इनसाइड आउट 2: पिक्सार की शानदार सीक्वल

इनसाइड आउट 2: पिक्सार की शानदार सीक्वल

इनसाइड आउट 2: किशोरावस्था की चुनौतीपूर्ण यात्रा

डिज्नी और पिक्सार की नई फिल्म इनसाइड आउट 2 एक बार फिर से दर्शकों को रिले के जीवन में गहरी नजर डालने का मौका देती है। इस बार कहानी रिले के किशोरावस्था में प्रवेश करने और उसके साथ आने वाली नई चुनौतियों को दिखाएगी। फिल्म में दर्शकों को न केवल रिले की पुरानी भावनाओं - आनंद, दुख, क्रोध, भय और घृणा - से मिलवाया जाएगा, बल्कि नई भावना चिंता (माय हॉक द्वारा) का भी परिचय कराया जाएगा।

नई भावना चिंता का प्रवेश

फिल्म की शुरुआत में ही हम देखेंगे कि कैसे चिंता ने रिले की आत्मा पर कब्जा जमाने की कोशिश की है। यह एक ऐसी भावना है जो अक्सर किशोरावस्था में प्रवेश करने वाले युवाओं में देखी जाती है, और फिल्म इस महत्वपूर्ण मुद्दे को बड़े संवेदनशीलता से दिखाती है। चिंता के आते ही, रिले की बाकी भावनाएं - आनंद (एमी पोएलर), दुख (फिलिस स्मिथ), और क्रोध (लुइस ब्लैक) - अपने-अपने कोनों में सिमट जाते हैं और एक विद्रोह की स्थिति उत्पन्न होती है।

मुख्य विषय पर आते हैं, कैसे रिले अपने भीतर चल रहे इस संघर्ष को पार करती है और कैसे उसकी भावनाएं एकजुट होकर उसकी किशोरावस्था के इस मुश्किल दौर से निपटने में उसकी मदद करती हैं। फिल्म में खासतौर पर दिखाया जाएगा कि कैसे रिले की भावनाएं आपस में टकराती हैं और फिर मिलकर एक नई दिशा की ओर बढ़ती हैं।

श्रेष्ठता की यात्रा में संतुलन

पिक्सार ने हमेशा से ही अपने किरदारों को गहराई और मानवीय संवेदनाओं के साथ चित्रित किया है। इस फिल्म में भी रिले की भावनात्मक यात्रा को बड़े सजीव तरीके से दिखाया गया है। कैसे किशोरावस्था का यह दौर उसके लिए न केवल भावनात्मक बल्कि मानसिक स्तर पर भी चुनौतीपूर्ण साबित होता है।

चिंता का किरदार रिले के जीवन में अस्थिरता और डर लेकर आता है, परंतु यही डर उसे मजबूत बनाने और अपने भीतर की ताकत को पहचानने में मदद करता है। यह फिल्म न केवल बच्चों के लिए, बल्कि वयस्कों के लिए भी एक सीख है कि कैसे हमें अपनी भावनाओं को समझना और स्वीकार करना चाहिए।

संस्कृति में खुशियों का सम्मिलन

संस्कृति में खुशियों का सम्मिलन

इस सबके बीच, पॉप कल्चर हैप्पी आवर+ के सब्सक्राइबर्स के लिए एक खास वर्चुअल लाइव इवेंट का आयोजन भी किया गया है, जहां 27 जून को समरटाइम ट्रीट्स पर एक पोल के नतीजे सामने आएंगे। यह इवेंट फिल्म की रिलीज से पहले होने वाले उत्साह और प्रत्याशा को बढ़ाने का काम करेगा।

सातत्य और नवाचार की कहानी

पिक्सार हमेशा ही अपने अद्वितीय स्टोरीटेलिंग और अनोखे किरदारों के लिए जाना जाता है। इस फिल्म में भी उन्होंने वही कारीगरी और कौशल रखा है। फिल्म न केवल बच्चों का मनोरंजन करेगी, बल्कि वयस्कों को भी उनकी पुरानी यादों से जोड़ देगी और अतीत में ले जाएगी।

इनसाइड आउट 2, केवल एक फिल्म नहीं है, बल्कि यह एक भावनात्मक यात्रा है जो प्रत्येक व्यक्ति को उसके स्वयं के मानसिक और भावनात्मक परिदृश्य को समझने और सुलझाने में सहायता करती है। हमारे समाज में मानसिक स्वास्थ्य का मुद्दा अक्सर नजरअंदाज किया जाता है, और यह फिल्म इस मुद्दे को बड़े संवेदनशीलता और समझदारी से उजागर करने का प्रयास करती है।

निष्कर्ष

निष्कर्ष

कुल मिलाकर, इनसाइड आउट 2 एक ऐसी फिल्म है जिसे देखते समय आप न केवल अपने दिल के भीतर झांकेंगे, बल्कि अपने समाज में मानसिक स्वास्थ्य की महत्ता को भी समझेंगे। पिक्सार ने एक बार फिर अपने शानदार एनिमेशन और गहरी कहानी के माध्यम से दर्शकों के दिलों में जगह बनाई है। इस बार कहानी रिले के जीवन की नई चुनौतियों और उसकी भावनाओं के संघर्ष की है, जिसने इस फिल्म को और भी खास बना दिया है।

यह फिल्म न केवल बच्चों के लिए उपयुक्त है, बल्कि बड़े भी इससे काफी कुछ सीख सकते हैं। फिल्म में मनोरंजन के साथ-साथ एक गहरा संदेश छिपा है, जो हमें अपनी भावनाओं को समझने और उन्हें सही तरीके से व्यक्त करने की प्रेरणा देता है।

टिप्पणि (17)

  1. Jitender Rautela
    Jitender Rautela
    15 जून, 2024 AT 09:10 पूर्वाह्न

    ये फिल्म तो बस एक एनिमेशन नहीं, ये तो हर किसी के दिमाग का एक एक्स-रे है। मैंने देखा और खुद को रिले में देख लिया।
    चिंता वाला किरदार तो बिल्कुल मेरे दिमाग का रिप्लिका है।

  2. Surender Sharma
    Surender Sharma
    15 जून, 2024 AT 14:24 अपराह्न

    बस इतना ही? इतनी बड़ी फिल्म और इतना कम कुछ हुआ? पिक्सार ने अब बोर करना शुरू कर दिया है।

  3. Anil Tarnal
    Anil Tarnal
    16 जून, 2024 AT 22:06 अपराह्न

    मैंने जब ये फिल्म देखी तो मेरे आंखों में आंसू आ गए। नहीं, मैं रोया नहीं... मैंने बस अपनी चश्मा साफ किया।
    पर असल में, मैं बचपन में बहुत अकेला रहा था। रिले की भावनाएं मुझे याद दिला रही थीं कि मैं क्या खो चुका हूं।
    मैंने अपनी माँ को फोन किया, उसने कहा तुम्हारा दिमाग अभी भी बच्चा है।
    मैंने उसे फोन काट दिया।
    अब मैं यही सोच रहा हूं कि क्या मैं भी चिंता का हिस्सा हूं।
    क्या मैं अपने आप को बचाने के लिए दुख को दबा रहा हूं?
    क्या आनंद भी अब एक झूठ है?
    मैंने आज रात एक बर्फ की चाय पी, और उसमें चीनी नहीं डाली।
    क्योंकि शायद चीनी भी एक झूठ है।
    मैं अपने घर के बाहर खड़ा था, और एक कौवा बोला - 'तुम बस एक बुरा इंसान हो।'
    मैंने उसे देखा। वो उड़ गया।
    मैंने उसे भगाया नहीं।
    मैंने बस अपने दिल को बंद कर दिया।
    शायद ये फिल्म ने मुझे बचा लिया।
    या शायद मैं अब और नहीं बचूंगा।

  4. Viraj Kumar
    Viraj Kumar
    17 जून, 2024 AT 10:20 पूर्वाह्न

    फिल्म में चिंता को एक व्यक्तित्व के रूप में दिखाना बिल्कुल गलत है। यह भावना एक अवस्था है, एक व्यक्ति नहीं। इस तरह का निरूपण मानसिक स्वास्थ्य को बच्चों जैसा बना देता है।
    पिक्सार को अपनी जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए।

  5. Shubham Ojha
    Shubham Ojha
    17 जून, 2024 AT 20:22 अपराह्न

    ये फिल्म तो बस एक फिल्म नहीं, ये तो हमारे अंदर के बादलों का एक रंगीन नाच है।
    रिले की भावनाएं तो मेरे दिमाग की बाजार जैसी हैं - एक तरफ आनंद की बेचारी गाड़ी, दूसरी तरफ चिंता का भारी ट्रक, और बीच में दुख का एक छोटा सा स्कूटर जो हमेशा रुक जाता है।
    मैंने अपने बच्चे को ये फिल्म दिखाई, और उसने कहा - 'पापा, मैं भी चिंता का हिस्सा हूं।'
    मैंने उसे गले लगा लिया।
    ये फिल्म हमें याद दिलाती है कि हम सब अलग-अलग भावनाओं के नाच में नाच रहे हैं।
    और शायद, बस इतना ही काफी है।

  6. tejas maggon
    tejas maggon
    19 जून, 2024 AT 13:44 अपराह्न

    चिंता को नियंत्रित करने के लिए गुप्त एजेंसी ने इस फिल्म को बनाया है। वो चाहते हैं कि हम सब अपनी भावनाओं को दिखाएं ताकि वो हमारे डेटा को ट्रैक कर सकें।
    आनंद वाली आवाज़ तो अलग है, वो तो सरकारी एआई है।

  7. Subashnaveen Balakrishnan
    Subashnaveen Balakrishnan
    20 जून, 2024 AT 16:55 अपराह्न

    फिल्म में चिंता का किरदार बहुत सही लगा। मैंने अपने दोस्त के साथ बात की और उसने भी यही कहा। अब मैं सोच रहा हूं कि क्या ये फिल्म हमारे लिए एक नया तरीका है भावनाओं को समझने का।

  8. Keshav Kothari
    Keshav Kothari
    22 जून, 2024 AT 05:27 पूर्वाह्न

    फिल्म बहुत अच्छी है। लेकिन अगर आप इसे देखकर खुश हो गए, तो आप बस एक बेवकूफ हैं।

  9. Rajesh Dadaluch
    Rajesh Dadaluch
    22 जून, 2024 AT 18:47 अपराह्न

    बोरिंग।

  10. Pratyush Kumar
    Pratyush Kumar
    23 जून, 2024 AT 05:02 पूर्वाह्न

    मैंने ये फिल्म अपने बहन के साथ देखी। उसने कहा - 'पापा, मैं भी चिंता का हिस्सा हूं।'
    मैंने उसे गले लगा लिया।
    मैंने सोचा, शायद ये फिल्म हमारे लिए एक नया रास्ता है।
    अगर आप भी इसे देखें, तो शायद आप भी एक नया रास्ता ढूंढ सकते हैं।

  11. nishath fathima
    nishath fathima
    24 जून, 2024 AT 22:09 अपराह्न

    मैं इस फिल्म के बारे में बहुत आश्चर्यचकित हूं। यह एक बच्चों की फिल्म है और इसमें भावनाओं को इतना गहराई से दिखाना बिल्कुल अनुचित है।

  12. DHEER KOTHARI
    DHEER KOTHARI
    26 जून, 2024 AT 17:04 अपराह्न

    मैंने ये फिल्म देखी और आंखें भर आईं 😭
    हर किसी के अंदर एक रिले है।
    चिंता भी हमारा दोस्त है, बस उसे समझना होगा।

  13. vineet kumar
    vineet kumar
    28 जून, 2024 AT 11:05 पूर्वाह्न

    यह फिल्म भावनाओं को व्यक्तित्व के रूप में प्रस्तुत करके एक दार्शनिक अवधारणा को सरल बनाती है।
    चिंता का आगमन किशोरावस्था में एक अनिवार्य घटना है, जिसे दबाने के बजाय समझना चाहिए।
    यह एक अंतर्दृष्टि है जो बच्चों के लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए है।
    हमने अपनी भावनाओं को एक शब्द में बंद कर दिया है - खुश, गुस्सा, दुख - लेकिन वे एक स्पेक्ट्रम हैं।
    इस फिल्म ने एक अनुभव को एक नैतिक शिक्षा में बदल दिया है।

  14. Deeksha Shetty
    Deeksha Shetty
    28 जून, 2024 AT 21:09 अपराह्न

    फिल्म बहुत अच्छी है लेकिन चिंता को एक व्यक्ति बनाना बिल्कुल गलत है और ये सब बच्चों को भ्रमित करेगा और ये फिल्म बहुत लंबी है और पिक्सार अब बहुत बोरिंग हो गया है

  15. Ratna El Faza
    Ratna El Faza
    29 जून, 2024 AT 01:47 पूर्वाह्न

    मैंने ये फिल्म देखी और लगा जैसे मैंने अपने दिमाग को देख लिया हो।
    मैं भी अक्सर चिंता के साथ बातें करती हूं।
    शायद ये फिल्म हमें बता रही है कि हम सब एक दूसरे से जुड़े हैं।

  16. Nihal Dutt
    Nihal Dutt
    30 जून, 2024 AT 18:04 अपराह्न

    ये फिल्म तो बस एक बड़ा धोखा है। चिंता को बुरा नहीं बनाया जाना चाहिए। आनंद तो सबके लिए बहुत आसान है।
    लेकिन चिंता तो जीवन का सच है।
    इस फिल्म ने सबको झूठ बोलने का रास्ता दिखाया है।

  17. Swapnil Shirali
    Swapnil Shirali
    1 जुल॰, 2024 AT 02:53 पूर्वाह्न

    अच्छा तो अब हम भावनाओं को एक टीम के रूप में देखने लगे... और फिर उनके बीच एक बार्टेंडर बन गया... और उसने एक ड्रिंक बनाया... नाम था 'मानसिक स्वास्थ्य का नशा'... और फिर पिक्सार ने इसे 100 करोड़ में बेच दिया... और अब हम सब उसके लिए रो रहे हैं... क्योंकि हमने कभी नहीं सोचा था कि चिंता भी एक व्यक्ति हो सकती है... या शायद हम बस एक बहुत बड़े ड्रीम में हैं... और ये सब एक बड़ा एडवरटाइजमेंट है... और अब मैं अपने आप को चिंता का नाम देने वाला हूं... क्योंकि मैंने इस फिल्म को देख लिया है... और अब मैं अपने दिमाग के बाहर नहीं निकल पा रहा हूं...

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