहिए।
यदि ऐसा नहीं हुआ तो युवा खिलाड़ियों की मनोवैज्ञानिक स्थिति प्रभावित हो सकती है।
अंततः, यह सब टीम के दीर्घकालिक लक्ष्यों और युवा विकास के संतुलन पर निर्भर करेगा।
सभी हितधारकों को मिलकर इस दिशा में कदम बढ़ाना होगा।
Jaykumar Prajapati
क्या आप जानते हैं कि कुछ समूह सोशल मीडिया एल्गोरिद्म को हेरफेर करके राणा को नकारात्मक छवि देने की कोशिश कर रहे हैं? यह सिर्फ खेल नहीं, बल्कि एक बड़े कंट्रोल मेकैनिज़्म का हिस्सा हो सकता है।
PANKAJ KUMAR
सही कहा, हमें इस तरह के मैनिपुलेशन को पहचानकर मिलकर जवाब देना चाहिए; विवाद को शांतिपूर्ण चर्चा में बदलना ही समाधान है।
Anshul Jha
हमारी टीम को विदेशी दबाव से बचाना होगा, ट्रोलर्स को अभी चुप कराना चाहिए
Anurag Sadhya
समझ रहा हूँ आपकी भावनाएँ 😊 लेकिन हमें सभी की आवाज़ सुननी चाहिए और व्यक्तिगत आक्रमण से बचना चाहिए 🙏
Anusree Nair
हर्षित राणा को अभी थोड़ा समय चाहिए, लेकिन समर्थन से वह आगे बढ़ेगा और टीम को फायदा पहुँचेगा।
Bhavna Joshi
सैद्धांतिक रूप से, युवा प्रतिभा का पोषण न केवल व्यक्तिगत प्रदर्शन बल्कि सामूहिक रणनीतिक स्थिरता को भी सुदृढ़ करता है; इसलिए चयन में बौद्धिक पारदर्शिता अनिवार्य है।
Ashwini Belliganoor
लेख में कई बिंदु अस्पष्ट हैं चयन मानदंडों को स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया है
Hari Kiran
आप सही कह रहे हैं, अगर बोर्ड स्पष्ट दिशा-निर्देश देगा तो फैंस भी समझ पाएँगे और खिलाड़ियों को भी।
Hemant R. Joshi
राष्ट्र के खेल में चयन प्रक्रिया को एक सामाजिक अनुबंध के रूप में देखना चाहिए, जहाँ सभी हितधारक-खिलाड़ी, कोच, प्रबंधन और दर्शक-का समान अधिकार और जिम्मेदारी हो। यह अनुबंध तभी सफल हो सकता है जब पारदर्शिता, निष्पक्षता और भविष्य की दृष्टि स्पष्ट हो। इतिहास ने बार‑बार दिखाया है कि अंधाधुंध चयन से टीम में अराजकता और प्रदर्शन में गिरावट आती है। इसलिए, डेटा‑आधारित मूल्यांकन और व्यक्तिगत विकास योजना को मिलाकर एक समग्र फ्रेमवर्क बनाना आवश्यक है। इससे न केवल चयन की विश्वसनीयता बढ़ेगी बल्कि युवा खिलाड़ियों को मानसिक स्थिरता भी मिलेगी। इसके अतिरिक्त, सामाजिक मीडिया पर सकारात्मक संवाद को प्रोत्साहित करना चाहिए, जिससे खिलाड़ियों का मनोबल ऊँचा रहे। अंत में, प्रत्येक चयन का उद्देश्य दीर्घकालिक जीत और खेल के विकास की दिशा में होना चाहिए। यह तभी संभव है जब सभी आवाज़ें सुनी जाएँ और उनका सम्मान किया जाए।