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जब RBI दर घटाता है तो बैंक में बचत वाला खाता बढ़िया नहीं रहता, लेकिन लोन लेने वाले बहुत खुश हो जाते हैं। यही कारण है कि हर बार जब दर घटती है, लोग तुरंत अपना खर्च बढ़ा देते हैं। इस पेज पर हम बात करेंगे कि दर कटौती क्यों की जाती है, इसका असर कौन-के ऊपर पड़ता है और खेल की दुनिया में इसका क्या रोल है।
सबसे बड़ी वजह अक्सर महंगाई कम करना या आर्थिक ग्रोथ को फिर से तेज़ करना होती है। अगर महंगाई बहुत तेज़ी से बढ़ रही हो, तो RBI अपने मौद्रिक नीति में बदलाव करके ब्याज दर घटाता है, ताकि लोग ज्यादा पैसा खर्च कर सकें और चीजों की कीमतें स्थिर हों। दूसरी वजह है विदेशी निवेश आकर्षित करना – जब दर कम होती है तो विदेशियों को भारत में निवेश करने में आसानी लगती है।
कभी‑कभी सरकार भी बड़े प्रोजेक्ट या रोजगार के लिए पैसे ढूँढती है, तो वह RBI से दर घटाने का अनुरोध करती है। इस तरह लोन की लागत घटती है, कंपनियों के निवेश महंगे नहीं रहते और रोजगार के मौके बढ़ते हैं।
**उधार लेने वाले**: घर, कार, या व्यापार के लिए लोन लेना सस्ता हो जाता है। इसका मतलब है कि छोटे उद्योग जल्दी फंड ले सकते हैं और अपने व्यवसाय को बढ़ा सकते हैं।
**बचत करने वाले**: बचत खाते और फिक्स्ड डिपॉज़िट का ब्याज कम हो जाता है, इसलिए लोगों को अपने पैसे को दीर्घकालिक रूप से निवेश करने की जरूरत महसूस होती है।
**कंपनियों की लागत**: कम ब्याज दरों से कंपनियां कम खर्च में फंडिंग कर पाती हैं, इसलिए उनका ऑपरेटिंग खर्च घटता है और प्रॉफिट मार्जिन बढ़ता है। इससे शेयर मार्केट में भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
**खेल उद्योग में**: स्पॉन्सरशिप और विज्ञापन का बजट अक्सर कंपनियों की वित्तीय स्थिति पर निर्भर करता है। जब दर घटती है और कंपनियों की कमाई बढ़ती है, तो वे खेलों को ज्यादा पैसा देते हैं। इससे क्रिकेट, फुटबॉल, या e‑स्पोर्ट्स इवेंट्स में बेहतर इनाम और अधिक एन्क्रेजिंग इवेंट्स होते हैं।
**आम आदमी की जेब**: किराने की दामों पर सीधा असर नहीं पड़ता, लेकिन जब लोग कम ब्याज पर घर या कार ले लेते हैं, तो उनके पास discretionary खर्च बढ़ जाता है – जैसे कि मॉल में शॉपिंग, यात्रा या फेस्टिवल में खर्च।
हर बार दर कटौती के फायदे और नुकसान दोनों होते हैं। अगर आप लोन लेने की सोच रहे हैं तो कम ब्याज का फायदा उठाएँ, लेकिन अगर बचत का सोचा है तो दलाली वाले प्रॉडक्ट्स जैसे म्यूचुअल फंड या स्टॉक्स में निवेश की ओर देखें।
आखिरकार, दर कटौती का असर हर व्यक्ति के वित्तीय लक्ष्य पर निर्भर करता है। इसलिए, हर बदलाव को समझदारी से देखना और अपने पैसे को सही दिशा में लगाना ही समझदारी है।
अमित गोयल का मानना है कि यूएस फेड की संभावित 25 बीपीएस दर कटौती भारतीय शेयर बाजार में अस्थायी उछाल ला सकती है। इस कदर से निवेशक विश्वास और तरलता में वृद्धि होती है, जिससे वैश्विक बाजारों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हालांकि, गोयल ने चेतावनी दी है कि यह उछाल अस्थायी हो सकता है।
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