लोनावला की त्रासदी: नवविवाहित जोड़ी सहित पुणे का परिवार जलप्रपात में बहा
रविवार को लोनावला में एक जानलेवा हादसा हो गया जब पुणे के एक परिवार के 19 सदस्यों की पिकनिक अचानक ट्रेजडी में बदल गई। परिवार लोनावला के प्रसिद्ध भूशी डैम और उसके पास स्थित जलप्रपात की सुंदरता का आनंद लेने गया था, परंतु एक दुर्घटना के कारण यह आनन्द दायाब हो गया।
परिवार, जिसमें नवविवाहित जोड़ी भी शामिल थी, रविवार की सुबह एक किराए की बस से लोनावला पहुंचे थे। भूशी डैम का जलप्रपात अक्सर पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है, लेकिन यहां की कठिन और खतरनाक परिस्थितियों ने इस बार एक बड़े हादसे को जन्म दिया।
यह हादसा रविवार दोपहर हुआ, जब जल के तीव्र प्रवाह में परिवार के सदस्य बहने लगे। इस हादसे में चार लोगों की मृत्यु हो गई, जिनमें तीन मासूम बच्चे थे। मरने वालों की पहचान 13 वर्षीय अमीना सलमान उर्फ आदिल अंसारी, 8 वर्षीय उमेरा सलमान उर्फ आदिल अंसारी, 37 वर्षीय शाहिस्ता अंसारी, और 9 वर्षीय मरिया अकील सैयद के रूप में हुई है। चार वर्षीय आदनान सभागत अंसारी का शव अब तक नहीं मिला है।
बचाव अभियान
स्थानीय पुलिस, INS शिवाजी और शिवदुर्ग मित्र मंडल के स्वयंसेवकों ने मिलकर बड़ी मशक्कत से बचाव अभियान चलाया और पीड़ितों के शवों को बाहर निकाला। नवविवाहित जोड़ी, जो 22 जून को विवाह बंधन में बंधी थी, उन्हें सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया और वर्तमान में अस्पताल में हैं, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
यह दुर्घटना न केवल एक परिवार के लिए, बल्कि पूरे समुदाय के लिए एक बड़े शोक का कारण बन गई है। पूरे पुणे के सैयद नगर इलाके में शोक का माहौल है, जहां अंसारी, खान और सैयद परिवार रहते हैं। दुर्घटना के दौरान, उत्तर प्रदेश से आए एक रिश्तेदार भी इस परिवार के साथ यात्रा पर थे।
लोनावला क्षेत्र, जो पर्यटकों के लिए एक आकर्षक स्थान है, अब यह घटना सभी को खतरों के प्रति सचेत कर रही है। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य जितना मोहक है, उतना ही यह खतरनाक भी साबित हो सकता है, खासतौर से मानसून के मौसम में।
परिवार और समुदाय के प्रति संवेदनाएँ
घटनास्थल पर पहुंचे पुलिस के अधिकारियों ने जानकारी दी कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए विशेष सुरक्षा उपायों की जरूरत है। स्थानीय प्रशासन और समाजसेवी संस्थाओं ने पीड़ित परिवार के प्रति अपनी संवेदनायें व्यक्त की हैं और हर संभव मदद का आश्वासन दिया है।
इस तरह की घटनाओं से यह साफ हो जाता है कि हमें प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेते समय सुरक्षा उपायों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। मानव जीवन की कीमत किसी भी सुंदरता से अधिक है, और इसीलिए हमें अपने परिवार और प्रियजनों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।
आखिरकार, यह घटना हमें हमेंशा याद दिलाएगी कि प्रकृति का आनंद लें, लेकिन सतर्कता के साथ। इस प्रकार की त्रासदियों से बचने के लिए हमें सतर्क रहने की आवश्यकता है।
टिप्पणि (19)
Anil Tarnal
ये तो बस एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक पूरे परिवार का टूटना है। तीन बच्चे... एक नवविवाहित जोड़ी... और अभी तक एक चार साल का बच्चा गायब। मन में बस एक ही बात घूम रही है - ये सब क्यों हुआ? क्या कोई चेतावनी नहीं थी? क्या कोई रक्षा नहीं थी? ये जलप्रपात देखने आने वालों को जानकारी दी जाती है या सिर्फ फोटो खींचने के लिए छोड़ दिया जाता है?
Viraj Kumar
इस तरह की घटनाएं हमेशा उन्हीं के साथ होती हैं जो नियमों को नजरअंदाज करते हैं। भूशी डैम पर स्पष्ट चेतावनी के बावजूद लोग जल के किनारे जाते हैं, फोटो खींचते हैं, बच्चों को ले जाते हैं। ये सिर्फ दुर्घटना नहीं, ये अहंकार का नतीजा है। किसी की गलती नहीं, बल्कि हम सबकी उदासीनता का।
Shubham Ojha
इस त्रासदी के बीच भी एक रोशनी है - वो नवविवाहित जोड़ी जो बच गई। उनका जीवन अब एक नई शुरुआत की ओर बढ़ रहा है, जिसमें दर्द है, पर आशा भी। भारत की ये जमीन ऐसे दुखों से भरी है, पर इसी में हमारी जुड़ाव की शक्ति भी है। एक दिन ये जगह फिर से खुशियों से भर जाएगी, और उन बच्चों की यादों को संजो कर।
tejas maggon
yeh sab fake hai bhai... yeh dam pe koi bhi jata hi nahi... yeh sab media ka drama hai... 2019 me bhi yahi bana tha... abhi bhi wahi video chal raha hai... government ne abhi tak kuch nahi kiya... kya tumhe lagta hai yeh sab sach hai?
Subashnaveen Balakrishnan
इस तरह के हादसों के बाद हम सब रोते हैं और फिर भूल जाते हैं। लेकिन क्या कोई ये सोचता है कि जलप्रपात के किनारे बाड़ नहीं है? क्या कोई चेतावनी के बोर्ड नहीं लगे? ये सब तो स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी है। अगर हम बच्चों को बचाना चाहते हैं तो बस रोने से काम नहीं चलेगा।
Keshav Kothari
किसी के बच्चे मरे तो दुख होता है। लेकिन अगर वो बच्चे नियम तोड़कर गए थे तो उनकी लापरवाही का भी एक हिस्सा है। इस दुनिया में हर चीज का कीमत होती है। ये बच्चे नहीं, उनके अभिभावक थे जिन्होंने खुद को खतरे में डाला।
Rajesh Dadaluch
बस एक बार आए थे और मर गए।
Pratyush Kumar
मैं लोनावला गया था पिछले साल मानसून में। वहां के लोग बहुत सावधान थे। जलप्रपात के किनारे बहुत सारे बोर्ड लगे थे, और गाइड भी घूम रहे थे। लेकिन जब बड़े परिवार आते हैं, तो वो अपने आप में व्यस्त हो जाते हैं। बच्चों को नहीं देख पाते। ये एक बड़ी गलती है। शायद अगर वो गाइड के साथ गए होते तो ये हादसा नहीं होता।
nishath fathima
यह घटना अत्यंत दुखद है और इसके लिए विशेष रूप से निर्देशों का पालन न करने के कारण अभिभावकों को दोषी ठहराया जाना चाहिए। सार्वजनिक स्थलों पर नियमों का पालन करना अनिवार्य है, और बच्चों की सुरक्षा के लिए उनकी जिम्मेदारी सर्वोच्च है।
DHEER KOTHARI
बहुत दुखद है। बच्चों के लिए ये दुनिया इतनी सुंदर है... और अब उनकी यादें हमेशा के लिए रह जाएंगी। जिन लोगों ने बचाव अभियान में हिस्सा लिया, आप सबको धन्यवाद। 🙏
vineet kumar
प्रकृति को देखना एक आध्यात्मिक अनुभव है, लेकिन उसकी शक्ति को समझना भी जरूरी है। जलप्रपात जैसी जगहें न सिर्फ खूबसूरत होती हैं, बल्कि अपने आप में एक जीवित शक्ति हैं। उनके साथ बर्ताव उनकी शक्ति के अनुरूप होना चाहिए। अगर हम उन्हें एक फोटो शूटिंग के लिए नहीं, बल्कि एक जीवंत शक्ति के रूप में देखें तो शायद ये दुर्घटनाएं कम हो जाएं।
Deeksha Shetty
ये सब बकवास है। जब तक सरकार जिम्मेदार नहीं बनेगी, तब तक ये घटनाएं दोहराएंगी। बोर्ड लगाना काफी नहीं है। गार्ड लगाना है। बाड़ लगानी है। जिन लोगों ने ये बच्चों को ले जाया उन्हें दोषी ठहराया जाए। लेकिन जिन्होंने ये जगह खुली छोड़ी उन्हें भी जेल जाना चाहिए।
Ratna El Faza
हम सब बाहर निकलकर आनंद लेना चाहते हैं। लेकिन क्या हम इतने अहंकारी हो गए हैं कि अपने बच्चों को खतरे में डाल दें? ये बच्चे नहीं, ये हमारे भविष्य हैं। एक दिन ये बच्चे हमारी जगह लेंगे। आज जो घटना हुई, वो एक चेतावनी है।
Anil Tarnal
मैंने इस बारे में सोचा है कि क्या होगा अगर मेरा बेटा वहां होता? मैं तो उसे देखते ही बुला लेता। लेकिन जब 19 लोग होते हैं, तो कौन देखता है? जब बच्चे खेल रहे हों, तो कौन देखता है? ये एक बड़ी गलती है। और अब जब ये हो गया है, तो बस रोने से क्या होगा? अब बोर्ड लगाने के बजाय, गार्ड लगाए जाएं। और जो लोग यहां आते हैं, उन्हें एक छोटा सा ऑडियो गाइड भी दिया जाए।
Nihal Dutt
ये सब बहुत आसानी से बनाया गया है। ये जलप्रपात कभी इतना खतरनाक नहीं था। ये सब अभियान है जो लोगों को डरा रहा है। ये बच्चे तो बहुत सारे जगह गायब होते हैं। ये सिर्फ एक अफवाह है।
vineet kumar
एक बार जब मैंने भूशी डैम का दौरा किया था, तो एक स्थानीय व्यक्ति ने मुझे बताया कि वहां एक बार एक परिवार गायब हो गया था। उसने कहा कि ये जगह जानवरों की तरह अपनी भाषा बोलती है। अगर तुम उसकी आवाज सुनोगे, तो तुम वहां नहीं जाओगे। शायद ये एक अंधविश्वास है। लेकिन अगर इस बात को अनदेखा कर देना है, तो हम खुद को बचाने के लिए तैयार नहीं हैं।
Deeksha Shetty
अगर ये सब अफवाह है तो तुम बताओ कि उन बच्चों के शव कहां हैं? अगर ये बनावट है तो तुम बताओ कि अस्पताल में नवविवाहित जोड़ी कौन है? तुम्हारी बातें बस बहाने हैं। असली दर्द को देखो।
Pratyush Kumar
मैंने देखा है कि लोनावला में अब जलप्रपात के आसपास नए बोर्ड लगे हुए हैं। और गाइड्स भी अब ज्यादा घूम रहे हैं। शायद इस त्रासदी ने बदलाव ला दिया है। अगर एक बार ये बदलाव आ गया, तो ये बच्चों के लिए एक नया आधार बन सकता है।
DHEER KOTHARI
ये बच्चे अब तारों में होंगे। और जो बच गए, वो अब उनके लिए जीएंगे। 🌟