दिसंबर 2025 की शुरुआत में, एक 19 मिनट और 34 सेकंड की वीडियो की अफवाह भारत के सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गई। कुछ लोग इसे एक युवा जोड़े की अश्लील फुटेज कह रहे थे, जिसे होटल कमरे में बिना अनुमति के रिकॉर्ड किया गया था। लेकिन जैसे-जैसे वीडियो के बारे में बातें बढ़ीं, वैसे-वैसे यह सामने आया कि शायद यह वीडियो मौजूद ही नहीं है। यह सिर्फ एक डीपफेक था — एक ऐसा डिजिटल धोखा जिसने लाखों लोगों को भ्रमित कर दिया, कई बेगुनाह लोगों को निशाना बना दिया, और एक ऐसा माहौल बना दिया जहाँ अश्लीलता की अफवाहें अपने आप जीवित हो गईं।
कौन है वो औरत? ज़न्नत का साफ जवाब
इस वीडियो के सबसे बड़े शिकारों में से एक थीं इंस्टाग्राम क्रिएटर ज़न्नत, जिनका यूजरनेम sweet_zannat है। उन्हें वीडियो में दिखने वाली औरत के रूप में गलत तरीके से पहचाना गया। उन्होंने एक सीधा, भावुक वीडियो जारी किया, जिसमें बोलीं: "मुझे अच्छे से देखो... अब उस औरत को देखो... क्या वो मुझे जैसी लगती है? नहीं, है न? फिर आप लोग मेरे कमेंट्स में '19 मिनट' क्यों लिख रहे हैं?" उन्होंने यह भी कहा — "मैं अंग्रेजी में बोल नहीं सकती। क्या आप लोग पागल हो गए हैं?"
उनका वीडियो तेजी से वायरल हुआ — न केवल इसलिए कि वह साफ थी, बल्कि इसलिए कि उसमें एक तरह का दर्द था। उन्होंने न केवल अपनी निर्दोषता साबित की, बल्कि इस अफवाह के पीछे के मानसिकता को भी उजागर किया: लोग अश्लीलता के लिए उत्सुक हैं, और उनकी भावनाओं की कोई परवाह नहीं।
डीपफेक का खेल: 'सीजन 2' और 'सीजन 3' के नाम से फैली अफवाहें
जब लोगों को असली वीडियो नहीं मिला, तो उन्होंने अपनी कल्पनाओं से भर दिया। इंटरनेट पर अचानक '19 मिनट वीडियो: सीजन 2' और 'सीजन 3' के नाम से नए वीडियो दिखने लगे। कुछ में आवाज़ बदली गई, कुछ में चेहरे बदले गए, कुछ में पूरी तरह नए लोग डाल दिए गए। यह सब एआई-जेनरेटेड कंटेंट का खेल था।
एक यूट्यूब चैनल MBM Vadodara ने 4 दिसंबर, 2025 को एक वीडियो डाला: 'रियल या डीपफेक? 19 मिनट वायरल वीडियो का सच'। 11 मिनट 13 सेकंड का यह वीडियो भारतीय साइन लैंग्वेज में बनाया गया था, और इसमें #DeepfakeAwareness, #CyberSafety जैसे हैशटैग्स शामिल थे। यह वीडियो सिर्फ 12 दिनों में 1 मिलियन व्यूज पाकर एक अनूठा मोड़ बन गया — यह पहली बार था जब किसी डीपफेक अफवाह के खिलाफ एक डिजिटल साक्षरता की आवाज़ इतनी तेज़ी से फैली।
अफवाहों का अंधेरा: लाखों के बीच एक अवैध बाजार
अफवाह के साथ एक अवैध बाजार भी उभरा। लोग इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और टेलीग्राम पर इस वीडियो के लिए ₹500 से ₹5,000 तक दे रहे थे। यह न सिर्फ अश्लीलता की खोज थी, बल्कि एक ऐसा अपराध था जिसमें लोग दूसरों की निजता के नाम पर पैसा कमा रहे थे।
हिंदुस्तान टाइम्स के विश्लेषण के मुताबिक, सबसे ज्यादा सर्च गुजरात, बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र से आए। ये राज्य न सिर्फ सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं की संख्या में अग्रणी हैं, बल्कि इनमें डिजिटल निजता के प्रति जागरूकता भी कम है।
कानून का जवाब: तीन साल की जेल और 5 लाख रुपये का जुर्माना
भारतीय कानून के अनुसार, बिना सहमति के किसी की निजी फुटेज शेयर करना भारत के सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66E के तहत अपराध है। इसकी सजा तीन साल की कैद और ₹5 लाख तक का जुर्माना हो सकता है। यह न सिर्फ एक नियम है — यह एक संकेत है कि अगर आप एक औरत की निजता को बेच रहे हैं, तो आप एक अपराधी हैं।
न्यूज़ चैनल्स जैसे एनडीटीवी, टाइम्स नाउ और हर्ज़िंदागी ने सभी एक बात कही: यह वीडियो अभी तक किसी ने सत्यापित नहीं किया। कोई भी व्यक्ति, कोई भी स्थान, कोई भी घटना — सब कुछ अज्ञात है। लेकिन फिर भी, लोग इसे ढूंढ रहे हैं। क्यों? क्योंकि अश्लीलता की तलाश में लोग अक्सर सच को भूल जाते हैं।
अगला खतरा: '40 मिनट की वीडियो' की शुरुआत
जैसे ही एक अफवाह शांत होने लगी, एक नया शॉक आ गया। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 16, 2025 तक, '40 मिनट की वीडियो' की अफवाह भी शुरू हो गई। यह एक नया नमूना है — जब एक अफवाह खत्म होती है, तो दूसरी उसकी जगह ले लेती है। इसका मतलब साफ है: भारत में डिजिटल अश्लीलता के खिलाफ कोई वास्तविक रोक नहीं है।
क्या आप जानते हैं? एक अध्ययन के मुताबिक, भारत में 72% युवा लोगों ने कभी ना जाने किसी वीडियो के लिए एक लिंक क्लिक किया है। और उनमें से 43% ने बाद में जानकारी के बाद अपनी गलती स्वीकार की।
हम क्या कर सकते हैं?
इस अफवाह का सबसे बड़ा पाठ यह है: जब आप किसी वीडियो को शेयर करते हैं, तो आप उसकी सच्चाई नहीं, बल्कि उसकी शक्ति को शेयर कर रहे होते हैं। अगर आप नहीं शेयर करेंगे, तो यह अफवाह मर जाएगी।
इसके लिए आपको बस एक ही काम करना है — जब भी कोई वीडियो वायरल हो, तो पहले सोचें, फिर शेयर करें। अगर आप नहीं जानते कि यह सच है या नहीं, तो शेयर न करें। यह न सिर्फ आपकी जिम्मेदारी है, बल्कि एक नैतिक चुनाव है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या 19 मिनट की वीडियो असली है?
नहीं, किसी भी प्रमुख समाचार संस्थान ने इस वीडियो की पुष्टि नहीं की है। न तो इसकी शुरुआत का पता चला है, न ही इसमें दिखने वाले व्यक्ति पहचाने गए हैं। अधिकांश वीडियो डीपफेक या AI-जनित हैं, जिन्हें वायरल करने के लिए बनाया गया है।
ज़न्नत वास्तव में वीडियो में हैं?
नहीं। ज़न्नत ने स्पष्ट रूप से अपने वीडियो में कहा कि वह अंग्रेजी नहीं बोलतीं और वीडियो में दिखने वाली औरत उनसे कोई समानता नहीं रखती। उन्हें गलत तरीके से टारगेट किया गया और उनके खिलाफ अश्लील टिप्पणियाँ की गईं — यह डिजिटल हरासमेंट का एक उदाहरण है।
क्या इस वीडियो को शेयर करना गैरकानूनी है?
हाँ। भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66E के तहत, बिना सहमति के किसी की निजी फुटेज शेयर करना अपराध है। इसकी सजा तीन साल की कैद और ₹5 लाख तक का जुर्माना हो सकता है।
डीपफेक क्या है और यह कैसे काम करता है?
डीपफेक एआई द्वारा बनाई गई ऐसी वीडियो या आवाज़ है जो किसी वास्तविक व्यक्ति को झूठे तरीके से दिखाती है। यह चेहरे, आवाज़ और व्यवहार को बदलकर एक नया सच बना देता है। इसका उपयोग अक्सर अश्लीलता और अफवाह फैलाने के लिए किया जाता है।
क्यों ये अफवाहें भारत में इतनी तेज़ी से फैलती हैं?
भारत में डिजिटल साक्षरता कम है, और सोशल मीडिया पर अश्लील सामग्री के लिए जिज्ञासा बहुत ज्यादा है। लोग अक्सर वीडियो की सच्चाई की जांच नहीं करते — बस शेयर कर देते हैं। इसके अलावा, अधिकांश लोग इसे 'केवल एक वीडियो' समझते हैं, जबकि यह निजता का उल्लंघन है।
इस तरह की अफवाहों को रोकने के लिए क्या किया जा सकता है?
सबसे पहले, लोगों को डिजिटल साक्षरता सिखानी होगी। दूसरे, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को डीपफेक कंटेंट को पहचानने और रोकने के लिए तकनीकी साधन लगाने होंगे। तीसरे, न्यायालयों को ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई करनी होगी — ताकि लोगों को डर लगे कि अश्लीलता फैलाना नहीं बनेगा।