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ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में सबसे आम कैंसर है, लेकिन इसे जल्दी पहचानने और सही कदम उठाने से जीवन बचाया जा सकता है। अगर आप या आपके करीब कोई इस बीमारी के बारे में जानना चाहती है, तो नीचे बताए गए बिंदु पढ़ें।
कैंसर का कारण अक्सर हमारे शरीर में कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बढ़ना होता है। ब्रेस्ट कैंसर में यह प्रक्रिया स्तन के टिश्यू में शुरू होती है। कुछ प्रमुख जोखिम कारक हैं:
इन कारणों को बदलना हमेशा संभव नहीं, पर जीवनशैली में छोटे‑छोटे बदलाव से जोखिम घटाया जा सकता है।
कई महिलाएँ शुरुआती stage में कोई खास लक्षण नहीं महसूस करतीं, इसलिए नियमित self‑examination (स्वयं परीक्षण) और डॉक्टर की जांच जरूरी है। आम लक्षण हैं:
इनमें से कोई भी संकेत मिले तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। समय पर अल्ट्रासाउंड या मैमोग्राम करने से बीमारी का stage पता चल जाता है और इलाज आसान रहता है।
अब बात करें बचाव की। सबसे असरदार तरीका है नियमित स्क्रीनिंग: 40 साल की उम्र के बाद हर साल मैमोग्राम करवाएँ, अगर परिवार में कैंसर का इतिहास हो तो 10 साल पहले से शुरू करें। साथ ही, मासिक खुद‑परीक्षण से छोटी‑छोटी बदलाव जल्दी पकड़े जा सकते हैं।
जीवनशैली में बदलाव भी मददगार हैं:
अगर ब्रेस्ट कैंसर का पता चल जाता है, तो उपचार के विकल्प भी हैं—सर्जरी, रेडिएशन, कीमोथेरेपी, टारगेटेड थैरेपी आदि। आज के समय में रोग की स्टेजिंग अनुसार ही उपचार तय किया जाता है, इसलिए जल्दी पहचान ही सबसे बड़ी ताकत है।
संक्षेप में, ब्रेस्ट कैंसर डरावना शब्द लग सकता है, पर सही जानकारी, नियमित जांच और हेल्दी लाइफ़स्टाइल से हम इस बीमारी को बहुत हद तक रोक या देर से पकड़ सकते हैं। अपनी और अपने प्रियजनों की सेहत के लिए आज ही एक स्क्रीनिंग अपॉइंटमेंट बुक करें और साल में एक बार खुद‑परीक्षण ज़रूर करें।
हीना खान ने स्टेज 3 ब्रेस्ट कैंसर के बारे में खुलासा किया। Lovely Professional University की डॉ. मोनिका गुलाटी ने ब्रेस्ट कैंसर के संकेत और निदान के बारे में जानकारी दी। डॉ. सुरभि सिद्धार्था ने स्क्रीनिंग और उपचार के महत्व पर जोर दिया।
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