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अगर आप अक्सर खबरों में "हमास" का नाम सुनते हैं तो शायद सोच रहे हैं कि ये फॉर्म क्या है। हम यहां इसे आसान शब्दों में समझाते हैं। हमास एक राजनीतिक-सेन्याई समूह है जो मुख्य रूप से फिलिस्तीन के गाज़ा पट्टी में सक्रिय है। यह 1987 के पहला इंटिफ़ादा (फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध) के समय पला-बढ़ा और तब से अपने लक्ष्य में बदलाव लाया है।
हमास का पूरा नाम "हिरकत अल-त अख़ाल्ला अल-इस्लामिया" है, जिसका मतलब है "इस्लामी प्रतिरोध की सभा"। इसका मूल उद्देश्य फ़िलिस्तीन को इज़राइल के कब्जे से मुक्त करना था, लेकिन इसमें इस्लामी नियमों का पालन भी शामिल है। शुरुआती सालों में यह सामाजिक सेवाएँ जैसे स्कूल, अस्पताल और चैरिटी चलाता था, जिससे कई गरीब लोग इससे जुड़ गए।
समय के साथ हमास ने अपने सैन्य शाखा, इज़ाल, को मजबूत किया। इज़ाल गाज़ा में विभिन्न हमले करता है और कभी‑कभी इज़राइल के साथ बड़े संघर्ष का कारण बनता है। इस बीच, हमास की राजनीतिक भागीदारी भी बढ़ी, और 2006 के संसद चुनाव में उसने बहुमत हासिल किया। इस जीत से गाज़ा में उसका शासन हुआ, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों ने इसे आतंकवाद समूह घोषित किया।
पिछले कुछ सालों में हमास ने कई बार इज़राइल के साथ लड़ाई शुरू की। 2021 में गाज़ा से इज़राइल पर रॉकेट फायर और जवाब में इज़राइल ने वायु हमले किए। इस संघर्ष में बहुत सारे नागरिकों की जान गई, जिससे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूह चिंतित हुए।
हाल ही में, आर्थिक प्रतिबंधों और बहुपक्षीय दबाव के कारण हमास ने कई नई रणनीतियाँ अपनाई। उन्होंने सामाजिक नेटवर्क पर अपनी आवाज़ बढ़ाई, खासकर युवा वर्ग को आकर्षित करने के लिए। साथ ही, इज़राइल के साथ छूट की कोशिश में वार्तालाप की पहल भी देखी गई, लेकिन यह अभी तक ठोस परिणाम नहीं दे पाया।
फ़िलिस्तीनी जनता के बीच हमास की लोकप्रियता अभी भी उच्च है, क्योंकि वह सामाजिक सेवाएँ देता है और कई लोगों को रोजगार देता है। लेकिन इज़राइल के साथ लगातार संघर्ष के कारण सिविलियों को बहुत नुकसान होता है, जिससे अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ता रहता है।
तो अगर आप "हमास" शब्द को समझना चाहते हैं, तो याद रखें कि यह सिर्फ एक सैन्य समूह नहीं, बल्कि एक जटिल राजनीतिक और सामाजिक संस्था है जो फ़िलिस्तीन की आज़ादी और इस्लामी विचारधारा को जोड़कर काम करती है। भविष्य में इस समूह के कदमों को देखना जरूरी होगा, क्योंकि यह मध्य पूर्व के तनाव को सीधे प्रभावित करता है।
हमास के राजनैतिक ब्यूरो के प्रमुख ईस्माइल हनियेह की ईरान में हत्या कर दी गई है, और हमास ने इसके लिए इस्राइल को जिम्मेदार ठहराया है। इस घटना ने हमास और इस्राइल के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। हनियेह की मृत्यु का क्षेत्रीय स्थिरता और शांति वार्ताओं पर गहरा असर पड़ सकता है।
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