देव उठनी एकादशी क्या है और क्यों मनाते हैं?

देव उठनी एकादशी हर साल हिन्दू कैलेंडर में दशमी महीने की एकादशी को आती है। इसे खास इसलिए माना जाता है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु को उठने का विशेष अवसर माना जाता है। इस एकादशी को व्रत रखकर मनाने वाले लोग मानते हैं कि इससे शारीरिक और मानसिक शुद्धि होती है, साथ ही मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।

व्रत का सही तरीका

व्रत रखने से पहले दिन के अंत में हल्का स्नान कर लें और नर्म कपड़े पहनें। फिर शाम को सूर्यास्त के बाद जल में नमक, नींबू और शंकराचार्य की कथा सुनते हुए जल व्रत रखें। ठीक रात के 12 बजे तक उपवास रखें और केवल फल, दूध, फलियों और कुछ तिल के लड्डू ही खाएँ। अगर कोई स्वास्थ्य समस्या है तो डॉक्टर से सलाह लेकर हल्का भोजन कर सकते हैं। व्रत के दौरान कोई भी भारी, तैलीय या मीठा नहीं खाना चाहिए।

व्रत के बाद, अगले दिन सुबह उठते ही जल व्रत तोड़ें। एक कुटी में बिन मसाला प्याज, चना और हल्दी मिलाकर हल्का दलिया बनाकर खाएँ। इससे पाचन अच्छा रहता है और शरीर में ऊर्जा लौट आती है।

पूजा और आरती के खास पलों

पूजा की तैयारी में साफ़ कपड़े, शुद्ध जल, अंकुरित कली, नारियल और धूप का उपयोग करें। भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर के सामने एक छोटा सा मेज रखें और उस पर कागज पर लिखा हुआ "ॐ नमो भगवते वासुदेये" लिखें। फिर एक दीपक जलाकर भगवान को अर्पित करें। टहलते हुए एक शांत जगह में गंगाजल या पवित्र जल से स्नान करें और फिर शूद्रवर्णी धूप जलाएँ।

आरती के समय, झूमते हुए "श्री विष्णु आरती" गाएँ और सभी परिवारजन के हाथ में दीपक रखें। यदि संभव हो तो एक घंटा या दो घंटे तक कबर्डियों या नत्थुर की ध्वनि में ध्यान रखें। यह आपके मन को शांत और स्थिर रखता है।

एकादशी के दिन विशेष भोजन नहीं करना चाहिए, लेकिन यदि आप प्रसाद देना चाहते हैं तो केले के पुक और तिल के लड्डे का उपयोग कर सकते हैं। ये प्रसाद भगवान को अर्पित करने के बाद सभी के साथ बाँटे जाते हैं, जिससे घर में खुशहाली बनी रहती है।

देव उठनी एकादशी के बाद आने वाले हफ्ते में भी शुद्धता बनाए रखें। रोज़ सुबह 6 बजे उठकर 15 मिनट ध्यान या प्राणायाम करें। नियमित रूप से हल्की सैर करें और अधिक पानी पीएँ। इससे शरीर में ऊर्जा बनी रहती है और आपका मन भी प्रसन्न रहता है।

संक्षेप में, देव उठनी एकादशी एक महत्वपूर्ण एकादशी है जहाँ व्रत, पूजा और शुद्धि की प्रक्रिया मिलकर आत्मिक उन्नति करती है। सही व्रत रखकर और सरल पूजा विधियों को अपनाकर आप इस पवित्र दिन का पूरा लाभ उठा सकते हैं। आशा है यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी और आप इस एकादशी को भक्ति और शांति के साथ मनाएँगे।

  • नव॰ 12, 2024

तुलसी विवाह और देव उठनी एकादशी 2024: शुभ मुहूर्त, महत्व और रस्में

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