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हाल ही में समाचार में बार‑बार "आतिशी भूख हड़ताल" का जिक्र सुनने को मिल रहा है। ये अचानक नहीं आया, बल्कि कई सालों की शिकायतों का परिणाम है। इस लेख में हम देखेंगे कि हड़ताल क्यों शुरू हुई, मुख्य मांगें क्या हैं और इससे जनता व सरकार को क्या सीख मिलती है।
हड़ताल का आरम्भ कुछ किसान समझौते के टूटने के बाद हुआ। किसान संघों ने कहा कि सरकार ने ज़मीनी सुधार, न्यूनतम समर्थन मूल्य और बीमा स्कीमों में वादा किए हुए लाभ नहीं दिया। इन वादों को पूरा न करने के कारण वे अपनी भूख को हड़ताल के रूप में इस्तेमाल करने लगे – यानी रोज़मर्रा की जरूरतों के लिये भूख के माध्यम से आवाज़ उठाना।
इसे "आतिशी" कहा गया क्योंकि हड़ताल में केवल खाने-पीने की कमी नहीं, बल्कि जल, चिकित्सा और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं की मांग भी शामिल थी। कई क्षेत्रों में लोग सड़कों पर बैठकर, पनडुब्बी जैसी सख्त परिस्थितियों में अपनी स्थिति दिखा रहे थे। इस तरह की हड़ताल ने सरकार को सीधे दबाव में ला दिया।
हड़ताल के शुरुआती हफ़्तों में कई गांवों में पानी की पाइपलाइन बंद हो गई, अस्पतालों में दवाइयों की कमी रही और स्कूलों में पढ़ाई रुक गई। लेकिन इस असुविधा ने मीडिया का ध्यान खींचा, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा शुरू हुई। प्रमुख राजनेता और सरकारी अधिकारी अब इस मुद्दे पर बात कर रहे हैं और कई राज्यों ने विस्तृत रिपोर्ट बनाकर समस्याओं को हल करने की योजना बताई है।
भविष्य में यदि सरकार जल्दी से समाधान नहीं निकालती, तो हड़ताल और भी लम्बी हो सकती है। लेकिन कुछ संकेत भी हैं – जैसे कि कुछ राज्य ने न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ा दिया और किसान को सीधे बाजार में बेचने की सुविधा दी। इन कदमों से हड़ताल की तीव्रता धीरे‑धीरे कम हो रही है।अगर आप इस आंदोलन को फॉलो करना चाहते हैं, तो स्थानीय समाचार चैनल, सरकारी नोटिफिकेशन और सामाजिक मीडिया पर "#आतिशीभूखहड़ताल" टैग देखें। कई NGOs भी सहायता प्रदान कर रही हैं, आप उनकी वेबसाइट से सपोर्ट कर सकते हैं।
समाप्त करने से पहले याद रखिए – हड़ताल सिर्फ विरोध नहीं, बल्कि एक संवाद का तरीका है। यदि सरकार और जनता मिलकर समस्याओं का हल निकालें, तो भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा नहीं आएगी। इस लिये हम सबको सच्ची जानकारी के साथ जुड़े रहना चाहिए।
दिल्ली की जल मंत्री आतिशी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राजधानी में जल संकट का समाधान करने की मांग की है और इसे दो दिनों के भीतर हल न करने की स्थिति में 21 जून से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की धमकी दी है। दिल्ली को हरियाणा की ओर से उसकी संचित जल मात्रा का बहुत कम हिस्सा मिल रहा है, जिससे लाखों लोग प्रभावित हैं।
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