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अगर आप कभी सैन्य तकनीक के बारे में बात सुनते हैं तो अक्सर "BrahMos" नाम सुनते हैं। यह सिर्फ एक मिसाइल नहीं, बल्कि भारत और रूस की संयुक्त तकनीकी जीत है। साधारण शब्दों में, BrahMos एक सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है जो जमीन, समुद्र और हवा से लॉन्च की जा सकती है।
इसका मतलब है कि भारतीय नौसेना, वायु सेना और थल सेना सभी इसे अपने हथियारों में जोड़ सकते हैं। तेज़ी, सटीकता और लचीलापन इसका मुख्य आकर्षण है, जिससे दुश्मन के महत्त्वपूर्ण लक्ष्य को जल्दी और कम चेतावनी में नष्ट किया जा सके।
BrahMos की सबसे बड़ी बात उसकी गति है – लगभग 2.8 Mach यानी लगभग 3400 km/h। यही गति इसे एंटी‑शिप, लैंड और एंटी‑एयरक्राफ्ट मिशन में भी प्रभावी बनाती है। रेंज की बात करें तो पहली पीढ़ी की मिसाइल 300 km तक जा सकती है, जबकि नवीनतम वर्ज़न 500 km तक पहुँचती है।
त्रिविमित (3‑D) नेविगेशन सिस्टम, इन्फ़्रारेड और रडार इज़र काम्बैट हार्डवेयर इसे कई बाधाओं को पार करने में मदद करता है। लॉन्च प्लेटफ़ॉर्म में बॉर्डिंग पाथ, सुभी सेरिवॉयर (सब-मैरीन्स), वायु जहाज (जैसे Su‑30MKI) और लैंड‑बेस्ड लॉन्चर शामिल हैं।
शुरुआत में यह मुख्य रूप से एंटी‑शिप भूमिका के लिए डिजाइन किया गया था, लेकिन अब यह लैंड‑एटैक, लैंबस्टर (दोस्त‑देश) लक्ष्य और रणनीतिक बैंड के लिये भी इस्तेमाल हो रहा है। इस लचीलेपन के कारण भारत ने इसे अपने अधिकांश सेना उपकरणों में इंटीग्रेट किया है।
अब बात करते हैं अगली पीढ़ी की। BrahMos-II जिसे हाइपर्सोनिक कहा जाता है, 7 Mach तक की गति का लक्ष्य रखता है और रेंज 1500 km तक बढ़ाने की योजना है। इससे यह न केवल तेज़ बल्कि अधिक दूर तक भी पेशा सकता है।
एक और बड़ी खबर यह है कि भारत ने BrahMos को टैंक और एलटीए (लाइट ट्रैक्टर्ड एयरक्राफ्ट) पर भी परीक्षण किया है। इसका मतलब है कि भविष्य में हम देख सकते हैं कि भारतीय टैंकों में भी इस मिसाइल की क्षमता जोड दी जाएगी।
रणनीतिक दृष्टि से, BrahMos को अपनाने से भारत को "स्ट्राइक क्षमता" में बड़ी बढ़ोतरी मिली है। ये मिसाइल संभावित जल-आक्रमण, तटीय रक्षा और सीमाओं के पार तेज़ प्रतिक्रिया में मदद करती है। साथ ही, इसका निर्यात भी संभावनाओं में है – कई देश इस तकनीक को खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं।
सारांश में, अगर आप जानना चाहते हैं कि कैसे भारत एक तेज़, सटीक और बहु‑उपयोगी मिसाइल से अपनी रक्षा को मजबूत कर रहा है, तो BrahMos ही जवाब है। यह सिर्फ हार्डवेयर नहीं, बल्कि भारत‑रुस सहयोग की एक मिसाल भी है, जो भविष्य में भी कई नई तकनीकें लाएगी।
भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के Bholari एयरबेस पर ब्रह्मोस मिसाइल से हमला कर Saab 2000 AWACS समेत कई फाइटर जेट्स को तबाह कर दिया। इस हमले ने पाकिस्तान की एयर डिफेंस क्षमता को करारा झटका दिया है और क्षेत्रीय संतुलन में बड़ा बदलाव आया है।
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