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जब बात पर्पल कैप, इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ को दिया जाने वाला शानदार इनाम है. Also known as सबसे अधिक विकेट ट्रॉफी, it सीज़न के अंत में बेस्ट बॉलर की पहचान बनाता है की होती है, तो तुरंत IPL, भारत की सबसे लोकप्रिय टॉफी टूर्नामेंट, जहाँ प्रत्येक मैच में गेंदबाज़ी और बैटिंग दोनों का प्रदर्शन देखा जाता है याद आता है। पर्पल कैप जीतना सिर्फ एक व्यक्तिगत शल्य नहीं, बल्कि टीम की रणनीति और सत्र के दौरान लगातार दबाव संभालने की क्षमता का प्रमाण है।
पहली बार पर्पल कैप 2008 के IPL में पेश किया गया था, और तब से यह हर साल की बॉलिंग प्रतिस्पर्धा का मुख्य आकर्षण बन गया है। ट्रॉफी का मानदण्ड स्पष्ट है: सीज़न में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाला गेंदबाज़ पर्पल कैप उठाता है। यह नियम गेंदबाज़ी, विक्टिम, इकनॉमी रेट और डॉट ओवर जैसी सांख्यिकीय मीट्रिक्स पर निर्भर करती है, इसलिए सिर्फ एक हॉट स्पॉट पर भरोसा नहीं किया जा सकता। उदाहरण के तौर पर, 2023 में योगी राठौर ने 28 विकेट लेकर पर्पल कैप जीता, जबकि वह सिर्फ विकेट नहीं, बल्कि औसत चलाने वाली गति और मैत्रीपूर्ण फ़ीवर भी दिखा रहा था।
पर्पल कैप जीतने वाले खिलाड़ियों की सूची में कई अंतरराष्ट्रीय सितारे शामिल हैं – ख़ुशबीर सिंह, जतिन बंध्वाज, रवींद्र जडेजा आदि। हर विजेता ने अपनी बॉलिंग शैली के आधार पर टीम के प्लान को बदल दिया। किसी ने स्विंगिंग पिच पर आउटसाइड ओवर के साथ लगातार विकेट लिए, तो किसी ने डेज़र्ट ट्रैक पर तेजी से बॉल डिलीवर करके बैटस्मैन को फँसाया। यह दिखाता है कि पर्पल कैप केवल वैयक्तिक कौशल नहीं, बल्कि टेक्टिकल समझ का भी इशारा है।
पर्पल कैप का प्रभाव खिलाड़ी के करियर पर भी गहरा होता है। कई बल्लेबाज़ियों ने कहा है कि पर्पल कैप जीतते ही उन्हें राष्ट्रीय टीम में चयन के दरवाज़े खोलते देखना मिला। रीटेन करने वाले क्लब्स भी इस ट्रॉफी को अपनी बीडीएस (बोर्डिंग डिवीजन स्कोर) में शामिल करते हैं, जिससे खिलाड़ी का मौडल और मार्केट वैल्यू बढ़ता है। इसलिए युवा गेंदबाज़ों के लिए पर्पल कैप मात्र गर्व का प्रतीक नहीं, बल्कि भविष्य की सुरक्षा भी बन जाता है।
आइए थोड़ा आँकड़ों में झाँकें – पिछले पाँच साल में औसत विकेट संख्या 20 से 30 के बीच रही है, जबकि सबसे अधिक हासिल किए गए विकेट 31 (2022) हैं। इस रेंज में टिके रहने वाले गेंदबाज़ों ने अक्सर अपने ओवर में कम से कम दो विकेट लेने की कोशिश की और साथ ही इकोनॉमी रेट (रन प्रति ओवर) को 6.5 से नीचे रखा। ये दो पैरामीटर पर्पल कैप के लिए अनिवार्य मानदण्ड बन चुके हैं, क्योंकि एक ही विकेट पर निर्भर रहना अटकलों जैसा लगता है।
अगले सीज़न में पर्पल कैप की दावत फिर से शुरू होगी, और प्रशंसक उत्सुक हैं कि कौन सी नई बॉलिंग तकनीक, कौन सी पिच और कौन सा फ़ॉर्मेट इस ट्रॉफी को जीतने के लिये सबसे अनुकूल रहेगा। हमारे पास आपके लिये प्ले‑बाई‑प्ले टिप्स भी हैं: तेज़ पिच पर गति बढ़ाएँ, धीमी पिच पर स्विंग और स्पिन में विविधता रखें, और हमेशा मैच‑स्थिति के अनुसार लाइन‑और‑लेंथ में बदलाव करें। इन बातों को अपनाकर आप भी पर्पल कैप के दावेदार बन सकते हैं।
नीचे दी गई पोस्ट सूची में पर्पल कैप से जुड़ी खबरें, विश्लेषण और खिलाड़ियों की कहानियाँ शामिल हैं। आप देखेंगे कि कैसे विभिन्न चुनौतियों ने इस ट्रॉफी को और रोमांचक बनाय़ा, और कौन‑से अवसर आगे आने वाले सीज़न में आपके लिये दरवाज़ा खोल सकते हैं। पढ़ते रहें और अपने पसंदीदा गेंदबाज़ी खेल को और भी समझदारी से देखें।
एमेलिया केर ने 18 विकेट लेकर पर्पल कैप जीता, जिससे मुंबई इंडियंस ने ब्रैब्रॉन स्टेडियम में अपना दूसरा WPL खिताब सुरक्षित किया।
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