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अगर आप दिल्ली की राजनीति की बात कर रहे हैं तो अरविंद केजरीवाल का नाम सुनते ही दिमाग में ऊर्जा और बदलाव की छवि आती है। वह 2012 में आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ राजनीति में कदम रखे और जल्दी ही अपने बेबाक अंदाज़ से लोगों का दिल जीत लिया। आज उनकी कहानी पढ़कर पता चलता है कि कैसे सच्ची सोच और जनता की कसरत से राजनीति का मानचित्र बदल सकता है।
केजरीवाल ने दिल्ली में पानी, बिजली और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं को सुलभ बनाना शुरू किया। 2013 में उन्होंने पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री की कमान संभाली, लेकिन 49 दिनों में सरकार गिर गई। फिर भी उन्होंने निराशा नहीं मानी, बल्कि 2015 में फिर से जीत हासिल करके एक बार फिर से मंच पर आए। उनके इस दोबारा जीतने का कारण था साधारण लोगों को सीधे आवाज़ देना और उनकी समस्याओं को हल करने का ठोस वादा।
उनकी सबसे बड़ी पहचान है ‘नवीनीकरण’ का झंडा लहराना – चाहे वो बिजली बिलों में कटौती हो या सरकारी स्कूलों में सुधार। उन्होंने सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवाएँ, एंटी‑ड्रग अभियान, और गरीबों के लिए किराने की सुविधा जैसे कदम उठाए। ये सब चीजें उनके चुनावी घोषणापत्र से मिलती-जुलती थीं, इसलिए जनता को लगा कि उन्होंने वादे पूरा किए।
केजरीवाल की प्रमुख नीति ‘स्वास्थ्य एंव शिक्षा’ पर आधारित है। उनके अधीन दिल्ली के सरकारी स्कूलों में नई पुस्तकें, लैब उपकरण, और खेल का भी ध्यान रखा गया। स्वास्थ्य में उन्होंने महँगे दवाइयों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए ‘मेडिकल इनवेस्टमेंट’ की पहल शुरू की, जिससे आम आदमी को सस्ती दवा मिली।
एक और बड़ा कदम था ‘मेट्रो की फ्री ट्रैवल’ योजना, जो कामकाजी वर्ग को बहुत भाती रही। इससे न सिर्फ ट्रैफ़िक कम हुआ, बल्कि पर्यावरण पर भी सकारात्मक असर पड़ा। ऐसे कदमों ने उन्हें ‘जनप्रिय’ बना दिया, और चुनाव में बार‑बार सफलता दिलाई।
विरोधियों ने अक्सर उनके शासन को ‘अधिकारियों की नौकरशाही’ से मुक्त करने में चुनौतियों का उल्लेख किया, लेकिन केजरीवाल ने पारदर्शी ग्राफ़़िक और ऑनलाइन पोर्टल के ज़रिए सरकारी खर्चे सार्वजनिक कर दिखाए। इससे जनता को लगने लगा कि उनका टैक्स कहीं और नहीं जा रहा, बल्कि सीधे सेवाओं में जा रहा है।
केजरीवाल का सामाजिक मीडिया पर भी मजबूत प्रभाव है। वह ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर रोज़ाना सवालों के जवाब देते हैं, जिससे उनका फॉलोवर बेस लगातार बढ़ता रहता है। लोग उनके सीधे जवाबों को ‘आसान समझाने वाला’ मानते हैं, इसलिए उनके कार्यकाल में जनता की भागीदारी भी बढ़ी।
भविष्य की बात करें तो केजरीवाल ने राष्ट्रीय स्तर पर भी अपना प्रभाव दिखाने की तैयारी की है। उन्होंने कई राज्यों में ‘विकास मॉडल’ की पेशकश की और कहा कि अगर दिल्ली काम कर रहा है तो बाकी जगहों में भी वही मॉडल लागू किया जा सकता है। इस दिशा में उनकी अगली बड़ी योजना है ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा’ जिससे गरीबों को बिना प्रोसेस के इलाज मिल सके।
समाप्ति में कहा जा सकता है कि अरविंद केजरीवाल की कहानी सिर्फ एक राजनेता की नहीं, बल्कि एक परिपूर्ण विचारधारा की है। उन्होंने दिखाया कि अगर सही दिशा में कदम रखे जाएँ तो बड़ी चुनौतियों को भी अवसर में बदला जा सकता है। चाहे आप उनके समर्थक हों या आलोचक, उनकी पहलें दिल्ली के नागरिकों के जीवन में बदलाव लाती रही हैं और आने वाले समय में भी लाने की संभावना है।
सुनिता केजरीवाल ने अपने पति और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के समर्थन की अपील की है, जो फिलहाल मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार है। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके पति एक गहरी राजनीतिक साजिश का शिकार हुए हैं। सुनिता ने यह भी कहा कि तेदेपा सांसद मागुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी का ईडी को दिए गए बयान के आधार पर यह गिरफ्तारी हुई है।
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