इंदिरा गांधी और उनकी पसंदीदा कारें
भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जीवन अपने आप में बेहद अनोखा और प्रेरक रहा है। उनके अनगिनत राजनीतिक फैसलों और साहसी व्यक्तित्व के बीच एक और पहलू था, जो लोगों को आकर्षित करता था - वो थी उनकी कारों के प्रति दीवानगी। खासकर उनकी पसंदीदा कार Buick LeSabre, जिसने इंदिरा जी के ऑटोमोटिव चॉइस को एक अलग ही पहचान दी थी।
Buick LeSabre: एक अमेरिकी क्लासिक
Buick LeSabre अमेरिका की एक प्रमुख सेडान थी, जो अपने बड़े इंजन और भारी-भरकम डिजाइन के लिए जानी जाती थी। 1959 में लॉन्च हुई इस गाड़ी ने बहुत ही कम समय में अपनी अलग पहचान बना ली थी। इंदिरा गांधी ने इस कार को अपनी पसंदीदा सवारी बना लिया था। उनकी माने तो ये गाड़ी सड़क पर चलते वक्त अपनी खास मौजूदगी का अहसास कराती थी। उसके शानदार डिजाइन और मजबूत इंजन ने इसे बहुत खास बना दिया था।
इंदिरा गांधी की यात्रा और Buick LeSabre
इंदिरा गांधी अक्सर अपने राजनीतिक दौरे Buick LeSabre में किया करती थीं। पहली बार जब उन्होंने इस कार का अनुभव किया, तो वे इसके आकर्षण में बंध गईं। यह उनके लिए केवल एक वाहन नहीं था, बल्कि उनकी शख्सियत का हिस्सा भी बन गया था। जहाँ एक तरफ ये उन्हें सड़क पर विशेष अहसास कराती थी, वही दूसरी ओर यह उनके जीवन की आधुनिकता और प्रगतिशील सोच को भी दर्शाती थी।
अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव और बजाज
अमेरिकी गाड़ियों का भारत में वो दौर था जब आधुनिकता का प्रतीक माना जाता था। इंदिरा गांधी जैसे नेता ने जब Buick LeSabre चुनी, तो ये केवल एक कंज्यूमर चॉइस नहीं थी, बल्कि ज्यों की तरह भारतीय समाज पर अमेरिकी प्रभाव की एक झलक भी थी। इसके विशाल आकार और भारी-भरकम बनावट के बावजूद इसका लचीला संचालन और शानदार प्रदर्शन इसे इंदिरा जी के लिए और भी खास बना देता था। उन्होंने कई बार अपने ऑफिशियल दौरों में इसे प्राथमिकता दी थी।
इंदिरा गांधी का ऑटोमोटिव प्रेम
इंदिरा गांधी का वाहन चयन सिर्फ उनकी व्यक्तिगत रूचि नहीं था। यह उनके दृष्टिकोण का प्रतिबिंब था कि कैसे एक देश को बाहरी दुनिया को अपनाना चाहिए ताकि वो और भी विकसित हो। उनकी पसंदीदा गाड़ियाँ उनके व्यक्तित्व की विविधता और समृद्धि को दर्शाती थीं। ये वाहन उनके आत्मनिर्भरता और तथागत सोच को भी उजागर करते थे।
इंदिरा गांधी का Buick LeSabre के प्रति प्रेम केवल व्यक्तिगत स्तर पर नहीं था, बल्कि यह भारत के इतिहास का एक ऐसा पृष्ठ था, जो आज भी सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। उनकी कार के प्रति चॉइस आज भी हमें उनकी सोच और भविष्य की उनकी दृष्टि के बारे में मौसमन्द करती है। उनके अतिरिक्त एक अनुसरणशील नेता, जो अपने दौर के सबसे विकसित उत्पादों को अपनाकर भारत के भविष्य के लिए मार्गदर्शक बनीं।
टिप्पणि (10)
Ratna El Faza
मुझे याद है जब मेरे दादाजी बोलते थे कि इंदिरा जी की कार देखकर लोग रुक जाते थे। वो सिर्फ एक कार नहीं, बल्कि एक अहसास थी। आज के छोटे-छोटे सेडान्स के बीच वो बड़ी कार जैसे एक राजा की सवारी लगती थी।
Nihal Dutt
ब्यूइक लेसाब्रे? अरे ये तो अमेरिका की जंगली गाड़ी है जो हमारी सड़कों पर फिट नहीं होती थी!! और फिर भी उन्होंने इसे चुना? ये तो लगता है जैसे किसी ने अपने घर में एक जेट प्लेन लगा दिया हो!!
Swapnil Shirali
अरे भाई, ये बात तो बहुत गहरी है। इंदिरा जी ने ब्यूइक लेसाब्रे को चुना क्यों? क्योंकि वो जानती थीं कि एक बड़ी कार बस एक वाहन नहीं, बल्कि एक घोषणा है। एक घोषणा कि भारत अपने आप को छोटा नहीं मानता। ये कार उनकी आत्मविश्वास की आवाज थी-बड़ी, भारी, और बिना बात किए बोलती हुई। आज के छोटे एवीएम वालों को ये बात नहीं समझ आती।
और हाँ, जब आप उस गाड़ी के अंदर बैठते, तो आपको लगता था कि आप दुनिया के बीचोबीच हैं। वो इंजन की गुनगुनाहट, वो सीट्स का आराम-ये सब एक शक्ति का संकेत था।
अब लोग बोलते हैं कि ये एम्बियंट नहीं था, लेकिन उनका ध्यान उस चीज़ पर नहीं था जो बाहर था-बल्कि जो अंदर था।
और हाँ, अगर आपको लगता है कि ये सिर्फ एक कार का मामला है, तो आपने इतिहास कभी नहीं पढ़ा।
Upendra Gavale
इंदिरा जी की कार देखकर लगता था जैसे वो सीधे 1970 के अमेरिका से आ गई हो 😍🚗💨 ये तो मेरे दादा की जैसी थी, जो अपने दोस्तों के साथ दिल्ली से लखनऊ तक जाते थे और बीच में रुककर चाय पीते थे 😂
मैं तो सोचता हूँ कि अगर आज भी कोई PM ऐसी कार चलाता है तो ट्विटर पर ट्रेंड हो जाएगा 😆
abhimanyu khan
यह विषय अत्यंत असामान्य है। एक राष्ट्रीय नेता के व्यक्तिगत वाहन चयन को इतने गौरव से प्रस्तुत करना अनुचित है। इंदिरा गांधी के ऐतिहासिक योगदान को उनकी कार के आधार पर मापना एक अत्यंत अल्पदृष्टि वाली दृष्टि है। यह राजनीतिक निरूपण का एक अपराध है।
Jay Sailor
अमेरिकी कार? भारत की प्रधानमंत्री को अमेरिकी कार चलाने का क्या मतलब? हमारे देश में तो एक बाइक भी नहीं चला पाती, फिर इस बर्बर जंगली गाड़ी को क्यों चुना? यह तो एक उपनिवेशवादी मानसिकता है! हमें अपने ही देश की कारें चलानी चाहिए-जैसे ऑल्टो, ऑटो रिक्शा, या फिर घोड़े की गाड़ी! यह ब्यूइक तो अमेरिका की नीची चीज़ है, जिसे वो खुद फेंक देते हैं!
Anindita Tripathy
मैं इस कार के बारे में सुनकर बहुत खुश हुई। इंदिरा जी ने अपनी शक्ति को छुपाया नहीं-उन्होंने इसे दिखाया। और जिस तरह से उन्होंने इस कार को अपनाया, वो एक निश्चय का प्रतीक था। आज के युवाओं को ये समझना चाहिए कि बड़ा होना मतलब बड़ी कार नहीं, बल्कि बड़ी सोच है।
मैंने एक बार दिल्ली के एक पुराने ऑटो गैरेज में एक ब्यूइक लेसाब्रे देखी थी-उसकी चमक अभी भी मेरी आँखों में है। वो कार बस धूल नहीं थी, वो इतिहास थी।
Ronak Samantray
ब्यूइक? क्या आप जानते हैं ये कार अमेरिका में गुप्त सेवाओं के लिए भी इस्तेमाल होती थी? 🤫 ये तो सिर्फ एक कार नहीं... ये एक संकेत था।
Swapnil Shirali
अच्छा, तो अब ये भी बोल रहे हैं कि ये कार गुप्त सेवाओं के लिए थी? तो फिर इंदिरा जी का बैकग्राउंड चेक किया गया था या नहीं? 😏
अगर आप वाकई ऐसा मानते हैं, तो बताइए-क्या उनकी कार के अंदर एक रेडियो जामर भी लगा हुआ था? क्या उनकी सीट के नीचे एक गुप्त डिवाइस था जो राष्ट्रीय राजनीति को ट्रैक करता था? 🤔
मुझे लगता है कि ये सब एक बहुत बड़ा ड्रीम बन गया है।
Viraj Kumar
इंदिरा गांधी के व्यक्तिगत वाहन चयन को राष्ट्रीय आत्मा का प्रतीक बनाना एक विकृत अर्थशास्त्र है। यह उनकी व्यक्तिगत आदतों को राष्ट्रीय नीति के स्तर पर उठाने का एक अस्वीकार्य प्रयास है। भारत के विकास का मापदंड कारों के आकार या ब्रांड नहीं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के सुधार है। यह आलेख एक विचलित ऐतिहासिक निरूपण है।