जब Indian Meteorological Department (IMD) ने हिमाचल प्रदेश में तेज़ बर्फबारी और ओंटा की चेतावनी जारी की, तो पूरे राज्य ने सिर उठाया। इस चेतावनी के पीछे न केवल बर्फ का सफ़र है, बल्कि नरम बारिश, तेज़ हवाओं और संभावित बवंडर की भी संभावना शामिल है। सोमवार 7 अक्टूबर से शुरू होने वाले इस मौसम के बदलते मूड को समझने के लिये हमें टॉप‑लेवल डेटा, स्थानीय प्रतिक्रियाएँ और किसान‑पर्यटक पर असर को देखना होगा।
वर्तमान मौसम की स्थिति
पिछले सप्ताहांत में शिमला, मनाली, रोहतांग पास, केलॉन्ग (लाहौल‑स्पीति) और कुफ़्री जैसे ऊँचे इलाकों में 6‑10 इंच (15‑25 सेमी) तक की नई बर्फ गिरी। उंचाइयाँ 2,500 मिटर से ऊपर वाले क्षेत्रों में विशेष रूप से बर्फ की मोटी परत देखी गई। रोहतांग पास में सुबह‑शाम तक तापमान –2 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया, जबकि शिमला में 2‑4 डिग्री सेल्सियस तक गिरावट दर्ज की गई।
IMD ने इस बर्फबारी को ‘पश्चिमी व्यवधान’ (Western Disturbance) प्रणाली के कारण बताया, जो पिछले 48‑72 घंटों से उत्तरी भारत के ऊपर से गुजर रही है। इस प्रणाली के साथ ही अब से अगले 2‑3 दिनों में क्षेत्रों में भारी बारिश, ओंटा और 40‑50 किमी/घंटा की तेज़ हवाएँ चलने की संभावना है।
हिमाचल में बर्फबारी एवं बाढ़ चेतावनी
इसी कारण ऑरेंज अलर्टहिमाचल प्रदेश जारी किया गया है। अलर्ट के तहत शिमला, सोलान, सिरमेर, बिलासपुर, हिमरपुर, उना, कांगड़ा, कुळ्लू, मंडी और चम्बा जिलों में तीव्र वर्षा और ओंटा की संभावना बताया गया है। अकेले ही शिमला‑किन्नौर हाईवे, कुफ़्री‑से‑रोहतांग मार्ग और कई पहाड़ी सरहदियों पर बर्फ के कारण अस्थायी बंदिशें लागू हो गई हैं।
विशेष रूप से रोहतांग पास की सड़कों को बर्फ‑जाम और बर्फ‑भवन (स्नो‑फॉल) की वजह से पहुँच से बाहर माना गया है। इस दौरान यात्रा करने वाले लोगों को अपने टायर और ब्रेक की स्थिति की जांच के साथ ही बचाव किट ले जाने की सिफारिश की गई है।
स्थानीय प्रशासन की प्रतिक्रिया
शिमला जिले की सार्वजनिक कार्य विभाग (PWD) ने तुरंत स्नो‑क्लियरेंस मशीनों और हेलीकॉप्टरों को तैनात कर मुख्य मार्गों को खोलने के लिये काम शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि अगले 24 घंटों में 3 बड़ी बर्फ‑सफाई टीमों को रोहतांग, कुफ़्री और मनाली के प्रमुख मार्गों पर तैनात किया जाएगा।
राज्य आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ (SDMA) ने भी आपातकालीन प्रतिक्रिया योजना सक्रिय कर जिला कलेक्टरों को मौसम‑संबंधी घटनाओं के लिये सतर्क रहने का निर्देश दिया है। नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों को अतिरिक्त रक्त समूह और आपातकालीन दवाइयों के साथ तैयार रखा गया है, क्योंकि बर्फ‑भारी बर्फ‑भवन से अचानक चोटें भी लग सकती हैं।

पर्यटकों और किसानों पर प्रभाव
पर्यटन विभाग ने बताया कि बर्फ की सुंदर दृश्यावली के कारण इस साल के शुरुआती शीतकाल में मनाली‑शिमला‑कुल्लू ट्रैक पर पर्यटन का आँकलन 20‑30 % बढ़ा है। कई साहसिक खेल कंपनियां स्नो‑बोर्डिंग, स्लेजिंग और बर्फ‑पैदल यात्रा के पैकेज लॉन्च कर रही हैं। हालांकि, उन्होंने आगन्तुकों को गरम कपड़े, कवर‑ऑफ़‑स्नीकर, टॉर्च‑लाइट और स्थानीय मौसम रिपोर्ट के साथ यात्रा करने की पुकार की है।
किसानों के लिये स्थिति उतनी ही कठिन है। मध्य पहाड़ी क्षेत्रों में सेब के बगीचे, सब्जी के खेत और दाल के पौधे ओंटा से काफी प्रभावित हो सकते हैं। कृषि विभाग ने न केवल प्लास्टिक कवच, बल्कि फसल‑सुरक्षा जाल (फ्रेम) लगाने की सलाह दी है। कुछ छोटे किसान तो तुरंत छतों पर हल्का नींव रखकर अपने फलों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं।
आगे की संभावनाएँ और तैयारी
अगले 48‑72 घंटों में पश्चिमी व्यवधान की प्रमुख रेखा हिमाचल के अधिकतर हिस्सों से गुजरने की उम्मीद है। इसका मतलब है कि अब से दो‑तीन दिन में बार‑बार बर्फबारी, तेज़ हवाएँ और बाढ़‑पानी का बढ़ता प्रवाह हो सकता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि इस मौसम में संभावित हिमस्खलन (avalanches) के लिये पहाड़ी क्षेत्रों में सतर्कता बढ़ानी चाहिए।
शहर और गांव दोनों ही इलाकों में निवासियों से अनुरोध किया गया है कि वे स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करें, अनावश्यक यात्रा न करें और खतरनाक बर्फ‑भवन वाले क्षेत्रों को दूर रखें। यदि किसी को आपातकालीन सहायता चाहिए तो 108 नंबर पर कॉल कर सकते हैं।

मुख्य तथ्य
- बर्फ की गहराई: रोहतांग पास में 6‑10 इंच (15‑25 सेमी)
- तापमान: शिमला में 2‑4 °C, केलॉन्ग में शून्य से नीचे
- वर्षा चेतावनी: सभी मध्य‑पर्वतीय जिलों में भारी बारिश और ओंटा
- हवा की गति: 40‑50 किमी/घंटा तक तेज़ हवाएँ
- प्रमुख कार्रवाई: स्नो‑क्लियरेंस, आपदा‑प्रबंधन प्रकोष्ठ की सक्रियता
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
बर्फबारी से यात्रियों को कौन‑सी सावधानी बरतनी चाहिए?
पर्यटक को ठंडे मौसम के लिए पर्याप्त गर्म कपड़े, स्थिर जूते और वैकल्पिक यात्रा मार्ग रखना चाहिए। स्नो‑टायर या चेन का प्रयोग, तथा स्थानीय मौसम‑सूचनाएँ नियमित रूप से जांचना आवश्यक है।
ऑरेंज अलर्ट का मतलब क्या है और यह कब तक रहेगा?
ऑरेंज अलर्ट गंभीर मौसम‑स्थिति को दर्शाता है, जिसमें भारी बारिश, तेज़ हवाएँ और ओंटा शामिल हैं। IMD के अनुसार यह अलर्ट अगले 2‑3 दिनों में घटता रहेगा, लेकिन अचानक परिवर्तन के कारण विस्तार की संभावना है।
किसानों को ओंटा से अपनी फसलों को कैसे बचाना चाहिए?
कृषि विभाग ने प्लास्टिक फ्रीज, बांस की जाल और फसल‑सुरक्षा कवर लगाने की सलाह दी है। साथ ही, जल निकासी के लिये नाली साफ़ रखें और हल्के‑भारी फसल के लिये इमारती संरचना कर रखें।
सड़क बंद होने पर आपातकालीन सहायता कैसे प्राप्त करें?
राज्य आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ ने 108 और 100 पुलिस हेल्पलाइन को सक्रिय कर दिया है। निकटतम स्वास्थ्य केंद्र और स्नो‑क्लियरेंस यंत्रों के माध्यम से राहत प्रयास किए जा रहे हैं।
क्या बर्फबारी पर्यटन को बढ़ावा देगी या नुकसान पहुंचाएगी?
सफेद परिदृश्य ने साहसिक खेल और फ़ोटोग्राफ़ी के लिये आकर्षण बढ़ाया है, परंतु बर्फ‑भरी सड़कों और संभावित हिमस्खलन जोखिमों के कारण कई पर्यटन स्थल अल्पकालिक रूप से बंद हैं। स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षित क्षेत्रों में ही गतिविधियों की सलाह दी है।
टिप्पणि (1)
priyanka k
ओरेंज अलर्ट की घोषणा सुनकर तो मैं गर्रर्रर्रता से प्रभावित हो गई हूँ। निदान में तो बहुत प्रोफेशनल ढंग से लिखा है, पर असली बात तो यह है कि जनता को खेत‑बाड़ी से दूर रहने की सलाह दी जा रही है, जैसे हम सबको सर्दी‑जीवन से बचाना हो। आप सबको हार्दिक बधाई कि आप मौसम विभाग को इतना "मैत्रीपूर्ण" पाते हैं! :)